Kedarnath Yatra 2023: कल खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, जानें महादेव के मंदिर से जुड़े 7 बड़े रहस्य

Kedarnath Yatra 2023: कल खुलेंगे केदारनाथ धाम के कपाट, जानें महादेव के मंदिर से जुड़े 7 बड़े रहस्य

शिव भक्तों की आस्था से जुड़े बाबा केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल 2023 को पूरे छह महीने बाद खुलने जा रहे हैं. देवों के देव महादेव के इस पावन ज्योतिर्लिंग से जुड़े 7 बड़े रहस्य को जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

हिंदू आस्था से जुड़े द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा केदारनाथ का धाम उत्तराखंड की वादियों में स्थित है. बाबा केदारनाथ के जिस पावन धाम के दर्शन और पूजन की कामना हर किसी शिव भक्त की होती है,उनके कपाट तकरीबन छह महीने बाद25अप्रैल2023को खुलने जा रहे हैं. भगवान शिव के ग्यारहवें ज्येातिर्लिंग माने जाने वाले इस मंदिर में महादेव के पृष्ठ की पूजा होती है. सनातन परंपरा में बाबा केदारनाथ धाम की तीर्थ यात्रा का क्या महत्व है और यहां पर शिवलिंग की पूजा करने पर क्या मिलता है फल,आइए इस धाम से जुड़े तमाम धार्मिक रहस्य के बारे में विस्तार से जानते हैं.

  1. पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पांडव गोत्रहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव के दर्शन और पूजन के लिए हिमालय पहुंचे तो भोलेनाथ उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे. मान्यता है कि भोलेनाथ भैंसे का वेश धारण करके जब धरती पर समाने लगे तभी भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली और उनका पृष्ठ भाग इसी मंदिर में स्थापित हो गया.
  2. हिंदू मान्यता के अनुसार उत्त्राखंड के चार प्रमुख धाम में से एक बाबा केदारनाथ के इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने की थी. मान्यता है कि पांडवों द्वारा बनवाया गया मंदिर तकरीबन 400 साल तक बर्फ में दबा रहा, जिसकाजिसका जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य ने करवाया था.
  3. बाबा केदारनाथ की प्रतिदिन पूजा में उन्हें विधि-विधान से स्नान कराने के बाद शुद्ध घी का लेप लगाया जाता है. इसके बाद बाबा की धूप-दीप आदि से आरती होती है. केदारनाथ धाम में शाम के समय बाबा का भव्य श्रृंगार किया जाता है.
  4. बाबा केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे एक पवित्र शिला के दर्शन का भी बहुत ज्यादा महत्व है. साल 2013 में जब केदारनाथ में जल प्रलय आया था तब इस पवित्र शिला ने ही इस पावन धाम की रक्षा की थी. बाबा के भक्त इस पावन शिला को भीम शिला के नाम से पूजते हैं.
  5. केदारनाथ मंदिर के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए अप्रैल से अक्टूबर तक खुले रहते हैं. सर्दियां आते ही कार्तिक पूर्णिमा के दिन बाबा की चल प्रतिमा को डोली में बिठाकर उखीमठ में ले जाया जाता है. इस दौरान केदारनाथ धाम मके भीतर एक अखंड दीपक जलाया जाता है, जो पूरे छह महीने तक लगातार जलता है.
  6. सनातन परंपरा से जुड़ी मान्यता के अनुसार भगवान शिव के कैलाश धाम की तरह केदारनाथ धाम का बहुत ज्यादा महत्व है,जहां पर दर्शन मात्र से शिव भक्त के सभी कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं.
  7. उत्तराखंड स्थित बाबा केदारनाथ धाम के बारे में मान्यता है कि जो कोई व्यक्ति इस पावन धाम के दर्शन के बगैर बद्रीनाथ धाम के दर्शन एवं पूजन करता है,उसे उसकी तीर्थ यात्रा का पुण्यफल नहीं प्राप्त होता है.

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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)