बंदूक से खेली, हथियार पहुंचाए, उग्रवादी बनना चाहती थी वर्ल्ड चैंपियन भारतीय बॉक्सर
भारत की पूर्व बॉक्सर लैशराम सरिता देवी ने 2005 की वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था, जबकि इससे पहले और इसके बाद भी उन्होंने कई मेडल जीते.
भारत की पूर्व दिग्गज बॉक्सर लैशराम सरिता देवी ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है कि उन्होंने मणिपुर के उग्रवादियों को बंदूकें पहुंचाई थीं. इतना ही नहीं, वह खुद भी उग्रवादी बनने की राह पर बढ़ रही थीं लेकिन बॉक्सिंग ने उनकी जिंदगी बदल दी. (BFI)
सरिता ने 1990 के दशक के उन दिनों को याद किया जब मणिपुर में उग्रवाद अपने चरम पर था. उन्होंने कहा, ‘‘मैं उग्रवादियों से प्रभावित होकर उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी. मैं उनके लिए हथियार मुहैया कराती थी, लेकिन खेलों ने मुझे बदल दिया और मुझे अपने देश का गौरव बढ़ाने के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया.’’ (PTI)
सरिता ने कहा, ‘‘मैं एक छोटे से गांव में रहती थी और जब मैं 12-13 साल की थी तो हर दिन उग्रवादियों को देखती थी. घर पर रोजाना लगभग 50 उग्रवादी आते थे. मैं उनकी बंदूकें देखती थी और उनके जैसा बनना चाहती थी. मैं उग्रवाद की तरफ बढ़ रही थी.’’ (Twitter/Sarita Devi)
पूर्व विश्व चैंपियन ने स्वीकार किया कि एक समय वह उग्रवादियों के हथियारों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने का काम करती थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं उनके जैसा बनने का सपना देखती थी और मुझे बंदूकों से खेलना बहुत पसंद था. मुझे नहीं पता था कि खेलों से आप खुद को और देश को प्रसिद्धि दिला सकते हैं.’’ (PTI)
सरिता ने बताया कि कैसे भाई से पड़ी जबरदस्त मार से उनकी जिंदगी बदल गई. सरिता ने कहा, ‘‘मैं खेलों से जुड़ी और फिर मैंने 2001 में पहली बार बैंकॉक में एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व किया और रजत पदक जीता. चीन की मुक्केबाज ने स्वर्ण पदक जीता था. उनका राष्ट्रगान बजाया गया और सभी ने उसे सम्मान दिया. यही वह क्षण था जब मैं भावुक हो गई थी.’’ (PTI)