Asansol Lok Sabha Seat: बाबुल ने साथ छोड़ा, BJP हो गई ‘खामोश’, कैसे फतह करेगी आसनसोल का किला?

Asansol Lok Sabha Seat: बाबुल ने साथ छोड़ा, BJP हो गई ‘खामोश’, कैसे फतह करेगी आसनसोल का किला?

आसनसोल में किसान और मजदूर वर्ग राजनीतिक समीकरणों को बदलने की ताकत रखते हैं. इसके साथ ही हिन्दी भाषी वोटर भी निर्णायक हैं. टीएसी की तरफ से शत्रुध्न सिन्हा को टिकट मिलना तय माना जा रहा है जबकि पवन सिंह के नाम वापसी के बाद कहा जा रहा है बीजेपी भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह को मैदान में उतार सकती है.

पश्चिम बंगाल का आसानसोल इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल बीजेपी ने जब लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की तब भोजपुरी फिल्मों के हीरो और गायक पवन सिंह को आसनसोल से मैदान में उतारा था. पवन सिंह ने टिकट मिलने के बाद पहले खुशी जाहिर की बाद में सोशल मीडिया पर पोस्ट कर चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया. पवन सिंह के टिकट वापस करने के बाद ये सीट लगातार चर्चा में बना हुआ. आसनसोल सीट पर अभी ममता बनर्जी की पाटी टीएमसी के शत्रुध्न सिन्हा सांसद हैं. शत्रुध्न सिन्हा ने अप्रैल 2022 में हुए उपचुनाव में तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है. टीएमसी पहली बार यहां जीत दर्ज करने में कामयाब रही है.

पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाद सबसे बड़े शहर आसनसोल में कभी सीपीआईएम का वर्चस्व था. CPIM ने यहां 1989 से लेकर 2014 तक राज किया. इसके बाद 2014 में बीजेपी ने खाता खोला और लगातार दो बार जीत दर्ज की. बीजेपी से बाबुल सुप्रियो 2014 और 2019 में जीत दर्ज करने में कामयाब हुए. 2019 में जब उन्हें बीजेपी ने मंत्री नहीं बनाया तो उन्होंने पार्टी बदल ली साथ ही लोकसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया.

एक नजर 2019 और 2022 के चुनाव पर

2019 में सिंगर सुप्रियो ने कांग्रेस की मुनमुन सेन को 197637 मतों से हराया था. इससे पहले 2014 में उन्होंने बीजेपी की टिकट पर तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन को 70,480 वोटो से हराया था. बीजेपी ने तब यहां पहली बार जीत दर्ज की थी. बाबुल सुप्रियो के पार्टी बदल कर टीएमसी में शामिल होने और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद 2022 में यहां उपचुनाव कराया गया. इसके बाद हिन्दी भाषी वोटरों को अपने पाले में लाने के लिए टीएमसी ने बिहारी बाबू के नाम से प्रसिद्ध शत्रुध्न सिन्हा को मैदान में उतारा. फिर शत्रुध्न सिन्हा ने यहां वो कर दिखाया जो टीएमसी के दूसरे उम्मीदवार अबतक नहीं कर पाए थे. शत्रुध्न सिन्हा ने बीजेपी के अग्निमित्र पॉल को तीन लाख वोटों से शिकस्त दी और टीमएसी का आसनसोल में खाता खोला.

आसनसोल का राजनीतिक इतिहास

आसनसोल संसदीय क्षेत्र 1957 में अस्तित्व में आया. यहां अबतक 18 बार सांसद चुने गए हैं.आजादी के बाद शुरुआती दौर में जब भारतीय राजनीति में कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व था तब यहां से 1957 और 1962 में लगातार दो बार कांग्रेस पार्टी जीती. बाद में 67 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के देवेन सेन और फिर 1971,77 में लगाकार दो बार माकपा के रोबिन सेन ने जीत दर्ज की. इसके बाद फिर दो कार्यकाल 1980 और 1984 में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की. फिर माकपा के हराधन राय ने लगातार दो बार, 1989, 1991 और 1996 में विजय दिलाकर ने जीत दर्ज की. इसके बाद माकपा के ही विकास चौधरी ने 1998, 1999 और 2004 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की. विकास चौधरी के आकस्मिक निधन के बाद हुए उपचुना और 2005-09 और 2009-14 के लिए लगातार दो बार माकपा के वंशगोपाल चौधरी ने चुनाव जीता. इसके बाद 2014 में बीजेपी यहां जीत दर्ज करने में कामयाब रही.

कोयला और स्टील से है आसनसोल का आधार

पश्चिम बंगाल का नगर आसनसोल खनिज पदार्थों में धनी है. इस शहर के अर्थव्यवस्था का आधार कोयला, स्टील और रेलवे हैं.आसनसोल में सेनेरैल साइकिल का भारत का सबसे बड़ा कारखाना भी है. घागर बुरी चांदनी मंदिर, कल्याणेश्वरी मंदिर, नेहरू पार्क, बिहारीनाथ हिल यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं. आसनसोल देश के उन 11 शहरों में से एक है जो विश्व के 100 सबसे तेजी से विकसित हो रहे शहरों की सूची में शामिल है. इस लोकसभा सीट में 7 विधानसभा-रानीगंज, पंदाबेश्वर,आसनसोल दक्षिण, आसनसोल उत्तर, कुल्टी, जमुरिया और बाराबनी शामिल है.

हिन्दी भाषी वोटर भी निर्णायक हैं

आसनसोल की कुल जनसंख्या 2,137,389 है. इसमें 80 प्रतिशत लोग शहरों में जबकि 20 प्रतिशत जनसंख्या गांवों में रहती है. आसनसोल में किसान और मजदूर वर्ग के लोग राजनीतिक समीकरणों को बदलने की ताकत रखते हैं. इसके साथ ही हिन्दी भाषी वोटर भी निर्णायक हैं. टीएसी की तरफ से शत्रुध्न सिन्हा को टिकट मिलना तय माना जा रहा है जबकि पवन सिंह के नाम वापसी के बाद कहा जा रहा है बीजेपी भोजपुरी अभिनेत्री अक्षरा सिंह को मैदान में उतार सकती है.