तानिया, श्रेया और नेविन इन होनहारों की मौत का जिम्मेदार कौन? एक हादसा जिसने खड़े किए कई सवाल
दिल्ली के कोचिंग सेंटर में 3 छात्रों की मौत के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. ये तब है जब हाईकोर्ट ने एमसीडी को बहुत पहले निर्देश दिया था कि बेसमेंट में कोचिंग संस्थान या कंपनियों के दफ्तर नहीं चल सकते हैं. इसके अलावा बेसमेंट में बच्चों की पढ़ाई की अनुमति तो बिल्कुल भी नहीं दी जा सकती है. फिर भी खुलेआम कोचिंग सेंटर चल रहे थे.
कभी जिस दिल्ली को दिलवालों का कहा जाता था, अब उसका दिल मर चुका है. यहां पीएम भी रहते हैं, सीएम भी रहते हैं, मंत्री और संतरी भी रहते हैं. यहां वो बड़े अधिकारी भी रहते हैं जो देश को फिर से सोने की चिड़ियां बनाने का ख्वाब बुनते हैं, लेकिन यह सभी मिलकर उन तीन युवाओं को नहीं बचा पाए जिन्होंने ऊंचे आसमान में उड़ान भरने के सपने देखे थे. यह तीन होनहार छात्र केवल उस ऊंचाई को छूना चाहते थे, जहां पहुंचने पर ना केवल उनके माता-पिता को बल्कि पूरे समाज को उन पर गर्व होता, हालांकि उनका सपना पूरा होने से पहले ही सब कुछ उजड़ गया. उनके सपने, उनके अरमान, उनके हौसले उनके शरीर के साथ पानी में डूबकर खत्म हो गए.
इन छात्रों की मौत कई सवाल छोड़ गई है, वह सवाल जिनके जवाब हमारे सिस्टम को देने होंगे कि इन होनहार छात्रों के सपनों, अरमानों और हौसलों को डुबोने वाला जिम्मेदार कौन है. दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर गया, जलभराव के कारण तीन स्टूडेंट की डूबने से मौत हो गई. बताया गया कि रात को बिल्डिंग में पावर कट के कारण बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी का बायोमेट्रिक गेट जाम हो गया था, जिसके बाद छात्र अंधेरे में लाइब्रेरी के अंदर फंस गए. कुछ मिनट बाद ही पानी का प्रेशर तेज हुआ और दरवाजा टूट गया, पानी तेजी से बेसमेंट में भरने लगाया. महज दो-तीन मिनट में ही पूरे बेसमेंट में 10 से 12 फीट पानी भर गया और इसी में डूबकर तीन छात्रों की मौत हो गई.
हादसे के लिए जिम्मेदार कौन?
आईएसस बनने का सपना देखने वाले छात्र देश की राजधानी में बरसात के पानी में डूबकर जान गंवा रहे हैं और पॉलिसी बनाने वाले हल्ला हंगामा करने में व्यस्त हैं, क्योंकि उन्हें पॉलिटिकल स्कोरिंग करनी है. तीन छात्रों की मौत के बाद कुल सात लोग गिरफ्तार हुए हैं, जिनमें बिल्डिंग और बेसमेंट के चार मालिक भी शामिल हैं. इसके अलावा कोचिंग सेंटर के मालिक और कोऑर्डिनेटर भी हैं. वहीं इस मामले में एक फोर्स गोरखा एसयूवी चलाने वाला वह शख्स भी गिरफ्तार हुआ है, जिसकी वजह से पानी में वेव आई और वह बेसमेंट का गेट तोड़कर उसके अंदर भर गया, लेकिन जिस एमसीडी की वजह से इन आरोपियों ने इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया, अवैध निर्माण किया, नियमों को ताक पर रखा उस एमसीडी का कोई भी गिरफ्तार नहीं हुआ है.
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एमसीडी के अधिकारियों की देखरेख में ही तो ओल्ड राजेंद्र नगर की इस अकेडमी और इसके जैसी कई अकेडमी में बेसमेंट में लाइब्रेरी चल रही हैं. एमसीडी का कोई तो इंजीनियर रहा होगा, जिसने इलाके के नालों की सफाई नहीं करवाई, सीवर साफ नहीं किया, जिसकी वजह से पानी भरा. यह सिर्फ हादसा नहीं है, बल्कि एक बड़ी लापरवाही है. जिसमें कई सवाल खड़े होते हैं जैसे कि बेसमेंट में लाइब्रेरी क्यों बनाई गई थी? यहां पर कोचिंग सेंटरों के बाहर बनी नालियों को पाट दिया गया और जरा सी बारिश से इलाके में पानी भर रहा था तो एमसीडी ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?
आरोपी नंबर 1: एमसीडी
जिस कोचिंग सेंटर की इमारत में यह बेसमेंट बना हुआ था, उससे बाहर निकले का सिर्फ एक ही रास्ता था. जब तेज बहाव के साथ इसमें पानी भरा तो उसके साथ ही मिट्टी भी गई, जिसमें जब छात्रों को बचाने के लिए रस्सी फेंकी गई तो वो अंधेरे के कारण नहीं देख पाए. इसके साथ ही बेसमेंट को सिर्फ पार्किंग और स्टोरेज की अनुमति थी, लेकिन बेसमेंट में गैर-कानूनी तरीके से लाइब्रेरी चल रही थी. बिल्डिंग बायलॉज के हिसाब से बेसमेंट में पानी निकासी के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जानी चाहिए थी, लेकिन इसमें यह भी नहीं था. वहीं अगर बेसमेंट का उपयोग व्यवसायिक उद्देश्य के लिए किया जा रहा है तो पर्याप्त संख्या में निकास मार्ग होने चाहिए.
इसके साथ ही यहां पर हर बारिश के बाद पूरे इलाके में पानी भर रहा था, यह कोई पहली घटना नहीं थी. यहां पर 22 और 24 जुलाई को भी पानी भरा था और ड्रेनेज सिस्टम को लेकर शिकायत भी की गई, लेकिन एमसीडी और उसके अधिकारियों ने कोई एक्शन नहीं लिया. वे कुंभकर्णी नींद में सोते रहे, किसी ऐसे ही बड़े हादसे के इंतजार में. दिल्ली में कोचिंग संस्थानों के लिए जो नियम है, उसके मास्टर प्लान 2021 के तहत डेवलपमेंट एरिया में कोचिंग सेंटर खोलने के लिए सड़क की चौड़ाई 18 मीटर मीटर होना चाहिए.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एमसीडी को निर्देश दिया था कि बेसमेंट में कोचिंग संस्थान या कंपनियों के दफ्तर नहीं चल सकते हैं. इसके अलावा बेसमेंट में बच्चों की पढ़ाई की अनुमति तो बिल्कुल भी नहीं दी जा सकती है. दिल्ली शहर में सालभर पहले नियमों के उल्लंघन के मामले में 897 कोचिंग सेंटर्स को नोटिस दिया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट के सामने एमसीडी की डेली फायर सर्विस ब्रांच की एक रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली में करीब 13 फीसद के पास ही फायर सेफ सर्टिफिकेट है. 461 कोचिंग सेंटर फायर और दूसरे सर्टिफिकेट्स के बिना चल रहे हैं.
आरोपी नंबर 2: दिल्ली सरकार या एलजी
एमसीडी में आम आदमी पार्टी की मेयर हैं, ऐसे में AAP पार्टी घटना से पल्ला नहीं झाड़ सकती? एक शख्स ने बाकायदा ग्रीवांस पोर्टल पर जाकर इंस्टीट्यूट में बने अवैध बेसमेंट की शिकायत की थी, बावजूद इसके कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया? जबकि एमसीडी कमिश्नर की नियुक्ति केंद्र सरकार ने की है. दिल्ली सरकार का कहना है कि कई बार एमसीडी कमिश्नर को दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम की सफाई की बात बोली गयी, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. पिछले साल LG कई जगह ड्रेनेज सिस्टम की सफाई को लेकर मुस्तैद दिखाई दिए थे, सोशल मीडिया पर ड्रेनेज की सफाई के दौरान उनकी मौजूदगी की काफी फोटो भी वायरल हुई थी, लेकिन इस बार उनकी तरफ से भी कोई तत्परता क्यों नहीं दिखी?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी का पहले एक बहाना यह भी था कि एमसीडी पर 15 साल से बीजेपी काबिज थी. लेकिन अब एमसीडी भी आपकी और दिल्ली सरकार भी आपकी पर मुख्यमंत्री तो जेल में हैं. सरकार कौन चला रहा है, यह किसी को पता ही नहीं. दिल्ली में एलजी की ताकत लगातार बढ़ाई जाती रही है, वह सरकार के काम पर समय-समय पर रोक लगाते और निर्देश देते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उनके पास कहने को कुछ नहीं है. दिल्ली की जनता ने जो सरकार चुनी है, उसकी जवाबदेही जिम्मेदारी तय नहीं है और अगर कोई काम करने की कोशिश करता है तो भी इसमें रायता फैल जाता है. आम आदमी इसी बात की टेंशन में हैं कि वह अपनी फरियाद लेकर किसके पास जाए, किसको अपना दुखड़ा सुनाए, क्योंकि पता ही नहीं है कि आखिरकार दिल्ली का मालिक कौन है.
