अडानी-हिंडनबर्ग केस: जांच समिति में 6 सदस्य, कौन किस मामले में हैं एक्सपर्ट, पूरी डिटेल

अडानी-हिंडनबर्ग केस: जांच समिति में 6 सदस्य, कौन किस मामले में हैं एक्सपर्ट, पूरी डिटेल

Adani Hindenburg Case: जांच समिति गठित करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि बाजार नियामक SEBI भी इस मामले में अपनी जांच जारी रखेगी और रिपोर्ट सौंपेगी. सेबी को भी 2 महीने का समय दिया गया है.

अडानी-हिंडनबर्ग विवाद (Adani-Hindenburg Row) की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 6 सदस्‍यीय समिति का गठन कर दिया है. पूर्व जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की अध्‍यक्षता वाली इस समिति में 5 और सदस्‍य होंगे. इनमें पूर्व जस्टिस जेपी देवधर, नंदन नीलेकणि, केवी कामथ, ओपी भट्ट और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं. यानी इस समिति में कानून के जानकार भी हैं और टेक्‍नोक्रेट भी. समिति को दो महीने के भीतर जांच रिपोर्ट देने को कहा गया है. आइए जानते हैं, इन सदस्‍यों के बारे में विस्‍तार से.

जस्टिस जेपी देवधर: 8 अप्रैल 1951 को जन्‍मे जेपी देवधर ने कानून की पढ़ाई बॉम्‍बे यूनिवर्सिटी से की है. लॉ में डिग्री और पीजी के बाद उन्‍होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. 1982 से वो यूनियन ऑफ इंडिया के वकील हैं, जबकि 1985 से आयकर विभाग के भी वकील रहे हैं. अक्टूबर 2001 में उन्‍हें बॉम्बे हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाया गया था. 8 अप्रैल 2013 को वे रिटायर हुए.

नंदन नीलेकणि: देश में आधार कार्ड की शुरुआत करने वाले नंदन नीलेकणि ही हैं. वह UIDAI के चैयरमैन रह चुके हैं. 2 जून 1955 को जन्‍मे नंदन इन्फोसिस के को-फाउंडर रहे हैं. देश को यूपीआई, फास्टैग, जीएसटी जैसी टेक्नोलॉजी देने में उनका अहम रोल रहा है.

केवी कामथ: कर्नाटक से ताल्‍लुक रखने वाले केवी कामथ भी इन्फोसिस के चेयरमैन रह चुके हैं. 2 दिसंबर 1947 को जन्‍मे कामथ ने 1971 में आईआईएम अहमदाबाद से डिग्री ली थी. वो ICICI बैंक के नॉन एक्जक्यूटिव चेयरमैन रह चुके हैं.

ओपी भट्ट: टीसीएस यानी टाटा कंसलटेंसी सर्विस के डायरेक्टर ओपी भट्ट भी इस सुप्रीम समिति के सदस्‍य हैं. वो इंडियन बैंक एसोसिशन के चेयरमैन भी रह चुके हैं. स्टेट बैंक ग्रुप के चेयरमैन पद से वो रिटायर हुए थे.

सोमशेखर सुंदरसन: सोमशेखर का नाम पिछले साल तब चर्चा में आया था जब सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 फरवरी 2022 को उन्‍हें बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाए जाने का प्रस्‍ताव सरकार को भेजा था और सरकार ने इसे खारिज कर दिया था. सोमशेखर ने 1996 में गर्वनमेंट लॉ कॉलेज मुंबई से कानून की डिग्री ली है. इसके बाद पांच साल तक पत्रकारिता भी की है और फिर वो वकील बन गए.