महाराष्ट्र के चिंचवड़ उपचुनाव में BJP की अश्विनी जगताप की जीत, लेकिन जश्न की बजाए टेंशन कायम
Maharashtra assembly by poll results: महाराष्ट्र के दो विधानसभा की सीटों पर हुए उपचुनाव में BJP ने कसबा का किला गंवा दिया है, चिंचवड़ में सत्ता कायम है. लेकिन यहां भी चिंता है बड़ी. क्योंकि दिख रही आगे बड़ी चुनौती.
चिंचवड़: महाराष्ट्र के दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव का रिजल्ट आज (2 मार्च, गुरुवार) आ गया. कसबा की सीट पर कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने बड़ी जीत हासिल की. बीजेपी का 28 साल पुराना किला ढह गया. महाविकास आघाड़ी की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर ने 73194 वोट लेकर 11 हजार 40 मतों के अंतर से बीजेपी के हेमंत रासने को हराया. हेमंत रासने को 62244 वोट मिले. लेकिन चिंचवड़ की सीट पर बीजेपी के अश्विनी जगताप को जीत हासिल हुई. यानी बीजेपी ने दो सीटों में से एक सीट गंवा कर एक सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा है.
चिंचवड़ में बीजेपी की जीत का औपचारिक ऐलान बाकी है. यहां आखिरी चरणों के वोटों की गिनती जारी है. यहां बीजेपी की अश्विनी जगताप करीब 11 हजार वोटों के अंतर से आगे हैं. उन्हें अब तक 90441 वोट मिले हैं जबकि एनसीपी के नाना काटे को 78778 वोट मिले हैं. तीसरे नंबर पर शिवसेना से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े हुए राहुल कलाटे हैं. उन्होंने 29150 वोट हासिल किए हैं. इस तरह अच्छे-खासे वोट उन्होंने महाविकास आघाड़ी की ओर से एनसीपी के उम्मीदवार नाना काटे के काट दिए. राहुल कलाटे के वोटों की संख्या आने वाले वक्त में बीजेपी के लिए बड़े खतरे की घंटी है.
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कसबा की हार बीजेपी करे स्वीकार, चिंचवड़ की जीत में भी टेंशन है बरकरार
चिंचवड़ की सीट पर बीजेपी ने भले ही जीत हासिल कर ली है. लेकिन 2024 के लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को ध्यान में रखा जाए तो यह जीत भी जश्न मनाने का मौका नहीं देने वाली है. अगर राहुल कलाटे को मिले वोटों की संख्या को एनसीपी के नाना काटे को मिले वोटों की संख्या से जोड़ दें तो एमवीए के कुल वोट बीजेपी के वोट से दस से ग्यारह हजार ज्यादा ठहरते हैं. संदेश साफ है कि आगामी चुनावों में अगर महाविकास आघाड़ी आपसी फूट को रोक पाने में कामयाब हो जाती है तो बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होगी.
कसबा में MVA की एकता रही कायम, इसलिए BJP को हराया जा सका
चिंचवड़ में महाविकास आघाड़ी की एकता कायम नहीं रह सकी तो बीजेपी के लिए जीत आसान हो गई. राहुल कलाटे ने शिवसेना से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और महाविकास आघाड़ी के वोट को काटने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. राहुल कलाटे खड़े नहीं होते तो दिवंगत विधायक की पत्नी होने के बावजूद सहानुभूति का कोई खास फायदा बीजेपी उम्मीदवार अश्विनी जगताप को नहीं मिल पाता और वे पिछड़ जातीं, जीत उनके हाथों से फिसल जाती और महाविकास आघाड़ी आगे निकल जाती.
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कसबा में महाविकास आघाड़ी की एकता कायम रही. इसका पूरा फायदा कांग्रेस के उम्मीदवार रवींद्र धंगेकर को मिला और वे बीजेपी के उम्मीदवार हेमंत रासने को 11 हजार 40 मतों के अंतर से हराने में कामयाब हो सके. चिंचवड़ में अगर मविआ का वोट नहीं बंटता तो यहां भी इतने ही अंतर से बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ता. यही वजह है कि चिंचवड़ की जीत के बावजूद फिलहाल बीजेपी के लिए जश्न का मौका नहीं है, बल्कि मंथन की घड़ी है क्योंकि आगे चुनौती बड़ी खड़ी है.