Haryana Election 2024: हुड्डा, सुरजेवाला या सैलजा… कौन हैं सीएम का मजबूत दावेदार, इन 3 संकेतों से कांग्रेस ने कर दिया साफ
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक चुनाव के बीच पार्टी की ओर से जो अब तक 3 बड़े फैसले किए गए हैं, उससे साफ हो गया है कि हरियाणा में सरकार बनने पर हुड्डा परिवार से ही मुख्यमंत्री का चेहरा होगा. इस स्पेशल स्टोरी में इन्हीं तीनों संकेत को विस्तार से जानिए...
हरियाणा में कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री पद के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. गाहे-बगाहे नेता अपनी दावेदारी भी जाहिर कर रहे हैं. सीएम पद को लेकर जो प्रमुख दावेदार हैं, उनमें हुड्डा परिवार से भूपिंदर हुड्डा, दीपेंदर हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा और रणदीप सुरदेवाला का नाम शामिल हैं.
दावेदारों की इन्हीं लिस्ट को देखते हुए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. हालांकि, पार्टी ने अपने 3 फैसलों से सीएम फेस को लेकर जनता को जरूर संकेत दे दिया है.
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक पार्टी की ओर से जो अब तक 3 बड़े फैसले किए गए हैं, उससे साफ हो गया है कि हरियाणा में सरकार बनने पर हुड्डा परिवार से ही मुख्यमंत्री होगा.
90 सीटों वाली हरियाणा में 5 अक्टूबर को मतदान प्रस्तावित है, जबकि 8 अक्टूबर को नतीजे आएंगे.
1. टिकट वितरण में सुरजेवाला-सैलजा गुट की नहीं चली
हरियाणा में टिकट बंटवारे में रणदीप सुरजेवाला और कुमारी सैलजा गुट का सिक्का नहीं चल पाया है. कांग्रेस की तरफ से अब तक जारी 41 उम्मीदवारों की लिस्ट में सैलजा गुट की सिर्फ 4 लोगों को टिकट दिया गया है. बाकी के सभी नाम भूपिंदर हुड्डा गुट के ही हैं.
कहा जा रहा है कि अभी 59 उम्मीदवारों की जो नई लिस्ट आने वाली है, उसमें भी हुड्डा गुट का ही दबदबा रहने वाला है. नई लिस्ट में सुरजेवाला और सैलजा खेमे को बमुश्किल 5-6 टिकट मिल सकता है.
हालांकि, सैलजा का कहना है कि 2005 में भजनलाल समर्थकों को ज्यादा टिकट मिले थे, लेकिन जब मुख्यमंत्री बनाने की बारी आई तो हाईकमान ने हुड्डा के नाम को आगे कर दिया, लेकिन इस बार सरकार आने पर ऐसी संभावनाएं कम दिखती है. वजह केंद्र की सत्ता में कांग्रेस का विपक्ष में होना है.
2. हुड्डा ने अजय यादव और वीरेंद्र सिंह को साधा
टिकट बंटवारे के जरिए हुड्डा कैंप ने अपने धुर-विरोधी वीरेंद्र सिंह और अजय यादव को साध लिया है. अजय यादव के बेटे चिरंजीवी राव को रेवाड़ी से उम्मीदवार बनाया गया है. हुड्डा खुद चिरंजीवी के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होने रेवाड़ी पहुंचे थे. यहां पर अजय यादव के साथ उनकी तस्वीर भी सोशल मीडिया में आई.
इसी तरह हुड्डा ने उचाना कला से वीरेंद्र सिंह के बेटे बिजेंद्र सिंह को टिकट दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई है. बिजेंद्र हिसार से सांसद रहे हैं और कांग्रेस से पहले बीजेपी में थे.
उचाना कला जाट प्रभावित सीट है और वर्तमान में यहां से दुष्यंत चौटाला विधायक हैं. कहा जा रहा है कि अगर बिजेंद्र सिंह हुड्डा फैमिली को यहां से साधकर नहीं चलते हैं तो उनके साथ खेल भी हो सकता है.
3. हुड्डा की वजह से आप की डिमांड हुई खारिज!
हरियाणा में कांग्रेस आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना चाहती थी. दोनों पार्टियों में शुरुआती स्तर पर इसको लेकर बातचीत भी हुई, लेकिन आखिर में सीट शेयरिंग के मसले पर बातचीत नहीं बन पाई. कहा जा रहा है कि हुड्डा आप को शुरू से ही ज्यादा सीट देने के पक्ष में नहीं थे.उन्होंने कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी इस बात को दोहराया था.
हुड्डा आप को मैक्सिमम 5 सीट देने के पक्ष में रहे हैं. दिलचस्प बात है कि कांग्रेस भी आप को 5 ही सीट का ऑफर दे रही थी.
हुड्डा परिवार से कौन बनेगा, यह भी सवाल
हरियाणा के सियासी गलियारों में एक सवाल यह भी है कि सुरजेवाला-सैलजा को तो हुड्डा परिवार ने पस्त कर दिया है, लेकिन सरकार बनती है तो परिवार से सीएम पद का दावेदार कौन होगा? पहली बार भूपिंदर हुड्डा के साथ-साथ उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा भी सीएम के दावेदार हैं.
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है यह सबकुछ रिजल्ट पर निर्भर करेगा. बॉर्डर लाइन रिजल्ट आता है तो सीनियर हुड्डा बनेंगे और अगर दो तिहाई के आसपास सीटें आती है तो फिर दीपेंद्र की दावेदारी पर भी सोचा जा सकता है.
बॉर्डर लाइन रिजल्ट से तात्पर्य है- सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत 46 के आसपास की सीटें. हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं और यहां सरकार बनाने के लिए कम से कम 46 विधायकों की जरूरत होती है.
हरियाणा में हुड्डा परिवार ही कांग्रेस
2005 में भूपिंदर हुड्डा पहली बार हरियाणा में सुर्खियों में आया था. उन्हें भजनलाल के बदले कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया. 2014 तक हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. 2014 में कांग्रेस तीसरी नंबर की पार्टी बन गई, लेकिन हुड्डा ने जमीन नहीं छोड़ी. 2019 में चुनाव से पहले हुड्डा फिर हरियाणा की सियासी केंद्र में आए. वे कांग्रेस की तरफ से विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष बनाए गए.
हुड्डा के सियासी सेंटर में आते ही सबसे पहले अशोक तंवर ने पार्टी छोड़ी. इसके बाद पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया. अभी तक कुलदीप बिश्नोई, किरण चौधरी और श्रुति चौधरी जैसे बड़े नेता हुड्डा की वजह से कांग्रेस छोड़ चुके हैं.
कहा जाता है कि वर्तमान में जो प्रदेश अध्यक्ष हैं, वो भी हुड्डा के ही करीबी हैं. इतना ही नहीं, हालिया लोकसभा चुनाव में हुड्डा की सिफारिश पर कांग्रेस ने हरियाणा में 8 टिकट बांटे थे, जिनमें से 4 ने जीत हासिल की.