भूकंप से बचे पर भूख और ठंड से मरेंगे! अबतक 11000 मौतें, मलबे में सांस बाकी
तुर्की में सोमवार को आए भूकंप के बाद मची तबाही से निपटने के लिए अभी भी प्रयास जारी हैं. मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सीरिया में भी हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. दोनों जगह राहत और बचाव कार्य जारी है.
तुर्की और सीरिया में आए भीषण भूकंप को 60 घंटे से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन अभी तक मौतों का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों देशों में मरने वालों की संख्या 11 हजार से ज्यादा हो गई है. तुर्की में अभी तक 8574 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सीरिया में 2530 लोगों की जान जा चुकी है. इस बीच तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने भूकंप आपदा क्षेत्र का दौरा किया है. भूकंप के बाद मची तबाही को लेकर सरकार का जिस तरह का रिस्पॉन्स होना चाहिए था, वो नहीं हुआ, उसे लेकर लोगों में गुस्सा है.
बुरी तरह प्रभावित इलाकों के परिवारों ने कहा कि बचाव के प्रयासों की गति धीमी रही. इससे मलबे में फंसे उनके परिजनों को निकालने में मदद नहीं मिल सकी. एर्दोगन ने स्वीकार किया कि शुरुआत में बचाव कार्य में कठिनाइयां थीं, लेकिन उन्होंने इसके लिए डैमेज सड़कों और हवाई अड्डों की वजह से हुई देरी को जिम्मेदार ठहराया. एक ने कहा कि हम भूकंप से बच गए, लेकिन भूख और ठंड से मर जाएंगे.
- तुर्की के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में अब लगभग 60,000 सहायता कर्मी हैं, लेकिन तबाही इतनी व्यापक है कि बहुत से लोगों को अब भी मदद पहुंचने का इंतजार है.
- 2 दर्जन से ज्यादा देशों के राहत दल तुर्की के आपातकालीन कर्मियों के साथ काम कर रहे हैं और राहतसामग्रियों का आना भी जारी है.
- राष्ट्रपति ने कहा है कि हम अपने किसी भी नागरिक को सड़क पर नहीं छोड़ेंगे. देश के 8.5 करोड़ लोगों में से 1.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं और उन्होंने 10 प्रांतों में आपातकाल घोषित कर दिया है.
- भूकंप से मची तबाही के बाद लोगों को मौसम से भी लड़ना पड़ रहा है. लोग ठंड रात में शेल्टर्स में रहने को मजबूर हैं. भूकंप के केंद्र गाजियांटेप में तापमान -1 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया. आने वाले दिनों में गाजियांटेप में रात का तापमान -7 डिग्री तक रहेगा.
- वहां से लगातार ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं, जिसमें मलबे में फंसे लोगों को अभी भी निकाला जा रहा है. कई छोटे-छोटे बच्चों को 48 घंटे, 52 घंटे और 56 घंटे बाद मलबे से निकाला गया है.
- तुर्की रेड क्रीसेंट के प्रमुख केरेम किनिक ने कहा था कि राहत और बचाव प्रयासों में पहले 72 घंटे महत्वपूर्ण हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि हजारों घायलों और अभी भी फंसे लोगों के लिए समय निकलता जा रहा है.
- एनडीआरएफ के डीजी अतुल करवाल ने कहा है कि हमारी पहली टीम कल सुबह 3 बजे रवाना हुई और 11 बजे तुर्की पहुंची. दूसरी टीम शाम को 8 बजे वहां पहुंची. कुल 7 वाहन, 101 बचावकर्ता जिसमें 5 महिला बचावकर्मी और 4 खोजी कुत्ते शामिल हैं. ये टीमें पहले से ही ऑपरेशन में हैं.
- विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा ने कहा कि 1939 के बाद से तुर्की में आई यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा है. हमें सहायता के लिए तुर्की की ओर से एक ईमेल प्राप्त हुआ और बैठक के 12 घंटे के भीतर, दिल्ली से तुर्की के लिए पहली SAR उड़ानें रवाना हुईं. इसके बाद 4 ऐसी उड़ानें (तुर्की भेजी गईं) जिनमें से 2 एनडीआरएफ की टीमों को ले जा रही थीं और 2 में मेडिकल टीमें थीं. चिकित्सा आपूर्ति और उपकरण ले जाने वाला एक विमान सीरिया भेजा गया.
- वर्मा ने कहा कि हमने तुर्की के अडाना में एक कंट्रोल रूम बनाया है. 10 भारतीय प्रभावित क्षेत्रों के सुदूर हिस्सों में फंसे हुए हैं लेकिन वे सुरक्षित हैं. एक भारतीय नागरिक जो व्यापारिक यात्रा पर था, वो लापता है. हम उसके परिवार और बेंगलुरु की उस कंपनी के संपर्क में हैं जहां वो नौकरी करते हैं.
- सीरिया में भूकंप से करीब 250 स्कूल डैमेज हुए हैं. वहीं 126 स्कूलों को शेल्टर्स में तब्दील किया गया है.
(भाषा इनपुट के साथ)