UP Nikay Chunav: कोंच नगर पालिका कांग्रेस का गढ़, BJP-SP को मिली सिर्फ एक बार जीत, BSP का अब तक नहीं खुला खाता

UP Nikay Chunav: कोंच नगर पालिका कांग्रेस का गढ़, BJP-SP को मिली सिर्फ एक बार जीत, BSP का अब तक नहीं खुला खाता

2017 में कांग्रेस की प्रत्याशी सरिता आनंद अग्रवाल ने मोदी- योगी लहर होने के बावजूद कोंच सीट पर भारी मतों से जीत हासिल की थी. यहां अबतक बीएसपी का खाता नहीं खुला है.

जालौन: निकाय चुनाव में हम बात करेंगे जालौन के कोंच नगर पालिका की. क्रोंच ऋषि के नाम पर बने कोंच में सालों तक कांग्रेस का कब्जा रहा है. कांग्रेस के इस अभेद किले में बीजेपी और एसपी महज एक- एक बार ही जीत दर्ज कर पाई है. 2017 में बीजेपी की लहर होने के बाद भी इस सीट पर कांग्रेस ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. सबसे पुरानी नगर पालिका कोंच के पिछले 3 कार्यकाल की बात करें तो इस सीट पर लगातार महिलाओं का कब्जा रहा है. साथ ही वह नगर पालिका अध्यक्ष भी बन रही हैं. जालौन की कोंच नगरपालिका मतदाताओं के हिसाब से जिले की दूसरी सबसे बड़ी नगरपालिका है. कोंच नगर पालिका में मतदाताओं की कुल संख्या 52493 है जिसमें पुरुष मतदाता 27902 और महिला मतदाता 24591 हैं. इस नगरपालिका में 25 वार्ड हैं, वही इस नगर पालिका में 15 मतदान केंद्र और 58 मतदान स्थल बनाए गए हैं.

क्रोंच ऋषि के नाम से विख्यात है कोंच

कोंच नगर का ऐतिहासिक महत्व है. कोंच का नाम क्रोंच ऋषि के नाम पर है. यह नगरी क्रोंच ऋषि की तपोभूमि थी. पहले इसे क्रौंच के नाम से जाना जाता था बाद में यह कोंच हो गया. यहां राजा चंद्रवरदाई ने एक कुआं का निर्माण कराया था, जिसे चंदकुआं के नाम से भी जाना जाता है. इस नगर का इतिहास झांसी की रानी लक्ष्मीबाई से भी जुड़ा है क्योंकि रानी लक्ष्मी बाई के गुरु का स्थान भी कोंच नगर में स्थित यहां के प्रसिद्ध रामलला मंदिर हैं. यहां वह तपस्या करते थे और यहीं उन्होंने समाधि भी ली थी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई उनसे मिलने के लिए कोंच आती थीं.

आजादी के बाद पहले अध्यक्ष बने केदारनाथ शर्मा

आजादी के बाद पहली बार नगर पालिका अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी पंडित केदारनाथ शर्मा को मिली. वह 1958 में नगरपालिका अध्यक्ष बने थे और 1962 तक अध्यक्ष रहे, इसके बाद बाबू चित्तर सिंह निरंजन, श्रीधर दयाल आजाद, राम गोपाल रावत, शाह मुजफ्फर अली, किशोरी शरण शुक्ला, अख्तर अली, मुजीब 1977 तक पालिका के अध्यक्ष रहे. 1977 से 1988 तक करीब लगभग 11 साल के लिये सरकार ने उपजिलाधिकारी को प्रशासक के रूप में नियुक्त कर दिया था. 1987-88 में यहां चुनाव कराया गया इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के राधेश्याम दांतरे रामलहर में जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इसके बाद बीजेपी यहां कभी दोबार जीत नहीं दर्ज कर सकी है.

बीएसपी का यहां नहीं खुला है खाता

2006 में सपा ने इस सीट पर खाता खोला और शकुंतला तरसोलिया ने जीत हासिल की. 2012 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी विनीता विज्ञान सिरोठिया ने पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव जीता था. 2017 में कांग्रेस की प्रत्याशी सरिता आनंद अग्रवाल ने मोदी योगी लहर होने के बावजूद भी इस सीट पर भारी मतों से जीत हासिल की थी. यहां अबतक बीएसपी का खाता नहीं खुला है. कांग्रेस यहां सबसे ज्यादा बार चुनाव जीतने में कामयाब रही है. वहीं पिछली तीन कार्यकाल की बात करें तो इस सीट पर महिलाओं का कब्जा है.

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