गेटवे ऑफ इंडिया पर मंडरा रहा खतरा, 100 साल पुरानी इमारत की कमजोर हो रही नींव-दीवार
मुंबई न्यूज: भारतीय पुरातत्व विभाग ने गेटवे ऑफ इंडिया को लेकर एक रिपोर्ट जारी किया है. इसमें बताया है कि 100 साल पुरानी इस इमारत की नींव और दीवारों में दरारें आ चुकी है. जल्द ही इसकी मरम्मत का काम नहीं हुआ तो यह इमारत गिर भी सकती है.
मुंबई: ऐतिहासिक इमारत गेटवे ऑफ इंडिया पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. 100 साल पहले बनी इस इमारत की नींव और दीवारें कमजोर हो रही हैं. समय रहते इसकी सुरक्षा के उपाय नहीं हुए तो यह इमारत कभी भी गिर सकती है. यह आशंका भारतीय पुरातत्व विभाग ने जताई है. इस संबंध में विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की है. बताया है कि समुद्र के किनारे खड़ी यह सौ साल पुरानी इमारत समय के साथ कमजोर होती जा रही है. इसकी नींव और दीवारों में दरारें आ चुकी हैं. ऐसे में समय रहते इसकी मरम्मत की जरूरत है.
पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक यह इमारत 1924 में बन कर तैयार हुई थी और अगले वर्ष इसकी उम्र एक सौ वर्ष पूरी हो जाएगी. पिछले दिनों पुरातत्व विभाग ने इस इमारत के शताब्दी वर्ष को देखते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट रिपोर्ट कराई थी. इस रिपोर्ट के परिणाम चौंकाने वापले आए हैं. विभाग की रिपोर्ट की माने तो इस इमारत की दीवार जर्जर हो चुकी है और कभी भी धराशायी हो सकती है.
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पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इसकी मुख्य वजह इमारत की नींव और दीवारों में दरारें हैं. इन दरारों की तत्काल मरम्मत की जरूरत है. इसके लिए राज्य पुरातत्व विभाग ने महाराष्ट्र सरकार से इस राष्ट्रीय धरोहर को संरक्षित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी है.
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अधिकारियों के मुताबिक गेटवे ऑफ इंडिया राष्ट्रीय धरोहर घोषित है. हालांकि इसके रखरखाव की जिम्मेदारी महाराष्ट्र सरकार के पास है. पिछले दिनों कुछ पुरातत्व शास्त्रियों ने महाराष्ट्र सरकार पर अनदेखी करने का आरोप लगाया था. जबकि महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भरोसा दिया था कि इस इमारत की मरम्मत और रखरखाव के लिए 8 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है.
किंग के स्वागत के लिए बनी थी इमारत
पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण कार्य 1924 में कराया गया था. मुंबई में समंदर किनारे यह इमारत ब्रिटेन के तत्कालीन किंग जॉर्ज पंचम के स्वागत के लिए बनाया गया था. पहली बार भारत दौरे पर आए किंग जॉर्ज पंचम ने इसी गेटवे ऑफ इंडिया के जरिए देश में घुसे थे. इसी प्रकार आजादी के वक्त अंग्रेजों की अंतिम सैन्य टुकड़ी भी इसी गेटवे ऑफ इंडिया से निकल कर ब्रिटेन के लिए रवाना हुई थी.