त्योहारों से पहले 4% सस्ती हुई अरहर दाल, जानें चना और मसूर की कीमत में कितनी आई गिरावट
देश में मसूर दाल की खपत 2.4 मिलियन मीट्रिक टन है, जबकि उत्पादन महज 1.2 मिलियन मीट्रिक टन ही है. ऐसे में मसूर दाल का भी आयात किया जाता है. कनाडा भारत के लिए मसूर दाल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है.
दुर्गा पूजा और दिवाली से पहले महंगाई के मोर्चे पर आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है. दाल की कीमतों में 4 फीसदी की गिरावट आई है. इससे थोक मार्केट में अरहर और मसूर दाल के रेट पर असर पड़ा है. कहा जा रहा है कि अरहर और मसूर के आयात बढ़ने और सरकार द्वारा जमाखोरी पर सख्ती बरतने की वजह से दालों की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है. ऐसे में आम जनता को उम्मीद है कि दिवाली आते- आते दालें और सस्ती हो सकती हैं.
जानकारी के मुताबिक, अरहर दाल की कीमत में 4 प्रतिशत की कमी आई है. इसके बावजूद भी चना दाल मार्केट में अभी सबसे सस्ती दाल है. इसकी कीमत में भी 4% की गिरावट दर्ज की गई है. जबकि बढ़ते आयात और कम मांग के चलते मसूर की कीमत में 2% से अधिक की नरमी आई है. आईपीजीए के अनुसार, सुस्त मांग और अफ्रीका से आपूर्ति में अनुमानित बढ़ोतरी की वजह इस सप्ताह अरहर की कीमतों पर दबाव रहने की उम्मीद है.
हालांकि, चना दाल की कीमतों में और गिरावट आ सकती है. क्योंकि सरकारी एजेंसी राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) इसे कम दरों पर बेच रही है. हालांकि, उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने पर दालों की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी भी हो सकती है.
रेट 170 रुपये किलो के पार पहुंच गया
दरअसल, पिछले कई महीनों से दलहन की कीमतों में आग लगी हुई है. खास कर अरहर की दाल सस्ती होने के बजाए महंगी ही होती जा रही थी. ऐसे में केंद्र सरकार को दालों की कालाबाजारी रोकने के लिए अरहर सहित कई तरह की दालों के लिए स्टॉक लिमिट तय करनी पड़ी. महंगाई का आलम यह है कि दिल्ली में अरहर दाल का रेट 170 रुपये किलो के पार पहुंच गया. ऐसे में सरकार के ऊपर कीमतों को नियंत्रित करने के लिए दबाव बढ़ रहा था. यही वजह है कि सरकार ने दालों का स्टॉक बढ़ाने के लिए निर्यात में तेजी लाई.
7.6 लाख टन अरहर दाल का इम्पोर्ट किया गया था
बता दें कि देश में अरहर दाल का उत्पादन डिमांड के मुकाबले काफी कम है. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार विदेशों से दलहन का आयात करती है. साल 2021-22 के दौरान देश में 42.20 लाख टन का अरहर दाल का उत्पादन हुआ था. जबकि, फसल सीजन 2022-23 में यह आंकड़ा गिरकर 34.30 लाख टन पर पहुंच गया. हालांकि, देश में हर साल 45 लाख टन अरहर दाल की खपत होती है. ऐसे में सरकार अफ्रीकी देशों से अरहर दाल की आयात करती है. साल 2021- 22 में 7.6 लाख टन अरहर दाल का इम्पोर्ट किया गया था.
इस बार इसका आंकड़ा और बढ़ सकता है
भारत सरकार कनाडा से ही सबसे अधिक मसूर दाल का आयात करती है. पिछले साल 8.58 लाख टन मसूर दाल का आयात किया गया था. इस बार इसका आंकड़ा और बढ़ सकता है.