20 हजार करोड़ के सोलर इंसेंटिव पर टाटा और रिलायंस की नजर, होगा दिलचस्प मुकाबला
इस इंसेंटिव को पाने के लिए दूसरी कंपनियों में अमेरिकी फर्म फर्स्ट सोलर इंक, जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड, अवादा ग्रुप और रिन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी शामिल हैं.
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) और टाटा पॉवर कंपनी सहित कई सोलर मॉड्यूल मेकर्स की नजर सरकार के करीब 20 हजार करोड़ रुपये के सोलर इंसेंटिव (Solar Incentives) पर गड़ी हुई है. इन तमाम कंपनियों ने इस सेक्टर के लिए फाइनेंशियल इंसेंटिव पाने को बोली लगाई है. इस इंसेंटिव की वजह से देश में सोलर पैनल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने में मदद मिलेगी और चीन से इंपोर्ट पर लगाम लगेगी.
इस इंसेंटिव को पाने के लिए दूसरी कंपनियों में अमेरिकी फर्म फर्स्ट सोलर इंक, जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड, अवादा ग्रुप और रिन्यू एनर्जी ग्लोबल पीएलसी शामिल हैं. ईटी की रिपोर्ट में नाम न बताने की शर्त पर जानकारों ने बताया देश के सबसे बड़े सौलर पैनल मेकर्स में से एक अडानी ग्रुप बोली लगाने वालों की लिस्ट में नहीं है.
चीन का विकल्प बनने की तैयारी
यह फाइनेंशियल हेल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को एक मैन्युफैक्चरिंग पॉवरहाउस में बदलने, इकोनॉमी में रोजगार पैदा करने और विदेशी मुद्रा को खत्म करने वाले इंपोर्ट को कम करने के उद्देश्य का हिस्सा है. उनका “मेक इन इंडिया” कैंपेन महामारी के मद्देनजर सप्लाई चेन में विविधता लाने के ग्लोबल प्रेशर के बीच देश को चीन के विकल्प के रूप में प्रदर्शित करने का एक प्रयास है. सरकार देश की मॉड्यूल बनाने की क्षमता को 90 गीगावाट तक ले जाने के लिए ग्रांट ऑफर कर रही है.
किसी का नहीं आया बयान
बिजली मंत्री राज कुमार सिंह ने पिछले महीने कहा था कि उनका मंत्रालय परियोजनाओं को गति देने के लिए मॉड्यूल इंपोर्ट के लिए अस्थायी रूप से विराम लगाने पर विचार कर रहा है. रिलायंस, अवादा ग्रुप और जेएसडब्ल्यू एनर्जी के प्रवक्ता ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. अक्षय ऊर्जा मंत्रालय, अडानी, टाटा पॉवर, रिन्यू और फर्स्ट सोलर की ओर से भी कोई जवाब नहीं आया. राज्य द्वारा संचालित सोलर एनर्जी कार्पोरेशन द्वारा आयोजित की जा रही बोलियां कई बार बढ़ाए जाने के बाद 28 फरवरी को बंद हो गईं. इंसेंटिव और प्रोजेैट्स से संबंधित डिटेल अभी तक अवेलेबल नहीं है.