सुनील सांगवान की BJP में एंट्री से क्या बाबिता फोगाट का बिगड़ेगा गेम? हरियाणा में बढ़ा सियासी टेंशन
हरियाणा में पूर्व जेलर सुनील सांगवान की बीजेपी में एंट्री से सियासी टेंशन बढ़ गई है. माना जा रहा है कि बीजेपी सुनील सांगवान को चरखी दादरी विधानसभा सीट से मैदान में उतार सकती है. इस सीट से बबिता फोगाट भी अपनी फील्डिंग सजा रही हैं और क्षेत्र में लगातार एक्टिव भी हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश बढ़ने के साथ ही नेताओं का दल बदल शुरू हो गया है. पूर्व मंत्री व टोहाना के विधायक देवेंद्र सिंह बबली और पूर्व जेलर सुनील सांगवान ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. गुरुग्राम के जेल अधीक्षक पद से वीआरएस लेने के बाद राजनीति में कदम रखने वाले सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान हरियाणा में मंत्री रहे चुके हैं. ऐसे में सुनील सांगवान के बीजेपी में एंट्री कहीं पार्टी की नेता बबीता फोगाट की सियासी टेंशन न बढ़ा दे?
गुरुग्राम के जिला जेलर सुनील सांगवान ने रविवार को वीआरएस के लिए आवेदन किया था, जिसे उसी दिन मंजूर कर लिया गया. सांगवान ने अपने 22 साल की सरकारी सेवा में कई जेलों के अधीक्षक के रूप में कार्य किया है, जिसमें रोहतक की सुनारिया जेल भी शामिल है, जहां डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम अपनी सजा काट रहा है. सोमवार को सुनील सांगवान बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह, हरियाणा के चुनाव सह-प्रभारी बिप्लब कुमार देब, प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली और राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली.
‘सुनील सांगवान के पिता का हरियाणा में जनाधार’
हरियाणा के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने कहा कि सुनील सांगवान के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी. सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान का हरियाणा में अपना सियासी जनाधार है, जो कई बार विधायक और मंत्री रह चुके हैं. वहीं, सुनील सांगवान ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी का सदस्य होना मेरे लिए गर्व और गौरव की बात है. जनसेवा के उद्देश्य से ही राजनीति में आया हूं और बीजेपी की नीतियों से प्रभावित होकर पार्टी में शामिल हुआ हूं.
सुनील सांगवान के चरखी दादरी विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. वह पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे हैं, जो दो महीने पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे. सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान 1996 में सियासत में आने से पहले दूरसंचार विभाग में उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) थे. सुनील की तरह वह भी नौकरी से इस्तीफा देकर राजनीति में आए थे. सतपाल सांगवान को पूर्व सीएम बंसीलाल राजनीति में लेकर आए थे और हरियाणा विकास पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चरखी दादरी सीट से चुनाव लड़ाकर विधायक बनाया था. इसीलिए सुनील सांगवान के भी चरखी दादरी से चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं.
सांगवान की एंट्री से बबीता फोगाट की टेंशन
सुनील सांगवान ने जिस तरह आनन-फानन में वीआरएस लेकर बीजेपी का दामन थामा है, उससे यह बात साफ है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से उतरने का फैसला कर रखा है. ऐसे में वो अपने पिता की सियासी कर्मभूमि रही चरखी-दादरी सीट से किस्मत आजमा सकते हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी के टिकट पर पहलवान बबीता फोगाट ने राजनीति में कदम रखा था. इसके बाद चरखी-दादरी विधानसभा सीट से मैदान में उतरी थीं, लेकिन जीत नहीं सकी थीं.
चरखी-दादरी सीट पर 2019 में निर्दलीय सोमबीर सांगवान विधायक चुने गए. जेजेपी के टिकट पर सतपाल सांगवान चुनाव लड़े थे, जिन्हें 29577 वोट मिले थे और दूसरे नंबर पर थे. बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने वालीं बबीता फोगाट को 24 हजार 786 वोट मिले थे और वो तीसरे नंबर पर रहीं. ऐसे में अब सतपाल सांगवान और उनके बेटे सुनील सांगवान दोनों ही बीजेपी में हैं, जिसके चलते चरखी-दादरी सीट पर बीजेपी के टिकट को लेकर सियासी संग्राम छिड़ सकता है.
बीजेपी फोगाट और सांगवान किस पर खेलेगी दांव
बबीता फोगाट ने चरखी-दादरी सीट पर अपने सियासी अभियान को तेज कर दिया है, लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं. इस तरह एक बार फिर से टिकट की चाहत में है, लेकिन सुनील सांगवान के आने से उनकी टेंशन बढ़ सकती है. सुनील सांगवान भी चरखी-दादरी सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं. कांग्रेस से पहलवान विनेश फोगाट के चुनाव लड़ने की संभावना है. विनेश फोगाट पेरिस ओलंपिक से वापसी के बाद ज्यादातर विपक्षी खेमे से जुड़ी हुई हैं. विनेश ने हाल ही में शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों से जाकर मुलाकात की और उन्हें समर्थन दिया. विनेश फोगाट के सक्रियता ने बबीता फोगाट की सियासी चमक फीकी पड़ती जा रही है.
सांगवान को लेकर क्या है बीजेपी की रणनीति?
महिला पहलवानों के आंदोलन के दौरान बबीता फोगाट ने खुलकर बीजेपी और सरकार का समर्थन किया था. ऐसे में बीजेपी को लग रहा है कि बबीता फोगाट चरखी-दादरी से चुनावी मैदान में उतरती हैं तो जीतना संभव नहीं है. इसीलिए बीजेपी ने सुनील सांगवान को साथ लिया है और अब उनके चुनाव लड़ने की चर्चा तेज हो गई है. सुनील सांगवान के पिता सतपाल सांगवान को पूर्व सीएम बंसीलाल को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे और उनके करीबी भी थे. बंसीलाल का सियासी परिवार अब भाजपा के साथ है, और उनकी राजनीतिक विरासत को किरण चौधरी आगे बढ़ा रही हैं, जिन्हें बीजेपी ने हाल ही में राज्यसभा भेजा है.
2014 में चुनाव हार गए थे सतपाल सांगवान
सतपाल सांगवान 1996 में चरखी दादरी सीट से हरियाणा विकास पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए थे. इसके बाद 2009 में हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर सतपाल सांगवान विधायक बने. इसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए थे. 2014 के चुनाव में सतपाल सांगवान कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं सके. 2019 में कांग्रेस ने सतपाल को टिकट नहीं दिया तो वो जेजेपी में शामिल हो गए. चरखी-दादरी से जेजेपी टिकट पर वो चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके. किरण चौधरी के बीजेपी में आने से सतपाल सांगवान का सियासी कद बीजेपी में बढ़ना तय है. इसीलिए माना जा रहा है कि सुनील सांगवान को बीजेपी चरखी दादरी सीट से चुनावी मैदान में उतार सकती है.