कानपुर हिंसा के 32 हिंदू आरोपियों को राहत, मुकदमे वापस लेगी योगी सरकार
उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने कानपुर में साल 2015 में दो गुटों के बीच हुई झड़प के आरोपियों के खिलाफ चल रहे केस को वापस लेने का फैसला लिया है. सांप्रदायिक हिंसा के चलते पुलिस ने 32 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया था. सरकार ने हाल ही में पहले मुकदमे की जानकारी मांगी और इसी के बाद 8 अक्टूबर को जिला प्रशासन को इस संबंध में पत्र जारी किया.
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कानपुर में साल 2015 में दो गुटों के बीच हुई झड़प के आरोपियों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. यूपी सरकार ने 32 आरोपियों के खिलाफ चल रहे मुकदमे को वापस लेने का निर्देश दिया है. कानपुर में साल 2015 में मुहर्रम के जुलूस के दौरान दो गुटों में भीषण झड़प हुई थी. इसी के बाद 32 हिंदू समुदाय के आरोपियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गए थे.
सरकार ने आरोपियों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों की जानकारी तलब की थी. इसी के बाद मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया गया है. यूपी सरकार ने 8 अक्टूबर को इस संबंध में जिला प्रशासन को पत्र जारी किया था. जिला प्रशासन को संबंधित अदालत में मुकदमों की वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा गया है. संबंधित अदालत में सरकारी वकीलों को याचिका दाखिल कर मुकदमों को वापस लेने के लिए निर्देशित किया गया है.प
प्रशासन ने दी जानकारी
एक सरकारी वकील ने जानकारी दी कि हमें एक पत्र मिला है जिसमें हमें मामले को वापस लेने के लिए संबंधित अदालत में याचिका दायर करने का निर्देश दिया गया है. हालांकि, हमने अभी तक आवेदन जमा नहीं किया है. उन्होंने बताया, 8 अक्टूबर को लिखा गया पत्र राज्य सरकार के एक विशेष सचिव ने भेजा था. इससे पहले, सरकार ने मामले की जानकारी के साथ-साथ पुलिस और वकीलों सहित जिला अधिकारियों की राय मांगी थी.
क्यों हुई थी झड़प?
कानपुर के फजलगंज इलाके में 24 अक्टूबर 2015 को मुहर्रम के जुलूस के दौरान एक धार्मिक पोस्टर कथित तौर पर फाड़े जाने के एक दिन बाद सांप्रदायिक हिंसा हो गई थी. यह हिंसा तेजी से दूसरे इलाकों में फैल गई थी. इलाके में दो गुटों के बीच भारी पथराव और गोलीबारी की घटनाएं हुईं. हिंसा में कई लोग घायल भी हुए थे. पुलिस ने बाद में मामले पर काबू पा लिया था और आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे.
पुलिस ने इस मामले में 32 आरोपियों के खिलाफ धारा 147 , 153 A, 295A, 353, 332, 336 समेत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था. अब इन्हीं मुकदमों के वापस लेने का फैसला यूपी सरकार ने लिया है.