शरद पवार ने शिंदे-फडणवीस को दी दावत, बारामती में डिनर डिप्लोमेसी के क्या हैं सियासी मायने?
पुणे के बारामती के विद्या प्रतिष्ठान कॉलेज परिसर में 'नमो महारोजगार मेलावा' का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित हो रहा है. शिंदे सरकार ने रोजगार मेला लगाकर बड़ी संख्या में बेरोजगार लोगों को नौकरी देने का फैसला किया है. इस कार्यक्रम में सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस और अजित पवार शिरकत करेंगे.
महाराष्ट्र की सियासत के बेताज बादशाह कहे जाने वाले और मराठा क्षत्रप शरद पवार का तख्तापलट कर अजित पवार ने एनसीपी को अपने नाम कर लिया है. इसके चलते शरद पवार को दोबारा से नई पार्टी बनानी पड़ी और चुनाव निशान भी नया चुनना पड़ा है. इसके बावजूद शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पुणे के बारामती स्थित अपने घर पर शनिवार को डिनर के लिए आमंत्रित किया है. शिंदे के साथ प्रदेश केदोनों डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को भी बुलावा भेजा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि शरद पवार डिनर डिप्लोमेसी के जरिए कौन सी सियासी गुगली फेंक रहे हैं?
शरद पवार ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखा है. शरद पवार ने सीएम शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को संबोधित पत्र में लिखा कि राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद सीएम शिंदे पहली बार बारामती आ रहे हैं और मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं. मैं कार्यक्रम के बाद उन्हें और उनके कैबिनेट सहयोगियों को अपने आवास पर भोजन के लिए निमंत्रण करता हूं. हालांकि, अभी साफ नहीं है कि शरद पवार की दावत शिंदे-फडणवीस-अजित पवार स्वीकार करेंगे या नहीं, लेकिन उससे पहले ही सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं.
सुप्रिया सुले को कार्यक्रम में बुलाया गया
दरअसल, पुणे के बारामती के विद्या प्रतिष्ठान कॉलेज परिसर में ‘नमो महारोजगार मेलावा’ का एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, जिसमें सीएम शिंदे और डिप्टी सीएम फडणवीस और अजित पवार शिरकत करेंगे. बारामती क्षेत्र के लोगों को रोजगार के लिए जो मेला आयोजित किया जा रहा है, उस विद्या प्रतिष्ठान के शरद पवार अध्यक्ष हैं. स्थानीय सांसद होने के नाते सुप्रिया सुले को कार्यक्रम में बुलाया गया है, लेकिन शरद पवार को निमंत्रण नहीं दिया गया. राज्यसभा सांसद शरद पवार ने शिंदे को संबोधित पत्र में कहा कि विद्या प्रतिष्ठान के अध्यक्ष के रूप में उन्हें शैक्षणिक संस्थान के परिसर में सीएम का स्वागत करने में खुशी होगी.
लोकसभा चुनाव से पहले बारामती इलाके में शिंदे सरकार ने रोजगार मेला लगाकर बड़ी संख्या में बेरोजगार लोगों को नौकरी देने का फैसला किया है. जुलाई 2023 में एनसीपी के दो गुटों में बंट जाने के बाद यह अपनी तरह का पहला मेगा-इवेंट है, जिसमें मुख्यमंत्री और दोनों डिप्टी सीएम शामिल हो रहे हैं. बारामती लोकसभा सीट पर बीजेपी की नजर है. माना जा रहा है कि एनसीपी को अपने नाम करने के बाद अजित पवार अब बारामती सीट पर भी अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. इसके लिए चर्चा है कि अजित पवार अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार को शरद पवार की बेटी और मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती से मैदान में उतार सकते हैं.
बारामती लोकसभा सीट पर भी सियासी चुनौती खड़ी हुई
महाराष्ट्र की राजनीति के शरद पवार मंझे हुए खिलाड़ी हैं और इस बात को बखूबी समझ रहे हैं कि एनडीए की नजर उनके परंपरागत बारामसी सीट पर है. बारामती लोकसभा सीट से 1996 से शरद पवार और बाद में 2009 से सुप्रिया सुले लगातार जीत दर्ज करती आ रही हैं. शरद पवार चार बार यहां से सांसद चुने गए हैं, जबकि सुप्रिया सुले तीन बार लोकसभा के लिए चुनी गई हैं. अजित पवार के एनडीए खेमे में जाने के बाद बारामती पर भी सियासी चुनौती खड़ी हो गई है.
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से बारमती क्षेत्र में शिंदे-फडणवीस-अजित पवार ने लोगों को रोजगार देने की रणनीति चली है, उससे सुप्रिया सुले के लिए 2024 में राजनीतिक चुनौती खड़ी हो सकती है. शरद पवार ने मौके की नजाकत को भांपते हुए सीएम और दोनों ही डिप्टी सीएम को अपने आवास पर भोजन का न्योता देकर बड़ा सियासी दांव चला है. एक तरफ उन्होंने यह सियासी संदेश देने की कोशिश की है कि उन्हें भले ही उनके द्वारा स्थापित संस्थान में हो रहे कार्यक्रम में न बुलाया जाए हो, लेकिन वो बुलाकर बड़ा दिल दिखाना चाहते हैं. इस तरह महाराष्ट्र सरकार को कशमकश में डाल दिया है.
शरद पवार सियासी बैलेंस बनाने में जुटे
शरद पवार इस बात को भी समझ रहे हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले शिंदे सरकार के बारामती में रोजगार मेले के आयोजन करने के पीछे सियासी मकसद क्या है? लोकसभा चुनाव से पहले हजारों बेरोजगार लोगों को नौकरियां देने के लिए सरकार के तीनों मुखिया पहुंच रहे हैं, उसकी क्रेडिट भी उन्हें जाएगी. इसलिए शरद पवार तीनों ही नेताओं को अपने आवास पर निमंत्रण देकर सियासी बैलेंस बनाने और सरकार को रोजगार मेले की पूरी क्रेडिट नहीं देना चाहते हैं. शरद पवार ने भले ही पार्टी, विधायक गंवा दिए हों, लेकिन अपनी सियासी विरासत पर सुप्रिया सुले को मजबूती से स्थापित रखना चाहते हैं. यह तभी हो सकता है जब बारामती सीट पर सुप्रिया सुले का कब्जा बरकरार रहे?