UP: प्रयागराज में चकबंदी अधिकारी का कारनामा, एक परिवार के नाम कर दी 239 बीघा जमीन

UP: प्रयागराज में चकबंदी अधिकारी का कारनामा, एक परिवार के नाम कर दी 239 बीघा जमीन

प्रयागराज में एक परिवार के नाम 239 बीघा जमीन करने का मामला इस समय सुर्खियों में है. मामला 27 साल पुराना है. वर्तमान में चकबंदी विभाग में अपर निदेशक तरुण कुमार मिश्र, जो 1997 में जिले में चकबंदी अधिकारी थे, उन्होंने ये जमीन एक परिवार के नाम कर दी थी. अब इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में अभिलेखों में हेराफेरी करके सरकारी जमीनों का बंदरबांट करने का चौकाने वाला मामला सामने आया है. जिले के सोरांव में 27 साल पहले तैनात तत्कालीन चकबंदी अधिकारी पर एक ही परिवार के नाम 239 बीघा जमीन कर देने का आरोप लगा है. जमीन की वर्तमान कीमत करोड़ों में बताई जा रही है. मामला प्रमुख सचिव चकबंदी के पास पहुंचा है, जिसके बाद उन्होंने फिर से मामले में जांच के आदेश जारी किए हैं.

पूरा मामला प्रयागराज जिले के सोरांव तहसील के गांव उमरिया बादल गांव का है. गांव की 238 बीघा 19 बिस्वा दो धूर जमीन सन् 1964 तक अभिलेखों में ऊसर में दर्ज थी. 1975 में ग्राम प्रधान के बयान के आधार पर उसको विक्रमाजीत के नाम दर्ज कर दिया गया था. उस दौरान आदेश के खिलाफ ग्रामीणों ने शिकायत की थी. इस जमीन का मामला चकबंदी अधिकारी की कोर्ट में कई वर्ष तक चला था.

सुप्रीम कोर्ट का क्या है निर्देश?

1997 में तत्कालीन चकबंदी अधिकारी तरुण कुमार मिश्र जो वर्तमान में चकबंदी विभाग में अपर निदेशक हैं ने इसको विक्रमाजीत के बेटे अमर सिंह और रघुवीर सिंह के नाम कर दिया. इसके बाद दोनों ने जमीन पर कब्जा कर लिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार तालाब, पोखर, ऊसर, आबादी, ग्रामसभा आदि जमीनों को किसी के नाम नहीं किया जा सकता है. सीओ के आदेश के खिलाफ 2018 में एसओसी से शिकायत की गई.

2022 में रद्द किया गया था आदेश

चार वर्ष बाद 23 जुलाई 2022 को तत्कालीन एसओसी पुष्कर श्रीवास्तव ने 1997 के सीओ के आदेश को रद्द कर दिया. उस जमीन को फिर से ऊसर में दर्ज कर दिया, लेकिन वहां से कब्जा खाली नहीं करवाया गया. जमीन पर ग्रामीण काबिज हैं. मामले की शिकायत चकबंदी के प्रमुख सचिव पी. गुरुप्रसाद से हुई. उन्होंने जांच के लिए कमिश्नर प्रयागराज को पत्र भेजा. कमिश्नर ने 18 अप्रैल को उप संचालक चकबंदी (डीसीसी) को जांच के लिए निर्देशित किया है.

मामले की जांच के आदेश फिर से दिए गए

मामले में एसओसी प्रयागराज आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि उमरिया बादल गांव की 239 बीघा जमीन वर्षों से विवादित है. उस जमीन पर ग्रामीण काबिज हैं. पूर्व का आदेश 2022 में रद्द कर दिया गया था. उस मामले में अब फिर से जांच के आदेश दिए गए हैं.