INS विक्रांत से भारत की ताकत डबल, चीन-पाक के उड़े होश, हिंद महासागर में होगा पावर बैलेंस

INS विक्रांत से भारत की ताकत डबल, चीन-पाक के उड़े होश, हिंद महासागर में होगा पावर बैलेंस

INS विक्रांत के कैप्टन विद्याधर हरके ने बताया कि यह जहाज भारत के आत्मनिर्भर और स्वालम्बन का प्रतीक है. इसका 76 प्रतिशत कंटेंट स्वदेशी है. इसका कन्स्ट्रक्शन कोचीन शिपयार्ड में हुआ है.

भारत का पहला एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत, जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. 1997 में आईएनएस विक्रांत के डी-कमीशनिंग के बाद अब विक्रांत का नया वर्जन आ चुका है, जो पहले वाले से ज्यादा ताकतवर और आधुनिक है. विक्रांत के सेवा में आने से भारत अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो जाएगा, जिनके पास स्वदेशी रूप से डिजाइन करने और एक विमान वाहक बनाने की क्षमता है. क्योंकि आईएनएस विक्रांत भी भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल का एक अनूठा उदाहरण है, जो पूरी तरह से इंडिजीनियस है.

आईएनएस विक्रांत, ये नाम भारतीय नौसेना के लिए कोई नया नाम नही है. भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर का नाम भी आईएनएस विक्रांत ही था, जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की सेना को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन साल 1997 में पुराने विक्रांत के डी-कमीशन होने के बाद करीब एक दशक से भारत को इस नए एयरक्राफ्ट कैरियर का इंतजार था, जिसे एक बार फिर से आईएनएस विक्रांत का ही नाम दिया गया.

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विमान उतारने का परीक्षण

आईएनएस विक्रांत के कमीशनिंग के बाद नवंबर से लेकर अब तक कई चरणों में इसपर विमान उतारने का परीक्षण किया जा रहा है जो मई 2023 तक पूरा हो जाएगा. इस एयरक्राफ्ट करियर पर मिग – 29K और तेजस जैसे लाइट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट को कठिन से कठिन परिस्थितियों में उतारने का और टेकऑफ करने का ट्रायल किया जा चुका है.

22 मीटर चौड़ा और 182 मीटर लंबा हैंगर

इसका कुल वजन करीब 45 हज़ार टन है, इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका हैंगर एरिया है जो कि 22 मीटर चौड़ा और 182 मीटर लंबा है. 14 डेक वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर के सबसे बड़ा हिस्सा इसका हैंगर है, जहां करीब 22 एयरक्राफ्ट और नौसेना के हेलीकॉप्टर को पार्क करने की क्षमता है. इतना ही नही, इस हैंगर में फायर बैरियर जैसी आधुनिक तकनीक भी है जो आग लगने की परिस्थितियों में हैंगर को दो हिस्सों में बांट देगी ताकि आग पूरे हैंगर में ना फैले.

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ऑस्ट्रेलियाई पीएम ने की तारीफ

भारत दौरे पर आए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी गुरुवार को आईएनएस विक्रांत का जायजा लिया. उन्हें आईएनएस विक्रांत पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने विक्रांत की खासियत को जाना और इसकी खूब तारीफ की. ये पहला मौका था जब कोई फॉरेन डेलिगेट भारतीय एयरक्राफ्ट कैरियर पर पहुंचा था.

भारत के आत्मनिर्भरता का प्रतीक

INS विक्रांत के कैप्टन विद्याधर हरके ने बताया कि यह जहाज भारत के आत्मनिर्भर और स्वालम्बन का प्रतीक है. इसका 76 प्रतिशत कंटेंट स्वदेशी है. इसका कन्स्ट्रक्शन कोचीन शिपयार्ड में हुआ है. इसको हमारे खुद के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने किया है. इसके निर्माण से हमने एक ऐसी माइल्ड स्टोन ख्याती पाई है जो दुनिया के कुछ चुनिंदा देश ही कर पाते हैं. केवल 6 देश के पास ही करियर, कन्स्ट्रक्शन, डिजाइन और ऑपरेट है. यह आसान बात नहीं है, क्योंकि कुल 95 प्रतिशत से ज्यादा आयात-निर्यात समुद्र के माध्यम से होता है. सी लेन ऑफ़ कम्युनिकेशन माध्यम है, यह हमारे लिए महत्वपूर्ण है.

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सपनों को साकार करने में करेगा मदद

उन्होंने कहा कि भारत ऐसा पांचवा देश है जो आर्थिक रूप से समृद्ध है और आने वाले सालों में इसे स्ट्रांग नेवी की आवश्यकता है. आईएनएस विक्रांत एक ऐसा माध्यम है जो हमारे सपनों को साकार करने में मदद करेगा. इंडियन नेवी यह चाहती है कि इंडियन ओशन रीजन राष्ट्र उनसे मिलकर काम करें. हम एक प्रिफर्ड सिक्योरिटी पार्टनर बने और जो एरिया में आयात-निर्यात होता और जो फ्रीडम ऑफ नेविगेशन है वह बरकरार रखें.

हमने कई कीर्तिमान गढ़े : कैप्टन

कैप्टन विद्याधर हरके ने कहा कि हमने दो सितंबर से आज तक कई उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने बताया कि एक जहाज की शान उसके डेक पर एयरक्राफ्ट का होना होता है. हमारे डेक पर ना सिर्फ भारतीय मूल का लाइट वेट एयरक्राफ्ट है बल्कि हम मिग की भी ऑपरेशन शुरू कर चुके हैं. 5 महीने में हमने कई कीर्तिमान गढ़े है, हमें कैरियर ऑपरेट करने की क्षमता आ चुकी है. उन्होंने बताया कि नेवी ने कई राष्ट्रों के साथ लॉजिस्टिक साइन किए हैं. उनके लॉजिस्टिक का सुविधा हम इस्तेमाल कर सकते हैं कई ट्रेडिंग और एक्साइज भी साथ में होती है और यह जारी रहेगी. भारतीय नौसेना का इसबार जो मलबार एक्साइज होगा, वह ऑस्ट्रेलिया नेवी के साथ होगा.

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20,000 करोड़ रुपए की लागत से बना

आईएनएस विक्रांत को पिछले साल सितंबर में नौसेना में शामिल किया गया था. 45,000 टन के युद्धपोत को 20,000 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया. 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत भारत में बनने वाला सबसे बड़ा युद्धपोत है. इसमें 30 विमान सवार हो सकते हैं, जिनमें मिग-29K फाइटर जेट और हेलीकॉप्टर शामिल हैं.

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