बिहार के पूर्व मंत्री समेत 5 लोग दोषी करार, बिटुमेन घोटाला केस में CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला

बिहार के पूर्व मंत्री समेत 5 लोग दोषी करार, बिटुमेन घोटाला केस में CBI कोर्ट ने सुनाया फैसला

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में 1997 में प्राथमिकी दर्ज की थी और 2001 में आरोप पत्र दाखिल किया था. वहीं अब लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने पांचों दोषियों को तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई और हर एक पर 32 लाख रुपए का जुर्माना लगाया.

सीबीआई की एक कोर्ट ने 27 साल पुराने बिटुमेन परिवहन घोटाले में बिहार के पूर्व मंत्री मोहम्मद इलियास हुसैन और चार अन्य को शनिवार को दोषी करार दिया. अधिकारियों ने बताया कि कोर्ट ने पूर्व मंत्री, उनके तत्कालीन सचिव शहाबुद्दीन बेग और तीन अन्य, पवन कुमार अग्रवाल, अशोक कुमार अग्रवाल और विनय कुमार सिन्हा को तीन साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई और हर एक पर 32 लाख रुपए का जुर्माना लगाया.

अधिकारियों ने कहा कि मामला हल्दिया से बरौनी के रास्ते आरसीडी हजारीबाग तक बिटुमेन की कथित ढुलाई से संबंधित है. एक अधिकारी ने कहा कि जांच में पता चला है कि बिटुमेन की ढुलाई की ही नहीं गई थी. ट्रांसपोर्टर ने हल्दिया से बिटुमेन लदवाकर कोलकाता के खुले बाजार में बेच दिया और परिवहन शुल्क भी लिया. अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में 1997 में प्राथमिकी दर्ज की थी और 2001 में आरोप पत्र दाखिल किया था.

सात आरोपितों को किया गया बरी

इस मामले में ट्रायल फेस कर सात आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया. कोर्ट ने केदार पासवान, गणपति रामनाथ, शीतल प्रसाद माथुर, तरुण कुमार गांगुली, रंजन प्रधान, शोभा सिन्हा और महेश चंद्र अग्रवाल को बरी किया. कोर्ट ने 24 जनवरी को 12 आरोपितों का बयान दर्ज किया था. 22 मार्च को दोनों पक्षों की अंतिम बहस पूरी होने के बाद फैसले की तारीख निर्धारित की गई थी. बता दें कि इस केस में 1997 में एफआईआर दर्ज की गई थी.

सरकार को करोड़ों का नुकसान

1994 में पथ निर्माण विभाग के हजारीबाग डिविजन में सड़कों का निर्माण कार्य किया जाना था. इसके लिए हल्दिया ऑयल रिफाइनरी कोलकाता से अलकतरा आना था. लेकिन मंत्री के साथ इंजीनियरों ने कंपनी से सांठगांठ कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया. घोटाले की जांच सीबीआई को साल 1997 में सौंपी गई थी.

1997 में एफआईआर दर्ज

सीबीआई ने इस मामले में सात मई 1997 को एफआईआर दर्ज की थी. सीबीआई ने अलकतरा घोटाले को लेकर उस समय सात अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की थी. सीबीआई की तफ्तीश में सरकार को चूना लगाने के सबूत मिले. इसके आधार पर सीबीआई ने बिहार के तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसैन सहित तीन दर्जन से अधिक लोक सेवकों व निजी व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.