दलितों ने कुएं से भरा पानी, आदिवासियों ने किया बवाल… क्या है पूरा मामला?

दलितों ने कुएं से भरा पानी, आदिवासियों ने किया बवाल… क्या है पूरा मामला?

बालघाट जिले में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है. आज के दौर में एक परिवार को कुएं से इसलिए पानी नहीं भरने दिया गया क्योंकि वह दलित समाज से जुड़ा हुआ है. कुमझर गांव के आदिवासी समुदाय को दलितों के द्वारा कुएं से पानी भरने से मना करने पर विवाद बढ़ गया.

मध्य प्रदेश के बालघाट जिले में अनुसूचित जाति समाज के लोगों को कुएं से पानी भरने से मना कर दिया. 21 वीं सदी में भी इस तरह की घटनाओं का सामने आना बेहद शर्मिंदगी भरा है. बालघाट में विवाद इसलिए हो गया क्योंकि अनुसूचित जाति के लोगों ने एक कुएं से पानी भर लिया, जिससे वह कभी भी खुद से पानी नहीं भरा करते थे.

दरअसल, दलित समाज के लोगों ने जब आदिवासी समाज के कुएं से पानी भरा तो उन्हें यह बात बिल्कुल भी रास नहीं आई और दलित समाज को पानी भरने से मना कर दिया. आदिवासियों के इस रवैये के कारण दलित समाज ने पुलिस थाने में शिकायत कर दी. दलित समाज के लोगों की शिकायत पर थाना प्रभारी ने आदिवासियों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने. इसपर पुलिस प्रशासन ने दलित समाज को आदिवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है.

दलितों के पानी छूने से हो जाता है सफेद

बालघाट के कुमझर गांव में 20 आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं. वहीं इसी गांव में एक दलित समाज का परिवार भी रहा है. दलित परिवार ने आदिवासियों के इस्तेमाल किए जाने वाले कुएं से पानी भर लिया तो इस पर आदिवासियों ने बवाल मचा दिया. रुढ़ियों और कुतर्क का हवाला देकर कहने लगे कि वो हमेशा से दलित परिवार को कुएं से पानी निकालकर देते थे, इसलिए दलित समाज के लोग खुद से उस कुएं से पानी नहीं भर सकते हैं. दलित समाज के लोगों को कुएं पर चढ़ने नहीं देंगे. आदिवासियों का कहना है कि, अगर वह पानी को छू लेते हैं तो वह सफेद हो जाता है. दलितों के पानी छूने से कुएं में कीड़े पड़ने लगते हैं, जिसे आदिवासी समुदाय के लोग पूजा पाठ के जरिए शुद्ध कराते हैं.

थाना प्रभारी के समझाने का भी नहीं हुआ असर

अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों की शिकायत पर थाना प्रभारी चांगोटोला ने आदिवासी समुदाय के लोगों को बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने और उन्होंने साफ-साफ कहा कि वह दलितों को कुएं पर चढ़ने नहीं देंगे. उनकी इस प्रतिक्रिया पर थाना प्रभारी ने आदिवासियों पर कड़ी कार्यवाही का आश्वासन दिया है.

वहीं, गांव के सरपंच ने कहा कि गांव में एक सार्वजनिक कुआं है, जिससे पानी भरा जा सकता है. वह सार्वजनिक कुआं अभी फिलहाल गंदा, जिसकी साफ-सफाई के बाद ही उसके पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है. गांव में गर्मी के समय अमूमन पीने के पानी की समस्या बनी रहती है.