उमस से बेहाल दिल्ली, क्या इस हफ्ते भी नहीं बरसेंगे बदरा? ऐसा रहेगा मौसम
दिल्ली के लोग चिपचिपी गर्मी और उमस से काफी परेशान हैं. लंबे समय से बारिश के इंतजार में दिल्ली के लोग अभी भी बारिश के इंतजार में मायूस बैठे हैं. मौसम विभाग की मानें तो इस हफ्ते दिल्ली के मौसम की भविष्यवाणी कुछ इस तरह से की गई है.
उमस की मार झेल रही दिल्ली में फिलहाल बुधवार को हुई हल्की बारिश से राहत नहीं मिल पाई है. बल्कि हल्की बूंदाबांदी ने दिल्ली में उमस भरी गर्मी को और बढ़ा दिया है. जहां पहाड़ों पर बारिश हो रही है, वहीं दिल्ली के लोग तेज बारिश के इंतजार में हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, 18 जुलाई को दिल्ली में हल्की बारिश का अनुमान जताया गया है.
आज के साथ-साथ पूरे सप्ताह दिल्ली में बारिश की भविष्यवाणी की गई है. पिछले सप्ताह आसमान में काले बादलों के छाए रहने से ऐसा लगा कि राजधानी में झमाझम बारिश होगी, लेकिन बारिश तो नहीं हुई लोगों के इंतजार में जरूर पानी फिर गया. इस हफ्ते भी बारिश की हल्की बूंदा-बांदी ही देखने को मिलने के आसार हैं.
चिपचिपी गर्मी कर रही बेहाल
बिना बारिश के दिल्ली में चिपचिपी गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा है. मानसून का आना बस रिकॉर्ड में रह गया है, हकीकत में मानसून आने के बाद से दिल्ली में सिर्फ 2-3 दिन तक ही तेज बारिश देखने को मिली है, बाकी के समय में राजधानी में हल्की बारिश हुई है, जो कि उमस भरी गर्मी को बढ़ा रही है.
हल्की बारिश का अनुमान
मौसम विज्ञान के अनुसार, दिल्ली में आज बादल छाए रहने की संभावना जताई है. बुधवार को दिल्ली के कुछ इलाकों में हल्की बारिश के बाद आज राजधानी में अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस है. इससे राजधानी में उमस भरी गर्मी बढ़ गई है.
नहीं है तेज बारिश के आसार
दिल्ली में बारिश का इंतजार करने वाले लोगों को अभी फिलहाल तेज बारिश देखने को नहीं मिल सकती है. मौसम विभाग की मानें तो पूरे हफ्ते आसमान में काले बदरा दो दिखेंगे मगर बारिश की तेज बौछारें नहीं देखने को मिलेंगी. राजधानी के कई इलाकों में हल्की बूंदाबांदी देखने को मिल सकती है.
गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने का अलर्ट
पहाड़ों पर बारिश के कारण गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने का अलर्ट जारी किया गया है. गंगा नदी में पानी बढ़ने से पहड़ों के साथ-साथ मैदानी इलाकों में नदी के किनारे बसे लोगों की बरेशानी बढ़ सकती है. गंगा नदी के किनारे बसे लोग इसके उफान आने से पहले बाढ़ प्रभावित क्षेत्र को खाली करने के लिए मजबूर हैं.