रात में आते और घरों को तोड़ डालते…इस गांव में हाथियों का आतंक; 5 स्कूलों में छुट्टी का ऐलान

रात में आते और घरों को तोड़ डालते…इस गांव में हाथियों का आतंक; 5 स्कूलों में छुट्टी का ऐलान

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर में जंगली हाथी पिछले 10 दिनों से लोगों के घरों को तोड़ रहे हैं. साथ ही फसल भी बर्बाद कर रहे हैं. हाथियों के आतंक की वजह से जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से जिले के 5 स्कूलों को दो दिन तक बंद करने का ऐलान किया गया है.

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के वाड्रफनगर में जंगली हाथियों के आतंक से लोग दहशत में हैं. आलम ये है कि इन हाथियों के उत्पात के चलते यहां पांच स्कूलों को बंद कर दिया गया है. गांव वालों का कहना है कि जंगली हाथी दिन ढलते ही गांव में घुस जाते हैं. इसके बाद घरों में तोड़-फोड़ मचाना शुरू कर देते हैं. किसानों की काफी फसल भी अबतक बर्बाद कर चुके हैं. आरोप है कि वन विभाग की ओर से इन हाथियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया.

स्थानीय लोगों का कहना है कि वाड्रफनगर के ककनेसा में तीन हाथियों का यह ग्रुप पिछले दस दिनों से आतंक मचा रहा है. यह गांव जंगल से कुछ ही दूरी पर मौजूद है. हाथियों का यह दल घर में रखे अनाज की बोरियों को भी चट कर गया है. 23 फरवरी की रात भी हाथियों ने एक मकान जो कि इलाके के स्कूल के बिल्कुल नजदीक है, उसे भी तोड़ दिया. हाथियों के आतंक को देखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने आस-पास के पांच स्कूलों में दो दिन तक छुट्टी का ऐलान कर दिया है.

दिन ढलते ही घुस जाते हैं गांव में

जिन स्कूलों में छुट्टी का ऐलान हुआ है, उनमें धनजरा के मिडिल व प्राइमरी स्कूल,बेतरीपारा के प्राइमरी स्कूल शामिल और दो अन्य हैं. गांव वालों के मुताबिक, ये हाथी दिन-भर जंगल में रहते हैं, लेकिन शाम होते ही ये तीनों हाथी गांव की ओर चले आते हैं. हाथियों ने गेहूं और सब्जियों की फसल को बर्बाद कर दिया है.हाथी गांव के तीन घरों को भी तोड़ चुके हैं.

क्या बताया गांव वालों ने ?

जिला कलेक्टर की ओर से लोगों को जंगल की तरफ न जाने और जरूरत न पड़ने पर घर से नहीं निकलने की सलाह दी गई है. वहीं हाथियों के प्रकोप से गांव के लोग दहशत में हैं. साथ ही रात में जागने के लिए मजबूर हैं. यहां लोगों का मानना है कि वन विभाग और शासन-प्रशासन के पास फिलहाल हाथियों की समस्या के समाधान को लेकर कोई ठोस पहल नहीं होने की वजह से गांव के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.