जम्मू-कश्मीर चुनाव की घोषणा के बाद दलबदल का दौर शुरू, PDP को लगे दो बड़े झटके

जम्मू-कश्मीर चुनाव की घोषणा के बाद दलबदल का दौर शुरू, PDP को लगे दो बड़े झटके

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा के साथ ही दलबदल का सिलसिला शुरू हो गया है. पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहैल बुखारी और दक्षिण कश्मीर के त्राल से डीडीसी सदस्य हरबख्श सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. यही हाल दूसरी पार्टियों का भी है.

JK Assembly Election 2024: जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, राजनीतिक दलों में टूट-फूट का सिलसिला भी जोर पकड़ रहा है. यह सिलसिला चुनावों की घोषणा के साथ ही शुरू हो गया है. मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की दूसरी बड़ी क्षेत्रीय पार्टी मानी जाने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को एक के बाद एक दो बड़े झटके लगे. पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहैल बुखारी और दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के त्राल से डीडीसी सदस्य हरबख्श सिंह ने इस्तीफा दे दिया.

पीडीपी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि बुखारी के इस्तीफे के पीछे की वजह वगूरा क्रीरी विधानसभा क्षेत्र से बशारत बुखारी को टिकट देना बताया जा रहा है. इस्तीफा देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सुहैल बुखारी ने कहा कि 2019 में जब बीजेपी की मंशा को लेकर सभी नेता पीडीपी छोड़ रहे थे, तब मैंने पिछले 5 सालों में इस पार्टी की विचारधारा को मजबूत करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि मुश्किल वक्त में पार्टी के साथ खड़े रहने वालों को दरकिनार किया जा रहा है. उनके बलिदान को नजरअंदाज किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि सबसे मुश्किल बात यह है कि जो लोग मुश्किल हालात में पार्टी के लिए काम कर रहे थे, उनसे इस पूरी प्रक्रिया में सुझाव तक नहीं मांगे गए. ये निराशाजनक हालात हैं. बुखारी ने कहा, ‘जिन सिद्धांतों के साथ मैं इस पार्टी में शामिल हुआ था, वे कहीं न कहीं भटक रहे हैं. मैं इस माहौल में बेचैनी महसूस कर रहा हूं. इसी वजह से मैंने पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती को अपना इस्तीफा भेज दिया है. मैं तत्काल प्रभाव से इस पार्टी की सदस्यता और पद से इस्तीफा दे रहा हूं.

डीडीसी सदस्य हरबख्श ने भी दिया इस्तीफा

पीडीपी के डीडीसी सदस्य हरबख्श ने भी इस्तीफा दे दिया. सूत्रों के अनुसार, त्राल से पूर्व मंत्री अली मोहम्मद नाइक के बेटे रफीक अहमद नाइक को पीडीपी में शामिल करने के बाद हरबख्श नाराज थे. वरिष्ठ पीडीपी नेता पार्टी से इस्तीफा देने के बाद अवामी इत्तेहाद पार्टी में शामिल हो गए. उन्होंने कहा कि जनादेश न मिलने के कारण उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी, बल्कि वरिष्ठ नेता होने के नाते उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि पीडीपी को 14 साल देने के बावजूद उन्हें त्राल सीट के लिए पार्टी द्वारा लिए गए फैसले की जानकारी नहीं दी गई.

उन्होंने आरोप लगाया कि पीडीपी और एनसी दोनों ने हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय की उपेक्षा की है. उन्होंने उम्मीद जताई कि एआईपी ऐसी बातें नहीं दोहराएगी. सिंह ने कहा कि वह पीडीपी की उस नीति के खिलाफ हैं, जिसमें वे केवल अपने परिवार के बारे में सोचते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा लोगों के कल्याण के लिए काम किया है और आगे भी करता रहूंगा.’

निर्वाचन क्षेत्रों के प्रभारियों की सूची जारी होने से हड़कंप

पीडीपी ने सोमवार को जैसे ही निर्वाचन क्षेत्रों के (हलका) प्रभारियों की सूची जारी की, पार्टी में हड़कंप मच गया. मंगलवार को जहां उन्हें बड़ा झटका लगा, वहीं इस सूची के जारी होने के बाद पार्टी के कई वरिष्ठ नेता पार्टी से नाराज नजर आए. सूत्रों के अनुसार हलका प्रभारियों की सूची जारी करने से पहले किसी नेता से सलाह नहीं ली गई. कुछ को उनके क्षेत्रों से हटाकर किसी अन्य क्षेत्र का प्रभारी बना दिया गया. मिली जानकारी के अनुसार नाराज नेताओं में ऐजाज मीर, अब्दुल रहमान वीरी सहित कुछ अन्य नेता शामिल हैं.

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पीडीपी ने रहमान वीरी को बिजबेहरा से अनंतनाग पूर्वी क्षेत्र का प्रभारी बनाया है, जबकि पूर्व विधायक ऐजाज मीर को वाची से हटाकर वहां की जिम्मेदारी गुलाम मोइउद्दीन वानी को दी गई है. वहीं, महबूबा ने अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को राजनीतिक मैदान में उतारकर उन्हें बिजबेहरा हलके का प्रभारी घोषित किया है. जानकारों के मुताबिक, निर्वाचन क्षेत्रों के प्रभारी आमतौर पर उन क्षेत्रों के संभावित उम्मीदवार होते हैं, हालांकि उनमें बदलाव की गुंजाइश भी है.

जफर इकबाल मन्हास हो सकते हैं कांग्रेस में शामिल

इस बीच, हक खान ने भी पुष्टि की कि वह फिर से पीडीपी में शामिल हो गए हैं. खान ने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी-भाजपा गठबंधन के तहत ग्रामीण विकास, पंचायती राज और कानून और न्याय मंत्री के रूप में कार्य किया. उन्होंने 2009 से 2018 तक विधानसभा में लोलाब निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. वह 2008 और 2014 में पीडीपी के टिकट पर कुपवाड़ा जिले के लोलाब निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए थे.

जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के उपाध्यक्ष जफर इकबाल मन्हास ने अपने बेटे के साथ मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया. बुधवार को उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है. जफर इकबाल मन्हास ने पुष्टि की कि उन्होंने अपनी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और उनके कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. सूत्रों ने बताया कि इस बीच उनके आवास पर कार्यकर्ताओं की एक बैठक भी बुलाई गई, जिसमें अंतिम फैसला होने की उम्मीद है.

खटाना ने गुलाम नबी आजाद की पार्टी से दिया इस्तीफा

वहीं, अनंतनाग जिले के कोकरनाग क्षेत्र के प्रभावशाली आदिवासी नेता चौधरी हारून खटाना ने भी ऐसा ही किया. चौधरी हारून खटाना ने गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) से इस्तीफा दे दिया. उनके पीडीपी में शामिल होने की संभावना है. खटाना ने कहा कि उन्होंने महासचिव पद और डीपीएपी की मूल सदस्यता समेत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है.

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना जारी होने के साथ ही राजनीतिक खेमों में हलचल तेज हो गई है. और कई नेता और कार्यकर्ता एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल होते नजर आ रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा जबकी वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी.