सुब्बाराव के बाद रघुराम राजन ने भी उठाए OPS पर सवाल, जानें क्या बताई कमी
Raghuram Rajan अभी शिकॉगो विश्वविद्यालय से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक वह समझते हैं, पुरानी पेंशन योजना पर लौटना तकनीकी और कानूनी दोनों के लिहाज से व्यावहारिक नहीं होगा.
कुछ राज्यों द्वारा पुरानी पेंशन योजना (Old Pension System) को फिर शुरू करने के फैसले पर चिंता जताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नरों की ओर से बयान आने शुरू हो गए हैं. पहले सुब्बाराव अब रघुराम राजन. राजन पहले भी ओपीएस पर अपना मत रख चुके हैं और इसे गलत कह चुके हैं. इस बार उन्होंने कहा है कि सरकारी पेंशनभोगियों की चिंताओं को दूर करने के लिए कुछ कम खर्चीले तरीके खोजे जाने चाहिए. राजन ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना में बड़े पैमाने का भावी परिव्यय शामिल होता है क्योंकि पेंशन को मौजूदा वेतन से जोड़ा जाता है. उन्होंने कहा कि भले निकट भविष्य में न हो लेकिन लांगटर्म में यह एक भारी-भरकम दायित्व होगा.
सॉल्यूशंस निकालना जरूरी
राजन अभी शिकॉगो विश्वविद्यालय से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक वह समझते हैं, पुरानी पेंशन योजना पर लौटना तकनीकी और कानूनी दोनों के लिहाज से व्यावहारिक नहीं होगा. उन्होंने पीटीआई-भाषा को ईमेल के जरिये दिए साक्षात्कार में कहा कि जिस वजह से ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं, उन चिंताओं का समाधान निकालने के लिए कम खर्चीले तरीके भी हो सकते हैं. एक बड़े कदम के तहत केंद्र सरकार के चुनिंदा कर्मचारियों के समूह को पुरानी पेंशन योजना को अपनाने के लिए एक बार का विकल्प दिया गया है.
ओपीएस और एनपीएस में अंतर
ओपीएस के तहत कर्मचारियों को एक निश्चित पेंशन मिलती है. एक कर्मचारी पेंशन के रूप में अंतिम प्राप्त वेतन के मुकाबले 50 प्रतिशत राशि पाने का हकदार है. ओपीएस को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार ने एक अप्रैल 2004 से बंद करने का फैसला किया था. नयी पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 प्रतिशत योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14 प्रतिशत योगदान करती है.
इन राज्यों ने शुरू की ओपीएस
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड सरकार ने पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) को अपने कर्मचारियों के लिए ओपीएस फिर से शुरू करने के फैसले से अवगत कराया है. पंजाब ने भी ओपीएस फिर से शुरू करने का फैसला किया है.