RCA में OBC-EWS के छात्रों को भी मुफ्त कोचिंग? HC ने कहा- 4 हफ्ते में फैसला ले JMI
याचिकाकर्ता के वकील संजय पोद्दार और आकाश वाजपेई ने कोर्ट से कहा कि RCA की मौजूदा एडमिशन नीति मनमानी है. यह OBC और EWS छात्रों के साथ भेदभाव करती है. उनके पास सीमित वित्तीय साधन हैं और वे भी सिविल सेवा परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग के हकदार हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया मिलिया इस्लामिया से कहा कि वह अपनी आवासीय कोचिंग अकादमी ( RCA) में OBC (गैर-क्रीमी लेयर) श्रेणी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को नामांकन करने के मुद्दे पर दाखिल याचिका को बतौर प्रजेंटेशन समझते हुए उचित निर्णय ले.
दरअसल, याचिकाकर्ता ने कहा था कि RCA सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए एक मुफ्त कोचिंग कार्यक्रम है. वह केवल महिलाओं और अल्पसंख्यक या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों का नामांकन करता है. वहीं मनमाने ढंग से काम करते हुए दूसरी वंचित श्रेणियों को छोड़ देता है.
4 हफ्ते में फैसला लेने का निर्देश
दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता छात्र सत्यम सिंह ने बिना किसी पूर्व प्रतिवेदन के सीधे कोर्ट का रूख किया है. इस दशा में यह कोर्ट जामिया मिल्लिया इस्लामिया को इसे एक प्रतिवेदन के तौर पर मानने और कानून के मुताबिक 4 हफ्ते में फैसला लेने का निर्देश देता है.
OBC-EWS वर्ग के लोग भी पिछड़े
कोर्ट ने इसके साथ ही याचिका को निपटा दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि OBC और EWS वर्ग के लोग भी पिछड़े हैं. उन्हें मुफ्त कोचिंग का फायदा दिया जाना चाहिए. जामिया उन्हें कोचिंग की सुविधा दे क्योंकि OBC और EWS भी पिछड़े हैं.
RCA की एडमिशन नीति
याचिकाकर्ता के वकील संजय पोद्दार और आकाश वाजपेई ने कोर्ट से कहा कि RCA की मौजूदा एडमिशन नीति मनमानी है. यह OBC और EWS छात्रों के साथ भेदभाव करती है. उनके पास सीमित वित्तीय साधन हैं और वे भी सिविल सेवा परीक्षा के लिए मुफ्त कोचिंग के हकदार हैं.