Raksha Bandhan 2024: 500 साल पुरानी, विदेशों में भी डिमांड; काशी की मीनाकारी राखी में ऐसा क्या है खास?

Raksha Bandhan 2024: 500 साल पुरानी, विदेशों में भी डिमांड; काशी की मीनाकारी राखी में ऐसा क्या है खास?

रक्षाबंधन पर गुलाबी मीनाकारी से तैयार राखियों की भारी डिमांड देखी गईं. बनारस से लगभग तीन करोड़ रुपयों की कीमत वाली लगभग पचीस हजार से ज्यादा राखियां देश और दुनियां में भेजी गईं. गुलाबी मीनाकारी के नेशनल अवार्ड पाने वाले कुंज बिहारी बताते हैं कि पिछले तीन महीनों से लगातार काम करने के बाद वो दस हजार से ज्यादा राखियां देश और दुनियां के अलग-अलग हिस्सों में भेज पाए हैं.

रक्षाबंधन पर यूं तो हर तरह की राखियाँ बाजार में हैं. लेकिन आपने कल्पना की है कि जब प्लास्टिक और सिंथेटिक चीजों का अस्तित्व नही था तब राखियाँ कैसे तैयार होती थीं? तब प्राचीन शिल्प के कारीगर इसको तैयार करते थे. सोने चांदी और महंगे पत्थरों से ये राखियाँ तैयार की जाती थीं. बनारस के गायघाट इलाके में पिछले पांच सौ साल से गुलाबी मीनाकारी का काम करने वाले कारीगर रहते हैं. हालांकि ये विधा बहुत महंगी होने की वजह से लगभग दम तोड़ चुकी थी लेकिन पिछले दस सालों में सरकार के प्रयास से ये फिर से जिंदा हुई है.

इस बार रक्षाबंधन पर गुलाबी मीनाकारी से तैयार राखियों की भारी डिमांड देखी गईं. बनारस से लगभग तीन करोड़ रुपयों की कीमत वाली लगभग पचीस हजार से ज्यादा राखियां देश और दुनियां में भेजी गईं. गुलाबी मीनाकारी के नेशनल अवार्ड पाने वाले कुंज बिहारी बताते हैं कि पिछले तीन महीनों से लगातार काम करने के बाद वो दस हजार से ज्यादा राखियां देश और दुनियां के अलग-अलग हिस्सों में भेज पाए हैं. देश में सबसे ज्यादा डिमांड बड़े शहरों से आईं जबकि यूरोप और अमरीका से भी भारी डिमांड आई.

चांदी के बेस पर महंगे पत्थरों से तैयार की गईं हैं राखियां

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कुंज बिहारी बताते हैं कि मीनाकारी की राखियां ऑन डिमांड बनाई जाती हैं. ज्यादातर लोग नाम वाली और महंगे पत्थरों वाली राखियाँ पसंद करते हैं. चांदी के बेस पर सोने और महंगे पत्थरों से ये राखियां तैयार होती हैं. पत्थरों में माणिक, पुखराज और नीलम तक की मांग की जाती हैं. मुंबई के एक कारोबारी ने तो हीरे की राखी बनवाई जिसकी कीमत लगभग ढाई लाख रूपये थी.

राखियां बन जाती हैं ब्रेसलेट और ईयर रिंग

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कुंज बिहारी बताते हैं कि ये सारी राखियाँ इस तरीके से बनाई जाती हैं कि राखी बीतने के बाद इनको ईयर रिंग और ब्रासलेट के तौर पर भी पहना जा सकता है.” एक पंथ दो काज” वाली टेक्निक ने राखियों की डिमांड बढ़ा दी हैं. बहन पहले अपने भाई की कलाई पर मीनाकारी वाली राखी बांधती है और त्यौहार के बाद इसको ईयर रिंग और ब्रासलेट के तौर पर इस्तेमाल करती हैं.