हादसे के बाद से नगर निगम एक्शन में आया और कोचिंग सेंटरों के बाहर अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाकर रैंप तोड़े गए और नालियों को साफ किया गया. इसके साथ ही वहां पर बन रहे अवैध बेसमेंट को भी सील किया गया. यहां पर कई कोचिंग संस्थान हैं, जो लाखों रुपए फीस के तौर पर लेते हैं. दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर अश्विनी कुमार ने स्थानीय जूनियर इंजीनियर को टर्मिनेट कर दिया यानी नौकरी से निकाल दिया है और असिस्टेंट इंजीनियर को निलंबित किया गया है. हादसे के बाद यह निगम की अपने अफसरों पर पहली बड़ी कार्रवाई थी. हादसे के सिलसिले में पुलिस ने 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. कोचिंग सेंटर के मालिक को भी गिरफ्तार कर लिया गया जबकि कोचिंग संचालक भी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
आरोपी नंबर 3: फायर डिपार्टमेंट
हाल ही में इस इमारत का इंस्पेक्शन कर इसे NOC जारी किया गया, तो क्या जो फायर इंस्पेक्टर यहां इंस्पेक्शन पर पहुंचा था उसने जानबूझकर अवैध बेसमेंट और उसमें लगे इलेक्ट्रॉनिक तथा बायोमेट्रिक लॉक्स को अनदेखा किया?
आरोपी नंबर 4: दिल्ली पुलिस
इलाके में अवैध निर्माण को लेकर क्षेत्र की पुलिस और बीट कांस्टेबल इसकी जानकारी तुरंत संबंधित विभाग तो देते हैं? लेकिन, क्या जिक्स वक्त ये बेसमेंट बन रही थी उस दौरान इलाके की पुलिस ने इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर दिया था?
कितना बड़ा है कोचिंग का धंधा
देश में कोचिंग के नाम पर जो दुकानें चल रही हैं, उनका कारोबार करोड़ों का नहीं बल्कि अरबों का है. इसे लेकर किसी तरह की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन अलग-अलग सोर्सेस से जो आंकड़े सामने आते हैं, वह बताते हैं कि कोचिंग का कारोबार 58,000 करोड़ से ऊपर का है. अगले 4 साल में इसके दोगुने होने या इससे ज्यादा होने का अनुमान है यानी 2028 तक इसके 1.34 लाख करोड़ के कारोबार बनने की इसकी गुंजाइश है.
देश भर में 7,000 से ज्यादा छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान हैं. गरीब परिवार अपनी पूंजी बेचकर पैसे कोचिंग इंस्टिट्यूट को दे देते हैं, क्योंकि यह कोचिंग इंस्टिट्यूट एक सपना बेच रहे हैं, कामयाबी की गारंटी बेचते हैं, इंजीनियरिंग से लेकर अफसरशाही तक का करियर बेचते हैं. असलियत यह है कि जो लाखों छात्र इन संस्थानों में घर-परिवार के साधन लगाकर, जमीन-जायदाद बेच कर आते हैं, उनमें से मुश्किल से कुछ हजार छात्र ही कामयाबी हासिल करते हैं.
दिल्ली में कैसे रहते हैं छात्र
दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर और उसके आसपास के इलाकों में छात्रों की एक बड़ी तादाद है, जो घर से आईएएस, आईपीएस या दूसरा कोई बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखकर यहां आते हैं. इन तमाम छात्रों को यहां कोचिंग संस्थानों में 4×10 के एक कमरे के लिए 10 हजार से ज्यादा रुपये प्रति महीने देने पड़ते हैं, जिसमें वह रहकर तैयारी करते हैं. इसके साथ ही दो छात्रों के रहने वाले एक कमरे का एरिया 7×10 होता है, जिसमें एक बैड की चौड़ाई 30 इंच होती है और इसके लिए छात्र को 9 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान करना पड़ता है.
ऐसे में एक कमरे में रहने वाले दो छात्र प्रति माह 18 हजार रुपये कोचिंग संस्थान को देते हैं. इसके साथ ही 10×10 के कमरे में तीन बेड लगाकर उसके 27 हजार रुपये लिए जाते हैं. यही नहीं यह सिर्फ यहां रहने का किराया होता है, बिजली का बिल और खाने का खर्च अलग से होता है. वहीं छात्रों से लाइब्रेरी के नाम पर 4,000 रुपये के आसपास फीस ली जाती है. सिर्फ लाखों खर्च करके करोड़ों कमाने वाले यह संस्थान छात्रों को कैसे रखते हैं, यह तस्वीर समय-समय पर सामने आती रही है, लेकिन फिर भी इस बारे में कोई भी सरकार संजीदा नहीं है.
