चोर का पश्चाताप: कृष्ण मंदिर से चोरी का माल 9 साल बाद ‘गीता’ पढ़कर लौटा आया

चोर का पश्चाताप: कृष्ण मंदिर से चोरी का माल 9 साल बाद ‘गीता’ पढ़कर लौटा आया

चोर ने गोपीनाथ कृष्ण मंदिर से कृष्ण भगवान के ही आभूषण चोरी कर लिए थे. अब 9 साल बाद चोर ने, गोपीनाथ मंदिर में वो सब कीमती आभूषण चुपचाप वापस जाकर रख दिए. इस हैरतअंगेज किस्से की बात तब खुली जब चोर द्वारा लौटाए गए सामान के भीतर दो छोटी सी परची रखी मिलीं.

भले ही क्यों न घोर कलियुग चल रहा हो. वो कलियुग जहां स्वार्थ में अंधा इंसान रिश्ते-नाते, खून के संबंधों को भी तार-तार करने पर उतारू हो. ऐसे में भी मगर गीता से महा-पवित्र महाग्रंथ की अहमियत अभी कम नहीं हुई है. गीता की महत्तता से जुड़ी एक बानगी किसी आम आदमी ने नहीं, बल्कि एक चोर ने साबित की है. उस चोर ने जिसने मंदिर से 9 साल पहले चुराया सामान, सिर्फ इस आधार पर 9 साल बाद ले जाकर मंदिर में ही वापस रख दिया. क्योंकि इस चोर ने ‘गीता’ जैसे महान ग्रंथ में चोरी-छल-कपट को सबसे बड़ा ‘पाप’ पढ़ लिया.

डाकू अंगुलिमाल के हृदय परिवर्तन के सच्चे किस्से के बाद, इस तरह किसी अपराधी प्रवृत्ति के शख्स की मनोदशा बदलने का उदाहरण बहुत कम ही देखने-सुनने को मिलते हैं. कह सकते हैं कि अपने अवगुणों-बुरे कामों का ऐसा प्रायश्चित आज की लूट-खसोट वाली दुनिया में, शायद ही कभी किसी के हिस्से में जल्दी या आसानी से आता होगा. यह दिलचस्प मगर विचारणीय सच्चा वाकया है ओडिशा के भुवनेश्वर का. जहां इस चोर ने गोपीनाथ मंदिर में 9 साल पहले की चोरी की घटना पर प्रायश्चित करने की ठानी 9 साल बाद.

इस चोर ने गोपीनाथ कृष्ण मंदिर से कृष्ण भगवान के ही आभूषण चोरी कर लिए थे. अब 9 साल बाद चोर ने, गोपीनाथ मंदिर में वो सब कीमती आभूषण चुपचाप वापस जाकर रख दिए. इस हैरतअंगेज किस्से की बात तब खुली जब चोर द्वारा लौटाए गए सामान के भीतर दो छोटी सी परची रखी मिलीं. जिनमें से एक पर अंग्रेजी में लिखा था Sorry सॉरी . दूसरे नोट में लिखा है कि, “मैं अपना नाम, पता नहीं बता सकता हूं. कृष्ण भगवान के जो आभूषण मैंने 9 साल पहले चुराए थे, वे वापस करके जा रहा हूं. यह आभूषण मंदिर के बराबर में स्थित घर के बाहर एक थैले में रखे हुए हैं.”

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जब थैले को खोलकर देखा गया तो उसके भीतर वे ही सब आभूषण (टोपी, कान की बाली, कंगन और बांसुरी) रखे मिले, जो कृष्ण मंदिर (गोपीनाथ मंदिर) से 9 साल पहले चोरी हुए थे. यह आभूषण राधा-कृष्ण के हैं. जिनकी आज कीमत लाखों में है. और तो और चोर द्वारा प्रायश्चित की यह हैरान करने वाली कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. चोर ने यह सब करते समय बैग के भीतर 301 रुपए भी छोड़े. जिनमें से उसने 201 रुपए मंदिर में चढ़ावे के बतौर छोड़े हैं. जबकि बाकी बचे 100 रुपए के बारे में चोर ने लिखा है कि यह 100 रुपए वो बतौर जुर्माना अदा कर रहा है.

यह चोरी साल 2014 के मई महीने में हुई थी. पश्चाताप की बात कबूलते हुए चोर ने माना कि मंदिर में चोरी के बाद से उसने इन 9 साल में काफी मुसीबतें झेली हैं. अब वो और मुसीबतें झेल पाने की हालत में नहीं है. दूसरे, गीता से महाग्रंथ में भी कर्मफल के बारे में काफी कुछ लिखा हुआ पढ़ा. लिहाजा चोर ने वो सब पढ़कर ही भगवान के सामने सरेंडर कर उनके चोरी किए आभूषण लौटाकर. भगवान से माफी मांग लेने में ही भलाई समझी.