ओम में ब्रह्मा, विष्णु और महेश…मदनी पर बोले बरेली के मौलाना- ‘इस्लाम है भारत का नया मजहब’
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि जिन मुस्लिम बादशाहों ने भारत में सत्ता सम्भाली उनकी रवादारी और जनता के साथ अच्छे व्यवहार किए. साथ ही सूफियों के भाई चारा के पैगाम ने इस्लाम को फल फूलने का अवसर मिला.
दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में जमीअत उलमा-ए-हिन्द की सभा में मौलाना अरशद मदनी ने विवादित बयान दिया. मदनी के बयान के बाद से पूरे भारत के संत महात्मा अपनी नाराजगी जता रहे हैं. वहीं, अब उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध दरगाह आला हजरत के प्रचारक मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. बता दें कि मौलाना ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बरेलवी मसलक के बड़े मजहबी रहनुमा और प्रचारक हैं.
रजवी ने कहा कि इस्लाम मजहब भारत का नया मजहब है. भारत में इस्लाम के आने से पहले कई मजहब मौजूद थे, जिनमें बुद्धिस्ट, जैनी और आर्यन मजहब का नाम लिया जा सकता है. मौलाना अरशद मदनी का ये कहना कि इस्लाम भारत का सबसे पुराना मजहब है, ये बात तारीखी हकीकत के खिलाफ है. इस्लामी तारीख तो ये बताती है कि इस्लाम भारत में आया हुआ नया मजहब है.
इस्लाम में सूफियों का अहम योगदान
साथ ही उन्होंने कहा कि जिन मुस्लिम बादशाहों ने भारत में सत्ता सम्भाली उनकी रवादारी और जनता के साथ अच्छे व्यवहार किए. साथ ही सूफियो के भाई चारा के पैगाम ने इस्लाम को फल फूलने का अवसर मिला. भारत में इस्लाम के प्रचार में सूफियो का ही अस्ल योगदान है, अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली में ख्वाजा निजामुद्दीन चिश्ती, बंगाल में सूफी हकपंडवी, उत्तर प्रदेश के बहारईच में मसूदगाजि, लाहौर( पाकिस्तान) में दाता गंज बक्स हजवेरी, चाटगाम (बंगलादेश) में मौलाना नक्श बंदी जैसे सूफीयो ने धर्म का प्रचार व प्रसारण किया, जिसकी वजह से भारत में इस्लाम फैला. इन सूफीयो के दरबार में सभी धर्मों के मानने वाले लोग अकीदत के साथ जाते थे. वो सभी को आशिर्वाद दे कर गले से लगाते थे. सूफियों के दरबार में मौहब्बत की बातें होती थी और नफरत से परहेज करते थे.
रजवी ने बताया ओम का मतलब
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि ओम और अल्लाह ये दो शब्द हैं, जिसके माने भी अलग – अलग हैं. ओम् तीन अक्षरों से बना हुआ एक शब्द है जो ब्रह्मा , विष्णु, महेश तीनों देवताओं का अवतार है. वो जात जिसका न बेटा है और न बेटी, और न ही कोई किसी से रिश्तेदारी न नातेदारी न जिस्म, वो हर चीज से पाक और बेनियाज है, उसको इस्लाम मजहब के अनुयाई अल्लाह कहते हैं. ये अरबी का शब्द है और इसी को फरसी शब्द में खुदा कहते हैं. ये दोनों शब्द अलग-अलग मायने रखते हैं. इनके अनुयाई भी अलग – अलग मजहब के लोग हैं. इन दोनों को साथ में जोड़कर देखना या समझना बहुत बड़ी गलती है.