व्यास तहखाने पर किसका अधिकार? कोर्ट ने कहा – कोई नहीं दे पाया सबूत, सुनवाई जारी
हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि रिसीवर की नियुक्ति के लिए और साथ ही देवता की पूजा अर्चना के लिए उनके आवेदन को 17 जनवरी, 2024 को स्वीकार किया गया. 17 जनवरी, 2024 को केवल रिसीवर नियुक्त करने के लिए आदेश पारित किया गया और पूजा के लिए प्रार्थना के दूसरे हिस्से पर कोई निर्णय नहीं किया गया.
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई जारी है. दूसरे दिन सबसे पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन अपनी आगे की दलील पेश कर रहे हैं. हिंदू पक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एएसआई को अपने वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान व्यास तहखाने के अंदर कई कलाकृतियां और मूर्तियां मिली हैं.
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में चल रही सुनवाई में हिंदू पक्ष ने बताया कि उनकी पहली प्रार्थना जिसमें वाराणसी कोर्ट द्वारा रिसीवर की नियुक्ति के लिए 17 जनवरी को अनुमति दी गई थी. कुछ चूक के कारण, दूसरी प्रार्थना व्यास तहखाना के अंदर प्रार्थना करने के लिए की अनुमति नहीं दी गई थी, इसलिए जब उनके द्वारा जिला जज से दूसरी प्रार्थना की भी अनुमति देने का अनुरोध किया तो उन्होंने मेरे मौखिक आवेदन पर इसकी अनुमति दे दी.
तहखाना के अंदर हर वर्ष के अंदर एक बार पूजा हमेशा की जाती: हिंदू पक्ष
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि तहखाना के अंदर हर वर्ष के अंदर एक बार पूजा हमेशा की जाती रही है. इसके सबूत के तौर पर हिंदू पक्ष ने कुछ कागजात दाखिल करने की बात रखी. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वाराणसी कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील दायर की थी. वाराणसी की अदालत ने व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति का फैसला सुनाया था. मंगलवार को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी.
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हाईकोर्ट ने कही यह बात
दोनों ओर से पेश की गई दलीलों की सुन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अब तक न तो व्यास परिवार और न ही ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी प्रथम दृष्टया यह साबित कर पाए है कि मस्जिद का दक्षिणी तहखाना किसके कब्जे में था. फिलहाल इस मामले में अभी सुनवाई चल रही है. आज इस पर हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जा सकता है.
मुस्लिम पक्ष ने पेश की थी यह दलील
मंगलवार को शुरू हुई सुनवाई के दौरान सबसे पहले मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एफ.ए नकवी ने कहा कि 31 जनवरी, 2024 के आदेश के तहत जिला जज ने उस वाद में शुरुआती चरण में मांगी गई अंतिम राहत प्रदान की जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. नकवी ने आगे कहा कि यह आदेश बहुत जल्दबाजी में पारित किया और वह भी उस दिन जब संबंधित न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने जा रहे थे.