‘हिंदू त्योहारों से ही आपत्ति क्यों’… पटाखा जलाने के विरोध में बयानबाजी पर भड़के बाबा बागेश्वर

‘हिंदू त्योहारों से ही आपत्ति क्यों’… पटाखा जलाने के विरोध में बयानबाजी पर भड़के बाबा बागेश्वर

बाबा बागेश्वर ने कहा कि अगर आतिशबाजी से पर्यावरण प्रदूषित होता है, किसी का पेट खराब होता है तो नए साल के अवसर पर पूरे विश्व में आतिशबाजी होती है तो किसी का भी पेट खराब नहीं होता है, न ही पर्यावरण प्रदूषित होता है. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म को ही निशाना बनाया जाता है, यह देश का दुर्भाग्य है.

दिवाली पर पटाखा फोटने का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. वहीं अब इस विवाद पर बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि सनातनी पर्व आते ही आलोचना करने वाले सक्रिय हो जाते हैं. लोग कहते हैं कि दिवाली पर दीये जलाने पर जितना तेल खर्च होता है वो अगर गरीबों में बांट दिया जाए तो उनका कल्याण हो जाएगा.

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सनातनी पर्व दिवाली को लेकर उठाए गए सवाल पर कहा कि लोग बोल रहे हैं कि आतिशबाजी होने पर पर्यावरण प्रदूषित होता है. बाबा बागेश्वर ने लोगों ने सवाल पूछते हुए कहा कि अन्य धर्मों के त्योहारों में जो आतिशबाजी होती है, जो जीव हत्या होती है उससे पर्यावरण संतुलन नहीं बिगड़ रहा है? उन्होंने कहा कि सनातनी पर्व आते ही कुछ लोगों का पेट खराब होने लगता है.

‘हिंदुओं को निशाना बनाना गलत’

बाबा बागेश्वर ने कहा कि अगर आतिशबाजी से पर्यावरण प्रदूषित होता है, किसी का पेट खराब होता है तो नए साल के अवसर पर पूरे विश्व में आतिशबाजी होती है तो किसी का भी पेट खराब नहीं होता है, न ही पर्यावरण प्रदूषित होता है. वहीं जब बकरीद मनाई जाती है तो किसी की भी जुबान नहीं खुलती. कितने बेजुबान जानवरों को कुर्बानी के नाम पर काट दिया जाता है. उतनी राशि गरीबों में बांट दी जाए तो गरीबों का भी कल्याण होगा और जीव हिंसा भी बचेगी. उन्होंने कहा कि सिर्फ सनातन हिंदू धर्म को ही निशाना बनाया जाता है, यह देश का दुर्भाग्य है.

बकरीद पर नहीं निकलती आवाज- बाबा बागेश्वर

बागेश्वर धाम के आचार्य पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने आगे भी सवाल उठाते हुए कहा कि नए साल में पूरे विश्व में आतिशबाजी होती है, तब कोई नहीं बोलता है न ही किसी की आवाज आती है कि इतनी आतिशबाजी से पर्यावरण को नुकसान होगा या जब बकरीद मनाई जाती है तब किसी की जुबान नहीं खुलती कि जितने कुर्बानी के नाम पर बकरे काटे जाएंगे तो पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा.