स्कूल से ‘बागरी’ सर नहीं जाएंगे… टीचर का ट्रांसफर रुकवाने के लिए 5 दिन से आंदोलन पर छात्र

स्कूल से ‘बागरी’ सर नहीं जाएंगे… टीचर का ट्रांसफर रुकवाने के लिए 5 दिन से आंदोलन पर छात्र

जबलपुर के सरकारी स्कूलों में तैनात शिक्षकों को लेकर अक्सर आपने शिकायत ही सुनी होगी, लेकिन जबलपुर का एक स्कूल ऐसा भी है, जहां शिक्षक के प्रति छात्रों का ऐसा प्रेम है कि शिक्षक का ट्रांसफर ऑर्डर सुनते ही छात्रों ने आंदोलन छेड़ दिया. मामला सिहोरा ब्लॉक के परसवाड़ा हाई सेकेंडरी स्कूल का है.

कहते हैं कि गुरु और शिष्य के बीच एक अनोखा रिश्ता होता है. यही अनोखा रिश्ता उस वक्त देखने को मिला, जब एक शिक्षक का ट्रांसफर होने पर स्कूल के तमाम बच्चे रोने लगे और वह ट्रांसफर रुकवाने के लिए धरने पर बैठ गए. स्कूल के तमाम छात्र-छात्राएं बीते 5 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि अगर दो दिनों के अंदर शिक्षक का ट्रांसफर नहीं रुकवाया गया तो वह भूख हड़ताल पर चले जाएंगे.

मामला जबलपुर के सिहोरा ब्लॉक के परसवाड़ा हाई सेकेंडरी स्कूल का है. स्कूल के छात्रों और शिक्षक के बीच अनोखा लगाव इन दिनों चर्चा का विषय बन हुआ है. यह मामला तब सामने आया, जब स्कूल के शिक्षक रामशरण बागरी का अतिशेष के तहत ट्रांसफर होने का आदेश आया और छात्रों ने इसका विरोध करते हुए आंदोलन शुरू कर दिया.

शहर से 60 किलोमीटर दूर है स्कूल

रामशरण बागरी 2006 से हाई सेकेंडरी स्कूल परसवाड़ा में पढ़ा रहे हैं. कुछ वर्षों से प्रभारी प्रिंसिपल के रूप में भी काम कर रहे हैं. उन्होंने न केवल छात्रों को शिक्षा दी, बल्कि स्कूल की स्थिति में भी बड़ा सुधार किया. ये स्कूल शहर से 60 किलोमीटर दूर स्थित है. यहां आने में अन्य शिक्षक कतराते हैं. फिर भी रामशरण बागरी ने इस स्कूल का कायाकल्प किया, जिससे यहां की शिक्षा गुणवत्ता बढ़ी और परिणामस्वरूप स्कूल का परिणाम 80-90% तक पहुंच गया. इस स्कूल का परिणाम जबलपुर जिले में तीसरे स्थान पर आता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षक रामशरण बागरी ने अपने कार्य में कितनी मेहनत की है.

5 दिन से विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र

जब छात्रों को उनके ट्रांसफर की खबर मिली तो उन्होंने इसका विरोध करने का निर्णय लिया. छात्रों का कहना है कि वे किसी भी कीमत पर अपने प्रिय शिक्षक को स्कूल से जाने नहीं देंगे. कुछ छात्राओं गंगा बर्मन, दीपिका पटेल और मोनिका तिवारी ने बताया कि अगर उनके शिक्षक का ट्रांसफर हुआ तो वे स्कूल से अपना नाम कटवाकर टीसी निकाल लेंगी. उनका कहना है कि बागरी सर ने न केवल पढ़ाई में उनकी मदद की, बल्कि उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी. छात्राओं का कहना है कि वैसे ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और ऐसे समय में हमारे शिक्षक को हम लोगों से छीना जा रहा है.

शिक्षक के ट्रांसफर से अभिभावकों में भी नाराजगी

अभिभावकों में भी इस फैसले के प्रति आक्रोश है. सतीश कुमार कुर्मी जो एक अभिभावक हैं, उनका कहना है कि शिक्षक रामशरण बागरी ने न केवल बच्चों को शिक्षित किया, बल्कि पूरे स्कूल का वातावरण बदल दिया. ऐसे समय में शिक्षक का जाना स्कूल के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा. इससे पहले हमारे गांव में कई शिक्षक आए, लेकिन पढ़ाई का स्तर कभी नहीं बदला. जब आज हमारे गांव में शिक्षा का स्तर बदल रहा है तो ऐसे समय में शिक्षक का ट्रांसफर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.

स्कूल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना उनका सपना

शिक्षक रामशरण बागरी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा बच्चों को बेहतर शिक्षा देना रहा है और स्कूल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना उनका सपना था. हालांकि, वे सरकार के आदेशों का सम्मान करते हैं, लेकिन छात्रों का यह प्रेम उन्हें भावुक कर देता है. वहीं पूरे मामले में जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने मामले को गंभीरता से लिया और बताया कि वे इस पर पुनर्विचार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर संभव हुआ तो इस ट्रांसफर के आदेश को रोका जा सकता है, लेकिन यह एक प्रशासनिक प्रक्रिया है.

नहीं रुका शिक्षक का ट्रांसफर को तो करेंगे भूख हड़तला

वहीं छात्रों का आंदोलन अब पांचवे दिन में प्रवेश कर चुका है. उन्होंने यह भी धमकी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे. उनका कहना है कि शिक्षक रामशरण बागरी ने उनके जीवन को बेहतर बनाया है और वे उन्हें किसी भी हाल में खोना नहीं चाहते. यह कहानी न केवल शिक्षक और छात्रों के बीच के रिश्ते की गहराई को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि एक अच्छे शिक्षक का समाज पर कितना प्रभाव हो सकता है. रामशरण बागरी जैसे शिक्षक, जो बच्चों के जीवन को संवारने में अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं, वास्तव में समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.