भूपिंदर-मिताली की गजल सुनकर किसने कहा था- अब हम तलाक नहीं लेंगे…
दिग्गज गायक भूपिंदर सिंह ने कल यानी 18 जुलाई को मुंबई में अंतिम सांस ली. अब भूपिंदर सिंह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके चाहने वालों के दिलों में वो हमेशा जिंदा रहेंगे.
भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh) नहीं रहे. सोमवार रात से लेकर अब तक सोशल मीडिया में लोग उन्हें उनकी अलग आवाज के लिए याद कर रहे हैं. दरअसल, ये सिर्फ उनकी अलग आवाज नहीं बल्कि गायकी के अंदाज को भी याद करना है. भूपिंदर अलग ही थे. कम गाकर गए, लेकिन यादगार नगमें देकर गए. ऐसे नगमें जो दिल की गहराइयों तक उतरते हैं. उनके गानों पर आप डांस नहीं कर सकते, लेकिन आप सुकून की सांस ले सकते हैं. कितने किस्से हैं, कितनी कहानियां हैं जो उनके न रहने पर आज याद आ रही हैं. भूपिंदर के मुंबई जाने की कहानी भी उनकी अलग किस्म की आवाज से ही शुरू होती है.
आज से ठीक 60 साल पहले की बात है. दिल्ली में आकाशवाणी के एक अधिकारी का सम्मान समारोह था. इस कार्यक्रम में 21-22 साल के एक लड़के ने कुछ गाने गाए. उसकी आवाज में एक अलग ही नशा था. संगीतकार मदन मोहन भी वहां मौजूद थे. उन्हें उस नौजवान गायक की आवाज इतनी पसंद आ गई कि उन्होंने उसी वक्त उसे मुंबई आने का न्यौता दिया. कुछ ही समय बाद वो नौजवान कलाकार मुंबई पहुंच गया और अगले ही साल उसने एक सुपरहिट गाना गाया. वो गाना था- होके मजबूर तुझे उसने बुलाया होगा.
इस गाने के लिए मदन मोहन ने भूपिंदर को बुलाया था मुंबई
इस गाने के बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं. 1964 में फिल्म आई थी हकीकत. फिल्म के डायरेक्टर थे चेतन आनंद. गीतकार कैफी आजमी थे और संगीतकार मदन मोहन. इस एक गाने के लिए संगीतकार को कई आवाजों की जरूरत थी. 60 के दशक में मोहम्मद रफी, तलत महमूद, मन्ना डे जैसे दिग्गज गायकों को इस गाने के लिए लिया गया. इन दिग्गजों के साथ गाने के लिए मदन मोहन ने भूपिंदर सिंह को भी मौका दिया. इसके बाद की कहानी इतिहास में दर्ज है. दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन, एक अकेला इस शहर में रात में और दोपहर में, नाम गुम जाएगा, करोगे याद तो, मीठे बोल बोले, कभी किसी को मुकम्मल जहां, किसी नजर को तेरा इंतजार जैसे फिल्मी गीत अमर हैं.
फिल्मी गायन से क्यों दूर होते गए भूपिंदर
भूपिंदर की गायकी को चाहने वालों के मन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि इतने लाजवाब गाने देने के बाद भी उन्होंने प्लेबैक कम क्यों किया, इसका जवाब दिलचस्प है. एक इंटरव्यू में भूपिंदर सिंह ने कहा था उस दौर में फिल्म इंडस्ट्री में इतने दिग्गज गायक थे कि उसमें अपनी जगह बनाना आसान नहीं था. इसके अलावा भूपिंदर गीत के बोल को लेकर बहुत संदीजा थे. वो हल्के गाने गा ही नहीं सकते थे. प्लेबैक गायकी से धीरे-धीरे दूर होने के पीछ की एक वजह ये भी थी. इसके बाद भूपिंदर गजलों की दुनिया में आ गए.
बाद में, भूपिंदर सिंह और मिताली की जोड़ी ने कई यादगार गजलें गाईं. भूपिंदर सिंह की जिंदगी में काफी कुछ चीजें जगजीत सिंह जैसी थीं. जगजीत जी की तरह ही वो भी सिख परिवार से थे. उनके पिता गायकी को लेकर इतने अनुशासित थे कि एक वक्त भूपिंदर ने गाना ही छोड़ दिया था. बाद में उन्होंने दोबारा गायकी शुरू की. जगजीत सिंह की तरह उनकी भी जीवनसाथी बंगाली लड़की ही बनी. जगजीत सिंह की तरह ये जोड़ी भी गायन से जुड़ी.
ऐसे बनी थी भूपिंदर-मिताली की जोड़ी
भूपिंदर सिंह ने बांग्लादेशी गायिका मिताली से 80 के दशक में शादी की थी. इन दोनों कलाकारों की मुलाकात कैसे हुई, इसका भी एक दिलचस्प किस्सा है. भूपिंदर ने मिताली को दूरदर्शन के एक कार्यक्रम में सुना था. मिताली भी संगीत से जुड़े परिवार से ताल्लुक रखती थीं. उन्हें उनके भाई ने भूपिंदर का एक बांग्ला गाना सुनवाया था, जिसके बाद से वो भूपिंदर की आवाज को पसंद करने लगी थीं. पहली बार मिलने पर जब मिताली ने अपना परिचय दिया, तो भूपिंदर ने कहा कि वो उन्हें जानते हैं. एक दूसरे को देखे बगैर ही शुरू हुआ प्यार मिलने के बाद परवान चढ़ा और फिर शादी हो गई.
मिताली के एक जन्मदिन पर उनके लिए भूपिंदर ने खासतौर पर एक गीत तैयार किया यादों को सरेशाम बुलाया नहीं करते. उनका प्यार और संगीत दूसरों की जिंदगी पर भी असर करता रहा. कनाडा की एक घटना है. भूपिंदर और मिताली की पसंदीदा गजलों में एक थी शमा जलाए रखना, जब तक कि मैं न आऊं…. उन्होंने स्टेज परफॉर्मेंस में ये गजल गाई. इसके बाद एक भारतीय ‘कपल’ स्टेज पर आया. उन्होंने बताया कि वो तलाक लेने वाले थे, लेकिन ये गजल और भूपिंदर-मिलाती को देखकर उन्होंने अपनी शादी को एक और मौका देने का फैसला किया.
गायकी में ही नहीं ऊंगलियों में भी था कमाल
ये तो हुई गायक भूपिंदर की बात, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि वो एक लाजवाब गिटारिस्ट भी थे. उन्होंने आरडी बर्मन, खय्याम और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे संगीतकारों के साथ बैकग्रांउड म्यूजिक तैयार किया. बतौर गिटारिस्ट भूपिंदर सिंह ने जब फिल्म हंसते जख्म में तुम जो मिल गए हो तो ये लगता है गाने में गिटार बजाया तो वो उनका शिखर था. लोग हैरान थे. उनकी ऊंगलियों का लोहा मान रहे थे. चुरा लिया है तुमने जो दिल को, दम मारो दम, महबूबा-महबूबा, चिंगारी कोई भड़के जैसे गानों में गिटार का हिस्सा याद कीजिए. उनके बारे में संगीतकार नौशाद कहा करते थे कि जहां गिटार की बात आती है वहां भूपिंदर के आस पास भी कोई पहुंच नहीं सकता है.