‘तुम्हारे पिता हत्यारोपी हैं’… 28 साल बाद मर्डर मिस्ट्री का खुलासा! थ्रिलर फिल्म से कम नहीं ये केस
अपराध करके अपराधी 28 साल गायब रहा. ओडिशा का रहने वाला है, गुजरात में हत्या की और 16 साल से केरल में रह रहा था. पुलिस ने अब उसे गिरफ्तार कर लिया है.
अपराध करके अपराधी अगर दशकों तक फरार रहे, पुलिस के हत्थे न आए और पीड़ित परिवार को दशकों बाद न्याय मिले, तो ऐसे न्याय का मतलब क्या? कुछ इसी तरह के एक केस में हत्या का अपराधी आखिरकार पुलिस के हत्थे के चढ़ गया है. आरोपी को 28 साल बाद केरल से गिरफ्तार किया गया है. उसने 1995 में गुजरात में एक हत्या की थी और खुद ओडिशा का रहने वाला है. यह ठीक एक थ्रिलर फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन बात सच है.
कृष्ण प्रधान, जो ओडिशा के गंजम जिले का रहने वाला है, एक हत्या के केस में वांटेड था. उसने 4 मार्च 1995 को 22 वर्षीय शिवराम नायक की हत्या कर दी थी. इस केस की जांच 28 साल तक चलती रही और आरोपी की तलाश जारी थी. इस केस को सुलझाने के लिए पुलिस ने मानो राज्यों की सीमाएं भी क्रॉस की और मानो कोने-कोने में आरोपी की तलाश की गई. आरोपी को आखिरकार 27 मार्च को केरल के पथानमथिट्टा जिले के अंडूर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने बताया कि वह यहां 2007 से रह रहा था.
‘इस उम्र में जेल जाना मेरे लिए बहुत मुश्किल’
आरोपी प्रधान को उस हत्या का बहुत अफसोस है. सूरत शहर में क्राइम ब्रांच के सब-इंस्पेक्टर पीवाई चिट्टे बताते हैं कि आरोपी को इस बात का मलाल है कि उसने 1995 में सरेंडर नहीं किया. एसआई चिट्टे के मुताबिक, आरोपी प्रधान ने कहा कि अगर उसने तब सरेंडर कर दिया होता तो आज वह सजा पूरी कर जेल से बाहर होता. उसने कहा कि ‘मेरे परिवार को लाइफ के फैसले लेने में मेरी जरूरत है. मेरे बच्चों को मेरी जरूरत है. जैसे उनकी शादियां, उनका भविष्य… इस उम्र में जेल जाना… मेरे लिए बहुत मुश्किल होगा.’
28 साल तक परिवार से छुपाया अपराध
अब एक और बड़ी बात ये कि 28 साल बाद भी परवार के लोगों को प्रधान के इस अपराध की जानकारी नहीं थी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी के 21 वर्षीय बेटे जो कि ओडिशा में एक कॉलेज का स्टूडेंट है – बताया कि ‘मैं कॉलेज में था जब मुझे उनकी गिरफ्तारी के बारे में सूरत पुलिस का फोन आया, हमें उनके इस हत्या के बारे में नहीं जानते थे, जब मैंने पापा से बात की तो उन्होंने मुझे बहन और मां की देखभाल करने कहा.’
गंजम से सूरत काम के लिए गया था आरोपी
बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के बाद 1993 में सूरत हिंसाओं से उबर रहा था. हिंसा में फैक्ट्रियां तबाह कर दी गई थी, दुकानें जला दी गई थी और पूरा शहर मानो वीरान हो गया था. सूरत के तबके बीजेपी सांसद और पूर्व यूनियन टेक्सटाइल मंत्री ने फैक्ट्रियों को दुरुस्त करने के लिए मजदूरों को बुलाया, जहां ओडिशा के गंजम से भी बड़ी संख्या में नौजवान मजूदर ट्रेन में भरकर गुजरात पहुंचाए गए थे. इन्हीं में एक प्रधान भी था, जो तब अपने बेटे के उम्र का ही रहा होगा, गंजम से सूरत के लिए जाने किसी ट्रेन में सवार होकर वहां पहुंच गया, जहां वह एक पान की दुकान पर खड़ा था. तभी उसपर एक स्ट्रे डॉग ने भोंकना शुरू कर दिया और देखते ही देखते उसने एक युवक की हत्या कर दी.