झूठा रेप केस लिखाया, 5 साल तक चला मुकदमा… अब कोर्ट ने आरोपी को किया बरी, महिला को मिली ये सजा
महिला की शिकायत के मुताबिक शिवम ने खुद को अविवाहित बताया और शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए. उसे घर से भगाकर ले गया और मुरादाबाद, गाजियाबाद तथा बरेली में किराए के मकान में पत्नी की तरह रखा. इतना ही नहीं शारीरिक संबंध न बनाने पर मारपीट करता था और उसे बदनाम करने की धमकी देता था.
उत्तर प्रदेश के बरेली में कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. जिसमें फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्पेशल जज रवि कुमार दिवाकर ने तीन बच्चों की मां से दुष्कर्म के आरोपी को बरी कर दिया है. वहीं वादी महिला पर आरोपी को गिरफ्तार कराने के मामले में दोषी मानकर ₹1000 का जुर्माना लगाया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने विवेचन और थाना अध्यक्ष तथा सीओ के खिलाफ भी कार्रवाई के लिए एसएसपी को निर्देश दिए हैं. कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बरेली में 2019 में थाना प्रेम नगर में एक महिला ने शिकायत दी थी. महिला ने बताया था कि शिवम शर्मा से उसकी मुलाकात लाला मार्केट में 3 साल पहले हुई थी. मुलाकात के बाद शिवम का महिला के घर पर आना-जाना शुरू हो गया और शिवम उसके पति की गैर मौजूदगी में घर में जबरन आता था.
महिला ने 3 साल शोषण करने का लगाया आरोप
महिला की शिकायत के मुताबिक शिवम ने खुद को अविवाहित बताया और शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाया. उसे घर से भगाकर ले गया और मुरादाबाद, गाजियाबाद तथा बरेली में किराए के मकान में पत्नी की तरह रखा. इतना ही नहीं शारीरिक संबंध न बनाने पर मारपीट करता था और उसे बदनाम करने की धमकी देता था. कहता था कि उसके पास कुछ अश्लील वीडियो हैं जिसे वह वायरल कर देगा. यह सिलसिला तीन वर्ष तक चलता रहा और उसने 3 साल तक शोषण किया. पुलिस ने पूरे मामले में रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना के बाद आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया और शासकीय अधिवक्ता ने पांच गवाह पेश किए थे.
उसके बाद स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने सुनवाई के दौरान आरोपी शिवम शर्मा को बरी कर दिया. रिपोर्ट दर्ज करने वाली महिला को दोषी मानकर उसे पर ₹1000 का जुर्माना डाला है. इतना ही नहीं स्पेशल जज ने विवेचक थाना अध्यक्ष के खिलाफ एसएसपी को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं.
फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज ने क्या कहा?
वहीं पूरे मामले में स्पेशल जज फास्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर का कहना है कि फेयर इन्वेस्टिगेशन न केवल वादी मुकदमा बल्कि अभियुक्त का भी मौलिक अधिकार है. न्यायालय पर वादी मुकदमा और अभियुक्त के अधिकारों की रक्षा करने की संपूर्ण जिम्मेदारी है. यदि वादी मुकदमा या पुलिस की ओर से अधिकारों का दुरुपयोग किया जाता है और अभियुक्त को गलत केस में फंसाया जाता है तो वादी मुकदमा एवं पुलिस को निश्चित रूप से दंडित करना चाहिए. प्रश्नगत मामले में पुलिस की ओर से निश्चित रूप से सत्य और निराधार आरोप पत्र दाखिल कर अधिकारों का दुरुपयोग किया गया है.