अर्जुन राम मेघवाल के बहाने पीएम मोदी ने साधे एक तीर से दो निशाने

अर्जुन राम मेघवाल के बहाने पीएम मोदी ने साधे एक तीर से दो निशाने

ऐसा माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम मंत्रालय ओर सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रहे तनाव को खत्म करने वाला हो सकता है. इसके अलावा मेघवाल की पदोन्नति से राजस्थान में भाजपा को मजबूती भी मिल सकती है.

केंद्रीय कैबिनेट में अब किरेन रिजिजू की जगह अर्जुन राम मेघवाल कानून मंत्री होंगे. रिजिजू को अर्थ साइंस मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. कैबिनेट में हुए इस मामूली फेरबदल के बड़े सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि मेघवाल को कानून मंत्री बनाए जाने के बहाने पीएम मोदी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं.

अर्जुन राम मेघवाल पहले ही संसदीय कार्य मंत्रालय संभाल रहे थे, ऐसे में सरकार ने उनका कद और बढ़ा दिया है. यह निर्णय राजस्थान चुनाव से ठीक कुछ माह पहले लिया गया है. उधर किरेन रिजिजू और सुप्रीम कोर्ट के बीच काफी समय से तनाव भी चल रहा था. कॉलेजियम को लेकर भी काफी बयानबाजी हुई थी. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम मंत्रालय ओर सुप्रीम कोर्ट के बीच चल रहे तनाव को खत्म करने वाला हो सकता है. इसके अलावा मेघवाल की पदोन्नति से राजस्थान में भाजपा को मजबूती भी मिल सकती है.

किरेन रिजिजू को क्यों हटाया गया?

पिछले काफी समय से न्यायपालिका और सरकार के बीच लगातार मतभेद नजर आ रहे थे, इसका कारण बन रहे थे कानून मंत्री किरेन रिजिजू. कॉलेजियम को लेकर टकराव के दौरान ये साफ नजर आया था. एक बयान में तो किरेन रिजिजू ने यहां तक कह दिया था कि जो फॉर्मर जज हैं वे एक्टिविस्ट बनकर एंटी इंडिया गैंग का हिस्सा बन जाते हैं. हाल ही सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे टिप्पणी की थी. राजनीतिक विश्लेषक विष्णु शंकर के मुताबिक ये चुनावी साल है ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से की जा रही टिप्पणियों से सरकार को नुकसान पहुंच सकता था. इसीलिए एक तरह से किरन रिजिजू को साइडलाइन किया गया है. अर्थ एंड साइंस मंत्रालय में करने के लिए कुछ नहीं होता.

राजनीतिक विश्लेषक विष्णु कुमार के मुताबिक इस फैसले का दूसरा कारण कर्नाटक चुनाव में पार्टी को मिली हार भी है. कर्नाटक में भाजपा को सबसे ज्यादा नुकसान भ्रष्टाचार के मुद्दे पर हुआ है. इसके अलावा वहां के नेताओं में एरोगेंस नजर आ रहा था. ठीक ऐसे ही बयान किरेन रिजिजू के भी होते थे. इसीलिए पार्टी ने उन्हें लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर साइडलाइन किया और राजस्थान चुनाव को ध्यान में रखकर मेघवाल को यह जिम्मेदारी दे दी.

रिजिजू की जगह मेघवाल को क्यों चुना?

किरेन रिजिजू की अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाए जाने के पीछे राजस्थान चुनाव को बड़ा कारण माना जा रहा है. दरअसल मेघवाल की गिनती राजस्थान के बड़े नेताओं में होती है. वह सीएम पद के दावेदार भी माने जा थे. हालांकि 2019 के बाद से वह लाइम लाइट में नहीं थे. राजनीतिक विश्लेषक पंकज कुमार के मुताबिक भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं, पहला तो किरन रिजिजू और न्यायपालिका के बीच चल रहे तनाव को कम करने की कोशिश की है. दूसरा मेघवाल को पदोन्नति देकर पार्टी ने राजस्थान की जनता को संदेश देने की कोशिश की है. वह दलित समुदाय से आते हैं. यही समुदाय राजस्थान की राजनीति का गणित तय करता है.

पंकज कुमार के मुताबिक किरन रिजिजू से पहले केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन के साथ भी ऐसा हो चुका है. स्वास्थ्यमंत्रालय संभालते हुए कई बार अपनी बयानबाजी के लिए डॉ. हर्षवर्धन विवादों में रहे थे. इसके बाद पार्टी ने उन्हें अर्थ एंड साइंस पोर्टफोलियो थमा दिया था. अब वह कैबिनेट का हिस्सा नहीं हैं.

मेघवाल के बहाने दलित वोटों पर निशाना

अर्जुन राम मेघवाल दलित समुदाय से आते हैं, ऐसे में यहां के दलित वोटों पर उनकी खासी पकड़ मानी जाती है. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा ने मेघवाल को पदोन्नत कर राजस्थान के दलित और आदिवासी मतदाताओं को संदेश देने की कोशिश की है.

राजस्थान की राजनीति का गणित काफी हद तक दलित वोट बैंक ही तय करता है. राज्य में 200 सीटें हैं इनमें से 34 सीटें एससी और 25 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. यदि वोट बैंक की बात की जाए तो प्रदेश में अनुसूचित जाति के वोटरों की संख्या तकरीबन 18 प्रतिशत और अनुसूचित जन जाति के वोटरों की संख्या तकरीबन 13.49 प्रतिशत है. अब तक का गणित देखें तो दलित आरक्षित सीटों पर कब्जा जमाने वाला दल ही प्रदेश में सरकार बनाते आया है. मेघवाल की पदोन्नति से भाजपा की कोशिश इसी वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने वाली हो सकती है.

चुनाव के लिए IAS से दे दिया था इस्तीफा

अर्जुन नाम मेघवाल राजस्थान में जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं, वह बुनकर परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म बीकानेर के किसमिदेसार गांव में हुआ था. बीकानेर में ही उन्होंने पढ़ाई की और वकालत की डिग्री ली. इसके बाद उन्होंने डाक एवं तार विभाग में टेलीफोन ऑपरेटर का पद भी संभाला. यहीं से उनकी राजनीति की शुरुआत हुई और वह टेलीफोन एसोसिएशन का चुनाव लड़कर महासचिव बने. हालांकि यहां काम करते हुए ही उनका चयन IAS के लिए हो गया. वह राजस्थान के कई जिलों में तैनात रहे.

2009 में उन्होंने अचानक इस्तीफा देकर बीकार से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया. उन्होंने चुनाव जीता. 2014 और 2019 में भी अर्जुन राम मेघवाल इसी सीट से जीते. इस बीच उन्होंने कई मंत्रालय संभाले. प्रशासिनक काम काज का अनुभव होने की वजह से हर मंत्रालय में उनके काम को सराहा गया. मेघवाल सबसे ज्यादा चर्चा में तब आए थे वे राष्ट्रपति भवन में शपथ लेने साइकिल से पहुंच गए थे. 2013 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार भी मिला था. बीकानेर और उसके आसपास जमीन को हो रहे कथित घोटालों को उजागर करने के लिए भी मेघवाल को जाना जाता है.