किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर बॉर्डर सील, इंटरनेट बंद के खिलाफ HC में याचिका दायर, आज सुनवाई

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च पर बॉर्डर सील, इंटरनेट बंद के खिलाफ HC में याचिका दायर, आज सुनवाई

इस रुकावट की वजह से वैकल्पिक मार्गों पर यातायात बढ़ गया है, जिससे अधिवक्ताओं, डॉक्टरों और आपातकालीन सेवाओं जैसे पेशेवरों के लिए देरी और कठिनाइयां पैदा हो रही हैं, जो अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने और तुरंत उपस्थित होने में असमर्थ हैं.

किसान संगठनों के 13 फरवरी यानी आज दिल्ली तक विरोध मार्च के आह्वान के मद्देनजर हरियाणा सरकार द्वारा सीमाएं सील करने और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के खिलाफ सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिकाकर्ता उदय प्रताप सिंह ने अदालत से किसानों के विरोध के खिलाफ हरियाणा और पंजाब की सरकारों और केंद्र की सभी अवरोधक कार्रवाइयों पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की, आरोप लगाया कि वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और असंवैधानिक हैं. इस मामले पर आज सुनवाई होने की उम्मीद है.

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने घोषणा की है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाने सहित कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव डालने के लिए आज दिल्ली जाएंगे.

संवैधानिक अधिकार का प्रयोग

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने हरियाणा और पंजाब के बीच विशेष रूप से अंबाला के पास शंभू में किसानों को उनके संवैधानिक अधिकार का प्रयोग करने से रोकने के गैरकानूनी सीमा को सील किया गया है. उन्होंने तर्क दिया कि अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और बल्क एसएमएस को निलंबित करने सहित हरियाणा अधिकारियों की कार्रवाइयों ने स्थिति को और खराब कर दिया है, जिससे नागरिक सूचना के अधिकार से वंचित हो गए हैं.

सड़क की नाकेबंदी गलत

सड़क की नाकेबंदी से न केवल निवासियों को असुविधा होती है, बल्कि एम्बुलेंस, स्कूल बसों, पैदल यात्रियों और अन्य वाहनों की आवाजाही भी बाधित होती है. इस रुकावट के परिणामस्वरूप वैकल्पिक मार्गों पर यातायात बढ़ गया है, जिससे अधिवक्ताओं, डॉक्टरों और आपातकालीन सेवाओं जैसे पेशेवरों के लिए देरी और कठिनाइयां पैदा हो रही हैं, जो अपने कार्यस्थलों तक पहुंचने और तुरंत उपस्थित होने में असमर्थ हैं.

असहमति को दबाने की कोशिश

अंबाला और कैथल जिलों में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू करना, साथ ही विभिन्न सड़कों पर सीमेंटेड बैरिकेड्स, स्पाइक स्ट्रिप्स और अन्य बाधाओं को लगाना, राज्य के अधिकारियों द्वारा असहमति को दबाने के लिए एक ठोस प्रयास को दर्शाता है. याचिका में कहा गया है कि ये गतिविधियां न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1) (ए) और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि लोकतंत्र और कानून के शासन के सिद्धांतों को भी कमजोर करती हैं.