इंटरनेशनल कूटनीति के सभी समीकरण बदले, इस्तांबुल-टू-इस्लामाबाद पीएम मोदी जिंदाबाद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजास्टर डिप्लोमेसी ने ना सिर्फ तुर्किए का दिल जीता है. बल्कि इस्लामिक देशों को संदेश भी दिया कि भारत हमेशा से वसुधैव कुटुम्बकम के मूल मंत्र पर चलता रहा है यानी सारा संसार ही उसका परिवार है.
हर मुद्दे पर भारत के खिलाफ रहने वाले इन दो मुल्कों से ऐसी तस्वीरें आना, कोई सपने में भी नहीं सोच सकता. लेकिन तुर्किए में आए भूकंप के बाद मोदी सरकार के ऐक्शन ने इंटरनेशनल कूटनीति के सभी समीकरण बदल दिए. भारत ने तुर्किए में भूकंप पीड़ितों के लिए सबसे पहले रेस्क्यू टीम भेजी और इस टीम ने वहां जो काम किया, उसे देखकर पूरे तुर्किए में हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं.
इस्लामिक मुल्क तुर्किए का हर मुसलमान आज भारत को अपना सबसे अच्छा दोस्त बता रहा है, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री ने मदद के वक्त तुर्किए के भारत के खिलाफ रुख को नजरअंदाज किया. सिर्फ मानवता को सबसे आगे रखा, यही वजह है. आज तुर्किए से इस्लामिक मुल्कों से दोस्ती का नया अध्याय मोदी काल में आरंभ हो चुका है.
मोदी के देवदूतों को मिली तालियां उन तमाम विरोधियों की तंग सोच पर करारा तमाचा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मदद वाले आचरण को एक खास नजर के चश्मे से देखते आए हैं. तुर्किए में मोदी के देवदूतों का सार्थक प्रयास उन तमाम आलोचकों को जबरदस्त जवाब है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर सवाल उठाते रहे हैं. मौजूदा सरकार को मजहबी नजरिए से देखने वालों की भी आंखें खुल जानी चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मोदी के देवदूतों की जय-जयकार हो रही है.
मानवता को सलाम करके लौटे देवदूत
ना हिंदू ना मुसलमान, सबसे पहले इंसान. मोदी के देवदूत मानवता को सलाम करके लौटे हैं. मुसलमानों के सबसे पक्के और भरोसेमंद दोस्त बन चुके हैं. क्योंकि जब कोई नहीं था, तब तुर्किए में जान की बाजी लगाकर. कई-कई घंटे बिना खाए पिए, बिना सोए, सिर्फ जान बचाने में लगे रहे.
ऑपरेशन दोस्त पर हर हिंदुस्तानी को गर्व है. हर टर्किश नागरिक की दुआ मिल रही है, क्योंकि हजारों जिंदगिया बचा ली गईं. इसकी वजह थी कि जिस वक्त तुर्किए में जलजला आया, उस वक्त भारत के प्रधानमंत्री ने फैसला लेने में देर नहीं की.
इंडिया फर्स्ट रेस्पोंडर बना ऑपरेशन दोस्त शुरू किया, जिसे मोदी खुद मॉनिटर कर रहे थे. ऑपरेशन दोस्त के लिए पीए मोदी ने अर्जेंट मीटिंग रखी. एनडीआरएफ और आर्मी की ज्वाइंट टीम को तत्काल तुर्किए जाने को कहा. एक दिन में सबके पासपोर्ट तैयार हो गए. 4000 जवानों की क्विक रेस्पांस टीम 24 घंटे के अंदर तुर्किए रवाना हो गई और 6 ग्लोबमास्टर जहाजों में राहत सामग्री भी भेजी गई.
एंटी इंडिया स्टैंड के बाद भी मदद के लिए पहुंचे
तुर्किए में चीख-पुकार मची थी. चारों तरफ तबाही थी. जब तुर्किए के दोस्त कहे जाने वाले देश भी मदद नहीं कर पा रहे थे, ऐसे वक्त में मोदी के देवदूत तुर्किए में पहुंचकर तिरंगे का मान बढ़ा रहे थे. तुर्किए का एंटी इंडिया स्टैंड रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिंदगियां बचाने के लिए जो कदम उठाया. उसके बाद तुर्किए में भी तालियां बजीं, पाकिस्तान में भी मोदी की तारीफें हुईं.
- तुर्किए में रेस्क्यू ऑपरेशन
- सीरिया में रेस्क्यू ऑपरेशन
- अफगानिस्तान में रेस्क्यू ऑपरेशन
- यमन में में रेस्क्यू ऑपरेशन
- कोविड काल में इस्लामिक मुल्क सऊदी, यूएई, ओमान से रेस्क्यू ऑपरेशन
- रूस-यूक्रेन जंग शुरू होने पर यूक्रेन में रेस्क्यू ऑपरेशन
मोदी सरकार में ज्यादातर रेस्क्यू ऑपरेशन इस्लामिक मुल्कों में हुआ, जबकि कई इस्लामिक मुल्क इंटरनेशनल मंच पर पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ माहौल तैयार करते रहते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकट काल में फसाद की इन तमाम वजहों को भूलकर सिर्फ मानवतावादी विदेश नीति को आगे रखा.
लौटते वक्त लोगों की आंखों में आंसू थे
जब भारतीय जवाब ऑपरेशन दोस्त के बाद लौट रहे थे तो तुर्किए के लोगों की आंखों में आंसू थे, वो बार-बार थैंक्यू बोल रहे थे. उन्हें भरोसा हो चला था कि अगर दुनिया में कहीं भी आपदा आई तो भारत सबसे पहले मदद भेजेगा. भारत गिले-शिकवे भूलकर मदद करेगा.
मोदी सरकार किस सोच से काम करती है. इसका असर पूरी दुनिया पर दिखता है. दूसरी तरफ पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान है, जो तुर्किए को अपना दोस्त कहता है, लेकिन मदद के नाम पर शहबाज शरीफ वही राहत सामग्री अपने साथ ले गए, जो बाढ़ के दौरान तुर्किए ने पाकिस्तान भेजी थी. तुर्किए ने सामान वापस भेज दिया और शहबाज की दुनिया भर में फजीहत हो रही है.
सिर्फ मदद करने का दिखावा पाकिस्तान ने किया, लेकिन भारत की नीयत एकदम साफ थी कि इंसानियत को हर हालत में बचाए रखना है. यही वजह है..