लव और लाइफ पार्टनर का प्यार पाने के लिए आज कैसे रखें अनंग त्रयोदशी का व्रत
चैत्र मास के शुक्लपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आज प्रदोष व्रत के साथ अनंग त्रयोदशी व्रत का भी शुभ संयोग बन रहा है. इस पावन व्रत की कथा, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त जानने के लिए पढ़ें ये लेख.
हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा के लिए किसी भी मास की त्रयोदशी तिथि को बहुत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। इसका महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह चैत्र मास के शुक्लपक्ष में पड़ता है। सनातन परंपरा में इस पावन तिथि को अनंग त्रयोदशी तिथि कहते हैं। हिंदू धर्म काम देवता को अनंग कहा जाता है, इसलिए इस तिथि पर देवों के देव महादेव के प्रदोष व्रत के साथ काम देवता की पूजा का भी विधान है। आइए आज अनंग त्रयोदशी व्रत की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं।
अनंग त्रयोदशी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार देवों के देव महादेव और प्रेम के देवता कामदेव की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ मानी जाने वाली त्रयोदशी तिथि आज प्रात:काल 06:24 से प्रारंभ होकर कल 04 अप्रैल 2023 को प्रात:काल 08:05 बजे तक रहेगी.
अनंग त्रयोदशी की पूजा विधि
अनंग त्रयोदशी तिथि पर आज भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने के बाद काम देवता और उनकी पत्नी देवी रति की भी पूजा करनी चाहिए। काम देवता की पूजा में सुगंधित पुष्प, इत्र, चंदन, फल, और मिठाई अर्पित करते हुए अपने सुखी दांपत्य जीवन या सफल प्रेम संबंध की कामना करना चाहिए। काम देवता को प्रसन्न करने के लिए आज उनके मंत्र ‘ॐ कामदेवाय: विदमहे पुष्पबाणाय धीमहि तन्नो अनंग: प्रचोदयात’ का स्फटिक की माला से अधिक से अधिक जप करना चाहिए।
अनंग त्रयोदशी का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म ग्रंथों में अनंग त्रयोदशी व्रत का बहुत ज्यादा पुण्यफल बताया गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार अनंग त्रयोदशी व्रत को विधि-विधान से करने पर साधक पर न सिर्फ देवों के देव महादेव का आशीर्वाद बरसता है, बल्कि प्रेम के देवता कहलाने वाले काम देवता भी अपनी कृपा बरसाते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव जहां साधक को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं तो वहीं काम देवता उसे सुखी दांपत्य जीवन प्रदान करते हैं। काम देवता की कृपा से उसके प्रेम और वैवाहिक संबंध मजबूत होते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार अनंग त्रयोदशी के दिन ‘ॐ उमा महेश्वराय नमः’ मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करने पर भी पति-पत्नी के बीच सामंजस्य और प्रेम बढ़ता है।
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(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)