‘राज ठाकरे की हत्या का शिवसेना ने रचा था प्लान’, उद्धव का नाम लिए बिना MNS प्रवक्ता का बयान

‘राज ठाकरे की हत्या का शिवसेना ने रचा था प्लान’, उद्धव का नाम लिए बिना MNS प्रवक्ता का बयान

एमएनएस प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना उन पर बेहद गंभीर इल्जाम लगाते हुए कहा है कि साल 2005 राज ठाकरे की हत्या की सुपारी दी गई थी और इस मामले में नारायण राणे को फंसाने का प्लान था.

मुंबई: शिवसैनिकों के जरिए एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की हत्या की साजिश रची गई थी. मुंबई के चंद गुंडों को सुपारी दी गई थी. राज के 2005 के मालवण दौरे के वक्त उन्हें रास्ते से हटाने का प्लान था. यह सोचा गया था कि हत्या का शक शिवसेना से अलग हो चुके नारायण राणे पर जाएगा और शिवसेना की बजाए नारायण राणे शक के घेरे में आ जाएंगे. उद्धव ठाकरे का नाम लिए बिना उन्हीं की ओर संकेत करते हुए यह बेहद गंभीर इल्जाम एमएनएस प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने लगाया है.

संदीप देशपांडे ने कहा कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे उस वक्त शिवसेना से अलग हो चुके थे. उनके रहते शिवसेना में से किसी के पास मालवण जाने की हिम्मत नहीं थी. मालवण में ही राज ठाकरे को उड़ा देने का प्लान था और इस मामले में नारायण राणे को फंसा देने की साजिश रची गई थी. यह साजिश क्यों रची गई थी? इसके जवाब में संदीप देशपांडे कहते हैं कि अपनी ही पार्टी में राज ठाकरे एक बड़े कंपटीटर थे. प्रतिस्पर्द्धी के तौर पर चुभ रहे कांटे को हटाने की नीच राजनीति खेली जा रही थी.

यह भी पढ़ें- देश में एक ही फ्रंट है BJP, कांग्रेस का टेंट खाली, तेलंगाना के CM की विधायक बेटी मुंबई दौरे पर

‘राज ठाकरे बहुत आगे बढ़ चुके थे, उद्धव बस फोटोग्राफी करते फर रहे थे’

संदीप देशपांडे ने कहा, ‘जिस वक्त 1988 में राज ठाकरे भारतीय विद्यार्थी सेना (शिवसेना की छात्र इकाई) चला रहे थे. उद्धव ठाकरे बस फोटोग्राफी किया करते थे. ऐड एजेंसी चला रहे थे. 1995 में राज ठाकरे ने 80 सभाएं कीं. तीन महीने तक लगातार राज सभा कर रहे थे.1995 में जब बीजेपी और शिवसेना की सत्ता आई तब से उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने लगे.’

‘राज के बढ़ते प्रभाव की वजह से खेला गया हत्या का दांव’

इसी बात को आगे बढ़ाते हुए संदीप देशपांडे कहते हैं, ‘बालासाहेब ठाकरे के बाद राज ठाकरे को जब अगला नेता के तौर पर देखा जाने लगा, तब 1995 से 2000 के बीच उनके खिलाफ साजिश रचने का दौर शुरू हुआ. साल 2000 में उद्धव ठाकरे की सेहत बिगड़ने लगी. 2002 में बालासाहेब ठाकरे की इच्छा पूरी करने के लिए राज ठाकरे ने त्याग करते हुए उद्धव ठाकरे को कार्याध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया.’

यह भी पढ़ें- शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ने दिया था CM पद का ऑफर, फडणवीस के इस खुलासे पर राउत बोले

तब क्यों नहीं बोला, अब जाकर सूझा? ठाकरे गुट की नेता किशोरी पेडणेकर ने पूछा

संदीप देशपांडे के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ठाकरे गुट की नेता और मुंबई की पूर्व मेयर किशोरी पेडणेकर, ‘ वाह रे चौका पांडे, इतनी बड़ी साजिश रची गई और आज तक आप चुप रहे? तब क्यों नहीं बोला? उस दौरे में राज साहेब के साथ मैं भी गई थी. राजापुर तक जाकर वह दौरा अचानक खत्म कर दिया गया था. अगर उस दौरे में इतना बड़ा कांड होने वाला था तो तुरंत इस बारे में सबको इत्तिला देनी चाहिए.’