सत चंडी यज्ञ का महत्व और इससे प्राप्त होने वाले लाभ, जानिए संपूर्ण पूजा विधि
Shat Chandi Path: मां दूर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ का आयोजन किया जाता है उसे सत चंडी यज्ञ कहा जाता है.
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ, उपवास और धार्मिक अनुष्ठान का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि धार्मिक अनुष्ठान करते समय देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में चल रही कई तरह की बाधाएं खत्म हो जाती हैं. हिंदू धर्म में अलग-अलग प्रयोजनों के लिए विशेष पूजा-पाठ की जाती है. आज हम आपको मां दुर्गा से संबंधित पाठ करने के बारे में बताने जा रहे हैं. मां दूर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है. मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जिस यज्ञ का आयोजन किया जाता है उसे सत चंडी यज्ञ कहा जाता है.
इस चंडी यज्ञ को बहुत ही प्रभावशाली और शक्तिशाली यज्ञ माना जाता है. इस यज्ञ के आयोजन से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है. कुंडली में मौजूद बुरे ग्रहों का प्रभाव कम होता है. सौभाग्य में वृद्धि होती है. सतत चंडी यज्ञ के आयोजन से आपके शत्रुओं का नाश होता है और कार्यक्षेत्र में आने वाली बाधाएं खत्म हो जाती हैं.
सत चंडी यज्ञ की पूरी विधि
हिंदू धर्म में सत नव चंडी यज्ञ एक बेहद शक्तिशाली, असाधारण और बड़ा यज्ञ होता है. यह यज्ञ का पाठ बहुत ही योग्य और विद्वान ब्राह्राण के द्वारा ही किया जाता है. इस चंडी यज्ञ में 700 श्लोलों का पाठ किया जाता है. इससे मां दुर्गा की विशेष कृपा मिलती है. इस यज्ञ का आयोजन पौराणिक काल में ऋषि-मुनि, देवतागण और राक्षस सभी अपार शक्ति की प्राप्ति के लिए हमेशा किया करते थे.
सबसे पहले सतत चंडी यज्ञ में उपयुक्त स्थान पर हवन कुंड का पंचभूत संस्कार किया जाता है. इसके लिए कुश के एक छोर से वेदी की साफ-सफाई की जाती है. फिर गाय के गोबर से हवन कुंड का लेप किया जाता है. फिर इसके बाद वेदी के बीच से बाएं से तीन खड़ी रेखाएं दक्षिण से उत्तर की ओर खींची जाती है. फिर अनामिका उंगली से कुछ मिट्टी को हवन कुंड से बाहर फेंकते हुए दाहिने हाथ से शुद्ध जल से वेदी को छिड़कें. इस तरह से वेदी की पंचभूत संस्कार से अग्नि प्रज्जवलित कर अग्रिदेव का पूजन करें. फिर इसके बाद भगवान गणेश समेत सभी ईष्ट देवताओं की पूजा करते हुए मांग दूर्गा की पूजा आरंभ करें.