वित्त और नीति आयोग की आपत्तियों को किया ‘इग्नोर’, अडानी ग्रुप को दिए गए 6 एयरपोर्ट्स
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कल कहा था कि संसद में अडानी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरसंभव कोशिश करेंगे और देश को जानना चाहिए कि अरबपति उद्योगपति के पीछे कौन सी ताकत है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से एक बार फिर अडानी ग्रुप को लेकर केंद्र पर तीखा हमला किया गया है. अडानी समूह के उड्डयन (Aviation) क्षेत्र में मिली अपार कामयाबी को लेकर संसद में राहुल गांधी ने जमकर हमला बोला. राहुल का भाषण इस बात पर केंद्रित था कि अहमदाबाद स्थित ग्रुप के इस सेक्टर में कथित रूप से एंट्री की सुविधा के लिए नियमों में खासा बदलाव किए गए और कई एजेंसियों द्वारा मुंबई एयरपोर्ट के ऑपरेटर को बाहर करने के लिए दबाव बनाने आरोप लगाया, फिर इसे अडानी को सौंप दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, मुंद्रा में एक निजी हवाई-पट्टी चलाने से लेकर, हासिल किए एयरपोर्ट्स की संख्या के मामले में देश का सबसे बड़ा प्राइवेट डेवलपर और यात्री यातायात के मामले में दूसरा सबसे बड़ा ग्रुप, अडानी ग्रुप के लिए यह सब कुछ महज 24 महीनों से भी कम समय के अंदर हो गया. एयरपोर्ट सेक्टर में ग्रुप की एंट्री तब हुई जब केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने 2019 की एयरपोर्ट की बोली प्रक्रिया के संबंध में आपत्तियां दर्ज कराई, हालांकि जिन्हें बाद में खारिज कर दिया गया. इस फैसले से अडानी ग्रुप द्वारा प्रस्तावित छह एयरपोर्ट हासिल करने का रास्ता साफ हो गया.
6 एयरपोर्ट्स के लिए 2018 में हुई थी चर्चा
अहमदाबाद, लखनऊ, मंगलुरू, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम में एयरपोर्ट्स के निजीकरण के लिए बोलियां आमंत्रित करने से पहले ही केंद्र की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रैजल कमिटी (पीपीपीएसी) ने 11 दिसंबर, 2018 को इस प्रक्रिया के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के प्रस्ताव पर चर्चा की थी.
इन चर्चाओं के दौरान आयोजित बैठक में आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs, DEA) की ओर से एक नोट में कहा गया- “ये छह एयरपोर्ट प्रोजेक्ट्स अत्यधिक पूंजी वाले प्रोजेक्ट्स हैं, इसलिए इस मामले को लेकर यह सुझाव है कि उच्च वित्तीय जोखिम और प्रदर्शन के मुद्दों को ध्यान में रखते हुए एक ही बोलीदाता को 2 से ज्यादा से प्रोजेक्ट्स नहीं दी जानी चाहिए. इसे अलग-अलग कंपनियों को दिए जाने से यार्डस्टिक कंपीटिशन में भी सुविधा होगी. डीईए का यह नोट 10 दिसंबर 2018, पीपीपीएसी को आर्थिक मामलों के विभाग के पीपीपी सेल में एक निदेशक की ओर से प्रस्तुत किया गया था.
DEA ने जताई थी चिंता
अपने नोट में इस बात का भी जिक्र किया कि आर्थिक मामलों के विभाग ने दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट्स के उदाहरण का हवाला दिया, जहां मूल रूप से एकमात्र योग्य बोलीदाता होने के बावजूद जीएमआर को दोनों एयरपोर्ट नहीं दिए गए थे. इसने दिल्ली के बिजली वितरण के निजीकरण का भी उल्लेख किया, जहां राजधानी को तीन क्षेत्रों में बांट दिया गया था और इसका ठेका दो अलग-अलग कंपनियों को दे दिया गया था. पीपीपीएसी की बैठक के अनुसार, डीईए द्वारा उठाए गए इस सवाल पर कोई चर्चा नहीं की गई.
उसी दिन डीईए नोट के रूप में, नीति आयोग की ओर से भी एयरपोर्ट की बोली के संबंध में एक अलग चिंता जताई गई. सरकार के प्रमुख पॉलिसी थिंक-टैंक के पीपीपी वर्टिकल द्वारा तैयार एक मेमो में कहा गया, “पर्याप्त तकनीकी क्षमता की कमी वाले बोलीदाता प्रोजेक्ट्स को खतरे में डाल सकते हैं और सर्विस की गुणवत्ता से समझौता कर सकते हैं जिसे सरकार मुहैया करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
कई दिग्गज कंपनियां पिछड़ गईं
इसके जवाब में तत्कालीन डीईए सचिव की अध्यक्षता में पीपीपीएसी की ओर से कहा गया कि ईजीओएस (empowered group of secretaries) ने पहले ही फैसला कर लिया था कि “एयरपोर्ट के पूर्व अनुभव को न तो बोली लगाने के लिए एक शर्त बनाया जा सकता है, न ही बोली के बाद की जरुरत. इससे ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट्स के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो पहले से ही काम कर रहे हैं.
फिर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) द्वारा संचालित छह एयरपोर्ट्स के लिए बोली प्रक्रिया के दौरान, अडानी ग्रुप ने अपने कई प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया, जिसमें जीएमआर ग्रुप, ज्यूरिख एयरपोर्ट और कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड जैसे बेहद अनुभवी ग्रुप शामिल थे.
छह एयरपोर्ट्स के लिए बोलियां जीतने के एक साल बाद, अडानी ग्रुप के खाते में एक और बड़ा करार आया. ग्रुप ने फरवरी 2020 में अहमदाबाद, मंगलुरु और लखनऊ एयरपोर्ट्स के लिए रियायती समझौतों पर हस्ताक्षर कर दिए.
राहुल गांधी का करारा हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कल सोमवार को लोकसभा में कहा था कि संसद में अडानी मुद्दे पर चर्चा नहीं होने देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरसंभव कोशिश करेंगे और देश को जानना चाहिए कि अरबपति उद्योगपति के पीछे कौन सी ताकत है.
राहुल ने दिल्ली में कहा, “संसद में अडानी जी पर चर्चा नहीं होने देने के लिए मोदी जी हरसंभव प्रयास करेंगे. इसकी एक वजह है और आप उसे जानते हैं. मैं चाहता हूं कि अडानी के मसले पर चर्चा होनी चाहिए और सच सामने आना चाहिए. लाखों और करोड़ों का भ्रष्टाचार सामने आना चाहिए. देश को पता चलना चाहिए कि अडानी के पीछे कौन सी ताकत है.” उन्होंने कहा, “कई साल से मैं सरकार के बारे में और हम दो, हमारे दो के बारे में बात करता आ रहा हूं. सरकार नहीं चाहती कि अडानी मामले पर संसद में चर्चा हो क्योंकि वह डरी हुई है. सरकार को संसद में चर्चा करानी चाहिए लेकिन इससे बचने के प्रयास किए जाएंगे.”
इनपुट- एजेंसी/ भाषा