‘ये वतन जितना मोदी-भागवत का उतना ही मदनी का, इस्लाम सबसे पुराना धर्म’
बता दें महाधिवेशन का पूर्ण सत्र रविवार को आयोजित होगा जिसमें हजारों की संख्या में लोगों के भाग लेने की उम्मीद है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद का महा अधिवेशन की आज यानी शुक्रवार से शुरूआत हो चुकी है.जमीयत उलेमा के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी की अध्यक्षता में नई दिल्ली स्थित रामलीला मैदान में सम्मेलन आरंभ हुआ. मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि यह वतन जितना नरेंद्र मोदी का है, भागवत का है, उतना ही महमूद मदनी का भी है. उन्होंने कहा कि महमूद इनसे एक इंच आगे ही है. इस्लाम की पैदाइश है. ये धरती इस्लाम की है. ये बोलना की इस्लाम बाहर से आया है, ये गलत होगा. इस्लाम सभी धर्मों में सबसे पुराना धर्म है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने देश में हेट कैंपेन और इस्लामोफोबिया में कथित बढ़ोतरी सहित कई प्रस्तावों को पारित किया है.
बता दें महाधिवेशन का पूर्ण सत्र रविवार को आयोजित होगा जिसमें हजारों की संख्या में लोगों के भाग लेने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि ये अदालतें हुकूमतों के दवाब में फैसले देती हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ अदालतों ने जो फैसले दिए हैं, वो यही बताते हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महा सचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने आज सेक्रेटरी रिपोर्ट प्रस्तुत की.
‘भाजपा नेताओं के बयान से माहौल जहरीला होता जा रहा है’
संगठन द्वारा महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए हैं. जिसमें देश में बढ़ते नफरती अभियान और इस्लामोफोबिया की रोकथाम पर विचार करने की बात कही गई. इस बारे में बताया गया कि देश में इस्लामोफोबिया और मुसलमानों के विरुद्ध नफरत और उकसावे की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. सबसे दुखद बात यह है कि यह सब सरकार की आंखों के सामने हो रहा है.
विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों भारत की सिविल सोसायटियों की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद सत्तासीन लोग न केवल इन घटनाओं की रोकथाम के प्रति अनिच्छुक हैं बल्कि कई भाजपा नेताओं विधायकों और सांसदों के नफरत भरे बयानों से देश का माहौल लगातार जहरीला होता जा रहा है.
मदनी ने कहा कि नफरत फैलाने वाले तत्वों और मीडिया पर बिना किसी भेदभाव के कठोर कार्रवाई की जाए.विशेषकर सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट और उचित टिप्पणियों के बादए इस संबंध में लापरवाही बरतने वाली एजेंसियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए और उपद्रवियों को दंडित किया जाए.
नफरती बयानों पर लगे रोक
मदनी ने कहा कि देशव्यापी स्तर पर इस्लामी शिक्षाओं और मुसलमानों की छवि को धूमिल करने की कोशिश की जा रही है. सोशल मीडिया ऐसे समूहों और संगठनों का साधन बना हुआ है जो इस्लाम और पैगंबर के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करते हैं. वहीं कुछ खबरिया चैनल जानबूझकर मुसलमानों के धार्मिक मामलों को एजेंडा बनाकर अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं और पक्षकार बन कर इस्लाम और मुसलमानों को नीचा दिखाने का कौशल दिखाते हैं.
‘इस्लाम विरोधी प्रोपेगंडा फैलाया जा रहा हैं’
ऐसे व्यक्तियों को टिप्पणी करने के लिए आमंत्रित किया जाता है जो झूठ फैलाने वालों के हाथों की कठपुतली बन चुके हैं.जो जानबूझकर कुरान और हदीस की गलत व्याख्या प्रस्तुत करते हैं और इस्लाम की एक ऐसी छवि पेश करते हैं जिसका इस्लाम से कोई संबंध नहीं होता है ताकि लोगों में इस्लाम विरोधी प्रोपेगंडा सफल हो सके.