…तो नहीं होती हाथरस में 121 मौतें, सत्संग हादसे के 12 सवाल, कौन देगा जवाब?
हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं कई घायल बताए जा रहे हैं. इस हादसे ने आयोजक, पुलिस और प्रशासन को सवालों के घेरे में ला दिया है. हालांकि, पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है. लेकिन इस प्राथमिकी में भी सत्संग करने वाले भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है.
उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलरई गांव में मंगलवार को भोले बाबा का सत्संग हो रहा था. समापन के बाद भगदड़ मच गई और 121 लोगों की मौत हो गई. हादसे में 40 से अधिक लोग घायल हैं, जिनका इलाज जिले के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है. श्रद्धालुओं के मुताबिक, यह हादसा होता ही नहीं, अगर वहां पर बेहतर व्यवस्था होती. हादसे के बाद सत्संग के आयोजक, पुलिस और प्रशासन सवालों के घेरे में हैं.
कार्यक्रम स्थल में कोई एग्जिट और इंट्री पॉइंट नहीं बनाया गया था. श्रद्धालु अपने हिसाब से कहीं से भी प्रवेश कर रहे थे. कोई इमरजेंसी रास्ता भी नहीं बनाया गया. वहां पर एक मेडिकल टीम मौजूद रहनी चाहिए थी, ताकि स्वास्थ्य बिगड़ने पर श्रद्धालुओं का प्राथमिक उपचार होता. लेकिन कोई स्वास्थ्यकर्मी वहां मौजूद ही नहीं था. साथ ही कोई एंबुलेंस की भी व्यवस्था नहीं थी.
भीड़ के हिसाब से पुलिसकर्मियों की तैनाती कम थी
लोग भीषण गर्मी और उमस से परेशान थे, लेकिन भीड़ के हिसाब से पंखे और कूलर की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई थी. वहीं मौके पर पुलिसकर्मियों की तैनाती भी कम थी. जहां से बाबा गुजरे, वहां पर बैरिकेडिंग होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं था. मौके पर खाने-पीने के भी कोई इंतजाम नहीं थे.
इन 12 सवालों का नहीं है किसी के पास जवाब
- एग्जिट और एंट्री पॉइंट क्यों नहीं बनाए गए?
- इमरजेंसी रास्ता क्यों नहीं बना?
- मौके पर मेडिकल टीम क्यों नहीं थी?
- कम से कम पांच एंबुलेंस होनी चाहिए थी, वह क्यों नहीं थी?
- भीड़ के हिसाब से कूलर और पंखे की व्यवस्था क्यों नहीं थी?
- पर्याप्त वालंटियर क्यों नहीं थे?
- प्रशासन की तरफ से फोर्स क्यों कम लगाई गई थी?
- खाने-पीने के क्यों उचित इंतजाम नहीं थे?
- जिस रास्ते से बाबा का काफिला गुजरा, वहां कोई बैरिकेडिंग क्यों नहीं थी?
- आयोजकों की ओर से जो परमिशन ली गई, उसमें सभी बातों का क्यों जिक्र नहीं किया गया?
- कम से कम 10 एकड़ जगह को बराबर करना था, जो नहीं किया गया?
- मैदान के चारों तरफ आने-जाने के रास्ते बनने थे, वह क्यों नहीं बनाए गए?
समागम स्थल पर पंडाल के भीतर की व्यवस्था बाबा की सिक्योरिटी टीम व वॉलिंटियर्स के हवाले थी. जिला प्रशासन ने भी बाबा के पूर्व के कार्यक्रमों को देखते हुए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए थे. एलआईयू के पास भी इतनी भीड़ आने का इनपुट नहीं था. इसी वजह से पुलिस बाहर से ही सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही थी. सिपाहियों की संख्या भी भीड़ के अनुपात में काफी कम थी.
सत्संग के समापन के बाद भीड़ हुई बेकाबू
लगभग ढाई लाख श्रद्धालु सत्संग में आए थे. दोपहर दो बजे जब सत्संग खत्म हुआ तो भोले बाबा का काफिला जाने लगा. इसी दौरान श्रद्धालु उनके चरणों की धूल छूने के लिए आगे बढ़े. इसी दौरान भीड़ बेकाबू हो गई. फिर भगदड़ मच गई. लोग एक-दूसरे को कुचलते गए.
पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
वहीं, पुलिस ने इस मामले में सेवादार और आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. हालांकि, इस प्राथमिकी में भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है. इस प्राथमिकी पर भी सवाल उठ रहे हैं. वहीं सीएम योगी ने इस हादसे की जांच के आदेश दिए हैं.