Dvand : संजय मिश्रा की ‘द्वंद’ में कितना दम? गांव के लोगों की सिनेमा के लिए दिखी दीवानगी
बॉलीवुड कलाकार संजय मिश्रा एक बार फिर अपनी दमदार अदाकारी की झलक लेकर फिल्म 'द्वंद द इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट' के साथ पर्दे पर आ चुके हैं. इश्तियाक खान के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में उन्होंने एक्टिंग भी की है. चलिए जानते हैं कि फिल्म की कहानी में कितना दम है?
सिनेमाघरों में एक बार फिर दिग्गज कलाकार संजय मिश्रा की फिल्म लग चुकी है. इस बार संजय मिश्रा ‘द्वंद द इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट’ के साथ दर्शकों के बीच आए हैं. ये फिल्म 29 सितंबर को सिनेमाघरों पर लग चुकी हैं. इस फिल्म की कहानी शेक्सपियर के पॉपुलर नाटक ‘ओथेलो’ से इंस्पायर्ड है. वहीं फिल्म की कहानी और इसका डायरेक्शन इश्तियाक खान ने किया है. इश्तियाक खान लंबे वक्त से अपनी फिल्मों के जरिए लोगों के जहन पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं. उनके सिनेमा और थिएटर के अनुभव की झलक भी इस फिल्म में साफ-साफ देखी जा सकती है.
‘द्वंद द इंटरनल कॉन्फ्लिक्ट’ में संजय मिश्रा के अलावा फैज़ खान, आशीष शुक्ला, विक्रम कोचर, विश्वनाथ चटर्जी और धीरेंद्र द्विवेदी अहम किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं. हर किरदार को इश्तियाक खान ने बारीकी के साथ लिखा है. वहीं खुद भी इश्तियाक खान फिल्म में एक जरूरी किरदार निभाते हुए नजर आ रहे हैं.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी एक गांव के कुछ लोगों की है. इश्तियाक खान के किरदार का नाम भोला है और उनके दोस्त एक्टिंग का शौकीन हैं. सभी दोस्त फिल्में देखने के दौरान पूरी तरह से उसमें डूब जाते हैं. साफ शब्दों में कहानी समझाए तो लोग ‘ओमकारा’ देखने के बाद पूरी तरह से फिल्म के किरदारों में खो जाते हैं. एक्टिंग का शौक रखने वाले ये सभी लोग एक नाटक पेश करने की हिम्मत करते हैं. अब नाटक तैयार करना है तो डायरेक्टर भी चाहिए होता है. ऐसे में सभी लोग संजय मिश्रा (जोकि गुरुजी का किरदार निभा रहे हैं) को बुलाने के लिए संदेशा भेजा जाता है.
धीरे-धीरे ये खबर पूरे गांव में फैल जाती है कि एक नाटक होने जा रहा है. इस खबर को सुनकर सभी बहुत खुश होते हैं. अब बिना हीरोइन के हर नाटक हर कहानी अधूरी होती है. ऐसे में मुश्किल ये आती है कि इस किरदार को कौन निभाएगा. महिला की तलाश शुरू होती है लेकिन गांव की किसी भी महिला को एक्टिंग नहीं आती है. लोगों के जहन में रजिया का नाम आता है लेकिन उसका पति इसके सख्त खिलाफ होता है. सारी परेशानी को देखते हुए भोला गुरुजी से नाराज होने लगता है. जिसके चलते वह एक साजिश रचता है.
संजय मिश्रा की एक्टिंग में दम
फिल्म में संजय मिश्रा का किरदार आपको हर पल बांधकर रखेगा. फिल्म की पूरी जिम्मेदारी मानों उन्हीं के कंधों पर है. वहीं इश्तियाक खान का किरदार भी काफी शानदार है. उन्होंने भी सिनेमा और थिएटर के लिए अपना प्रेम बखूबी दर्शाया है. अगर बात की जाए विश्वनाथ चटर्जी और विक्रम कोचर के किरदारों की तो गांव के आम व्यक्ति का रोल उन्होंने अच्छे से निभाया है.
डायरेक्शन में कितना दम?
इस फिल्म के डायरेक्टर इश्तियाक खान का काम अच्छा है. उनके काम में उनका अनुभव साफ झलकता है. हालांकि फिल्म के दौरान कुछ जगह ऐसा लगता है कि इसे जबरदस्ती खींचा जा रहा है. लेकिन जमीन से जुड़े किरदारों को अगर आप देखना पसंद करते हैं और इस तरह की कहानी से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं तो ये आपको पसंद आएगी.