गहलोत का मास्टरस्ट्रोक! सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनवा चला ये बड़ा दांव

गहलोत का मास्टरस्ट्रोक! सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनवा चला ये बड़ा दांव

चुनाव में कांग्रेस की पराजय के बाद राजस्थान की सियासत के जादूगर माने जाने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने फिर से मास्टर स्ट्रोक दांव चला है. संगठन में हुए बड़े बदलाव के बाद से राजस्थान की राजनीति से दूर हुए सचिन पायलट के बाद राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत का ही दबदबा देखने को मिल रहा है.

राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद आलाकमान ने पार्टी नेतृत्व में बड़े फेरबदल किए हैं. कई राज्यों के प्रभारी बदले गए हैं और कुछ को हटाया भी गया है. राजस्थान के जादूगर कहे जाने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत को भी पिछले दिनों विपक्षी अलायंस कमेटी का सदस्य बनाया गया है. साथ ही कांग्रेस के स्टार प्रचारक सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाया गया है.

संगठन में हुए बड़े बदलाव के बाद से ही राजस्थान की राजनीति से दूर हुए सचिन पायलट के बाद राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत का ही दबदबा देखने को मिल रहा है. वह राजधानी में रहकर तीनों राज्यों में कांग्रेस की रणनीति तय करेंगे, जबकि पायलट अब पांच महीनों तक छत्तीसगढ़ में ही व्यस्त रहने वाले हैं.

हार के बाद प्रदेश संगठन में बदलाव नहीं

दूसरी ओर, विधान सभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश संगठन में कोई फेरबदल नहीं किया गया है. कांग्रेस के फायर ब्रांड नेता गोविद सिंह डोटासरा प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर कायम हैं और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी बरकरार रखा गया है.

राजस्थान में 25 सितंबर 2022 को हुए कांग्रेस में बवंडर के दौरान गहलोत गुट के विधायकों ने तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन पर सचिन पायलट की तरफदारी करने का बड़ा आरोप लगाया था, जिसके बाद अजय माकन ने अपने पद से इस्तीफा दिया था. साथ ही ये जिम्मेदारी जादूगर गहलोत के करीबी माने जाने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा को प्रदेश प्रभारी की ज़िम्मेदारी सौपी गई.

राजस्थान की राजनीति से दूर हुए पायलट

राजस्थान में पायलट फैक्टर कैसे काम करता है. पिछली बार पायलट को मुख्यमंत्री के रूप में देखने की चाह में गुर्जर समाज ने कांग्रेस पार्टी को गुर्जर बहुल्य इलाकों से ऐतिहसिक जीत दिलाई थी, लेकिन 5 साल तक पायलट और जादूगर गहलोत के बीच चल रहे कुर्सी के खेल में उनका ये ख्वाब पूरा नही हो पाया. गुर्जर समाज नाराजगी का खासा असर विधानसभा चुनाव में देखने को मिला है.

पायलट को फिर से राजस्थान की राजनीति से दूर करने की कोशिश की है, जिसका खामियाजा फिर से लोकसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है, क्योंकि पायलट को छत्तीसगढ़ प्रभारी बनाने के बाद गुर्जर समाज में कहीं न कहीं यही मैसेज जा रहा है कि जादूगर गहलोत को फिर से राजस्थान की कामन देकर पायलट को राजस्थान की राजनीति से दूर करने की कोशिश की गई है.अब देखने वाली बात यह होगी कि आने वाले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस मार्शल वोटबैंक माने जानेवाले गुर्जर समाज को कैसे साध पाएगी?