कौन थे श्रेया, तानिया और नेविन
दिल्ली कोचिंग हादसे में यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हो गई. यूपी के अंबेडकर नगर की रहने वाली श्रेया यादव, बिहार के औरंगाबाद की रहने वाली तानिया सोनी और केरल में एरनाकुलम जिले के नेविन डेल्विन का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर छोड़ा, दोस्तों को छोड़ा और फिर उस दिल्ली में आ गए, जहां इंसान की जिंदगी से ज्यादा पैसे अहमियत रखते हैं.
दूध बेचते हैं श्रेया के पिता
श्रेया के पिता अंबेडकर नगर में दूध बेचकर बेटी को दिल्ली में पढ़ा रहे थे और उनका सपना था कि एक दिन बेटी पढ़-लिखकर आईएएस अधिकारी बनेगी. श्रेया के पिता ने इसी साल अप्रैल के महीने में दिल्ली के राव कोचिंग में बेटी का दाखिला कराया था. तीन भाई बहनों में श्रेया सबसे बड़ी थी, उसके दोनों भाई उससे छोटे हैं. देश का सबसे बड़ा एग्जाम पास करने का सपना लेकर दिल्ली गई श्रेया अब परिवार के बीच नहीं है और बेटी को अधिकारी बनाने का उसके मां-बाप का सपना एक झटके में टूट गया.
श्रेया बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी और उसका भाई अभिषेक यादव भी मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर रहा है. उसके पिता बसखारी बाजार में डेरी की दुकान चलाते हैं और उसके चाचा धर्मेंद्र यादव गाजियाबाद में रहते हैं. हादसे के बाद श्रेया के चाचा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमें कोचिंग संस्थान की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई, बल्कि न्यूज से पता चला कि राजेंद्र नगर में एक कोचिंग है, जिसके बेसमेंट में पानी भर गया है और उसमें कुछ बच्चे फंस गए हैं, जिसका रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है. चूंकि मैं ही श्रेया का एडमिशन कराने में आया था तो मुझे विजुअल में दिख रहा था कि यह वही कोचिंग इंस्टिट्यूट है.
इसके बाद मैंने श्रेया को फोन मिलाया तो फोन बंद आ रहा था, फिर मुझे थोड़ी चिंता हुई तो मैंने कोचिंग की लाइब्रेरी देखने वाले एक शख्स को फोन मिलाया तो उनका भी फोन बंद था. इसके बाद मैं यहां पर आया और फिर श्रेया के पीजी में गया तो उसका कमरा बंद था. मैंने पुलिस प्रशासन से बात की और अपनी भतीजी का नाम बताया तो उन्होंने कहा कि मुझे लगता है, जिन तीन लोगों की मौत हुई है, उसमें शायद एक श्रेया भी है. आप एक बार जाकर आरएलएम हॉस्पिटल में पहचान कर लीजिए.
तानिया ने डेढ़ महीने पहले लिया था एडमिशन
तानिया सोनी के पिता विजय सोनी तेलंगाना में इंजीनियर हैं और अपनी पत्नी के साथ वहीं पर रहते हैं, लेकिन यह परिवार मूल रूप से बिहार का रहने वाला है. तानिया का छोटा भाई हैदराबाद में है और छोटी बहन पलक सोनी इलाहाबाद में इंजीनियरिंग कर रही हैं. तानिया के परिवार को हादसे की खबर टीवी चैनलों से मिली. तानिया सोनी के बारे में बताया जाता है कि वे शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी, उसने अपने परिवारवालों से यह वादा किया था कि वे इस बार परीक्षा में जरूर सफल होंगी. तानिया पिछले डेढ़ साल से दिल्ली में रहकर तैयारी कर रही थी, उसने महाराजा अग्रसेन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था और वह दिल्ली में वसुंधरा एंक्लेव में एक पीजी में रहती थी. उसने डेढ़ महीने पहले ही कोचिंग इंस्टिट्यूट जॉइन किया था.
पुलिस अधिकारी थे डेल्विन के पिता
नेविन डेल्विन बीते आठ महीनों से यूपीएससी की तैयारी कर रहा था, वह पटेल नगर में रहता था और सुबह करीब 10 बजे लाइब्रेरी में पढ़ाई करने आया था. डेल्विन के पिता केरल में पुलिस के सेवानिवृत्त डीएसपी थे और उनकी मां कलाडी शहर में एक विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थीं. 2017 में डाल्विन ने कला इतिहास की पढ़ाई पूरी की. डाल्विन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से विजुअल स्टडीज में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहा था और उसने पहले JNU से ही इसी विषय में मास्टर ऑफ फिलॉसफी (एमफिल) की डिग्री हासिल की थी.