महाराष्ट्र सरकार को HC से झटका, राष्ट्रपति से सम्मानित पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी मामले में मुआवजा देने का निर्देश

महाराष्ट्र सरकार को HC से झटका, राष्ट्रपति से सम्मानित पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी मामले में मुआवजा देने का निर्देश

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुलिसकर्मी की अवैध गिरफ्तारी पर दो लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया. 2009 में हत्या के एक मामले की जांच के बाद 2012 में उन्हें सबूत नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

बंबई हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले की गलत जांच के कारण गिरफ्तार राष्ट्रपति पदक से सम्मानित पुलिसकर्मी की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए महाराष्ट्र सरकार को उसे दो लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया. कोर्ट ने इस मामले में सतारा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जांच का आदेश भी दिया है.

दरअसल, पीड़ित पुलिसकर्मी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ लगे आरोपों को खारिज करने और 10 लाख रुपये मुआवजा देने की मांग की थी.

क्या था मामला

पीड़ित पाटिल 2009 में सतारा जिले के कराड शहर में पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी थे. इस दौरान एक हत्या की जांच उन्होंने की थी. उनके तबादले के बाद इस मामले की जांच दूसरे पुलिस अधिकारी को सौंप दी गई. 2012 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने उन्हें इस मामले से जुड़ी जानकारी देने के लिए अपने कार्यालय बुलाया.

जब पाटिल कार्यालय पहुंचे, तो पुलिस ने उन्हें बताया कि उन्हें जांच सही से न करने और सबूतों को नष्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. अगले दिन पाटिल को रिमांड के लिए कोर्ट में पेश किया गया, जहां उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि उन्हें अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था.

असाधारण है मामला

जस्टिस एएस चंदुरकर और जस्टिस राजेश पाटिल की खंडपीठ ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी को अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया था. कोर्ट ने इसे असाधारण मामला बताते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं थी, इसमें जमानत दी जा सकती थी. कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को गिरफ्तारी के बाद पुलिस अधीक्षक के सामने पेश करना चाहिए था.

मुआवजा पाने का हकदार

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी गिरफ्तारी के आधार पर मुआवजे की मांग की है और दावा किया है कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन था. कोर्ट ने कहा कि पाटिल को उनकी सराहनीय सेवा के लिए जनवरी 2004 में राष्ट्रपति पुलिस पदक और उत्कृष्ट सेवा के लिए पुलिस महानिदेशक के प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया थाय

इस आधार पर याचिकाकर्ता राज्य सरकार से दो लाख रुपये का मुआवजा पाने का हकदार है. कोर्ट ने पाटिल को आठ हफ्ते में मुआवजे की राशि देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार दोषी अधिकारी से यह रकम वसूलने के लिए स्वतंत्र है.