पूजा-पाठ में क्यों प्रज्जवलित करते हैं दीपक? जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

पूजा-पाठ में क्यों प्रज्जवलित करते हैं दीपक?  जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान दीपक जलाने का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि ये जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं. आइए जानें दीपक प्रज्जवलित करने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व .

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान आयोजनों में दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है. पूजा-पाठ या मांगलिक कार्यक्रमों में दीपक जलाना बहुत ही आवश्यक कार्य माना जाता है. ऋृग्वेद काल से कलयुग तक दीपक जलाने का परंपरा चली आ रही है. वेदों में अग्नि को प्रत्यक्ष देवता माना गया है. उपनिषद और पुराणों में कहा गया है कि विपरीत परिस्थितियों में मेहनत और आत्मविश्वास में वृद्धि का संदेश देता है दीपक. ऋृग्वेद में दीपक में देवी-देवताओं का तेज माना जाता है. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए दीपक जलाएं जाते हैं.

धार्मिक महत्व

दीपक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक होता है. शास्त्रों में दीपक को सकारात्मकता ऊर्जा पाने और जीवन से दरिद्रता को दूर करने वाला माना जाता है. दीपक के प्रजज्वलित होने पर अज्ञानरूपी अंधकार खत्म होता है और जीपन में ज्ञान का प्रकाश फैलता है. रोजाना पूजा-पाठ के दौरान घर में घी का दीपक लगाने से सुख समृद्धि आती है. इससे अलावा जिन घरों में नियमित रूप से दीपक जलाया जाता है वहां पर मां लक्ष्मी का स्थाई रूप से निवास होता है. घी को पंचामृत माना गया है. किसी भी सात्विक पूजा का पूर्ण फल और हर तरह की मनोकामनाओं को प्राप्त करने के लिए घी का दीपक वहीं तामसिक यानी तांत्रिक पूजा की सफलता के लिए तेल का दीपक लगाया जाता है.

वैज्ञानिक महत्व

दीपक के प्रज्वलन से आसपास में मौजूद हानिकारक विषाणुओं का खात्मा होता है और घर के वातावरण में शुद्धता फैलती है. गाय के घी में रोगाणुओं को फैलने से रोकने की क्षमता होती है. जब घी का संपर्क अग्नि से होता है तो आसपास के वातावरण में पवित्रता फैल जाती है. घी और अग्नि के दोनों के साथ जलने पर घी के तत्व खत्म नहीं होते बल्कि छोटे-छोटे अदृश्य टुकड़ों में बंटकर वातावरण में फैल जाती है. इसलिए अग्नि से घी का फैलना वातावरण को शुद्ध करता है.

5 तत्वों का प्रतीक होता है मिट्टी का दीपक

मिट्टी का दीपक पांच तत्वों से मिलकर तैयार होता है. दरअसल दीपक को बनाने के लिए मिट्टी को पानी में गलाकर तैयार किया जाता है, जो कि यह भूमि का तत्व और जल के तत्व का प्रतीक है. फिर इस दीपक को धूव और हवा से सुखाया जाता है जो आकाश और वायु तत्व का प्रतीक होता है और अंत में इस दीपक को आग में तपाकर तैयार किया जाता है. इस तरह के दीपक के तैयार में सभी 5 तत्वों का समावेश होता है.

दीपक जलाने के नियम

1- दीपक शुद्धता और सकारात्मकता का प्रतीक होता है. दीपक अंधकार को मिटाकर चारो ओर प्रकाश फैलाता है, इसी वजह से घर में सुबह-शाम दीपक का प्रकाश फैलाना चाहिए. 2- शास्त्रों के अनुसार मुख्य द्वार के पास दीपक लगाने से घर में रहने वाले लोगों की उम्र बढ़ती है और रोग खत्म होने लगते हैं. इसके साथ ही लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं. 3- कभी भी खंडित दीपक नहीं जलाना चाहिए. दीपक के लिए रुई की बत्ती का उपयोग करना चाहिए. 4-पूजा में एक दीपक की लौ से दूसरे दीपक को भूलकर भी नहीं जलाना चाहिए. 5-पूजा स्थल पर दीपक को कभी फूंककर बुझाना नहीं चाहिए.