आर्थिक मोर्चे पर पुतिन की घेराबंदी, EU ने रूस से डीजल खरीदने पर लगाई रोक
इस पाबंदी और मूल्य सीमा के पीछे मकसद यह है कि रूस को शोधित तेल उत्पादों की कीमतों में होने वाली किसी भी बढ़ोतरी का लाभ न मिले. बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से जंग जारी है.
यूक्रेन से जारी जंग के बीच यूरोपियन यूनियन (EU) ने आर्थिक मोर्चे पर व्लादिमीर पुतिन की घेराबंदी तेज कर दी है. यूरोपीय देशों ने रविवार को रूस से डीजल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया. रूसी डीजल पर यह पाबंदी पेट्रोलियम उत्पादों की अधिकतम सीमा के साथ लगाई गई है. डीजल की अधिकतम मूल्य सीमा पर सात मित्र देशों ने सहमति जताई थी.
हालांकि, यह मूल्य सीमा तात्कालिक तौर पर रूस के आर्थिक हितों को अधिक प्रभावित नहीं करेगी. इसकी वजह यह है कि रूस इस समय कमोबेश इसी स्तर पर डीजल की आपूर्ति कर रहा है. लेकिन यूरोपीय देशों की पाबंदी लगने के बाद उसके लिए डीजल के ग्राहकों की तलाश कर पाना खासा मुश्किल हो जाएगा.
जंग के बाद रूस पर कई पाबंदियां
यूक्रेन पर पिछले साल फरवरी में हमला करने वाले रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने के लिए अमेरिका एवं यूरोपीय देश उस पर कई पाबंदियां लगा चुके हैं. डीजल पर यूरोपीय देशों की रोक इसी दिशा में उठाया गया अगला कदम है. इस पाबंदी और मूल्य सीमा के पीछे मकसद यह है कि रूस को शोधित तेल उत्पादों की कीमतों में होने वाली किसी भी बढ़ोतरी का लाभ न मिले.
जून में ही कर दी गई थी इस पाबंदी की घोषणा
यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने कहा कि इस पाबंदी की घोषणा जून में ही कर दी गई थी लिहाजा रूस से तेल आयात करने वाले देशों के पास पर्याप्त समय था. पाबंदी के प्रभावी होने के पहले दिसंबर में रूस ने यूरोपीय देशों को डीजल आपूर्ति से दो अरब डॉलर कमाए. यूरोपीय देश पहले ही रूस से कोयला एवं अधिकांश कच्चे तेल पर रोक लगा चुका है. वहीं रूस ने जवाबी कदम के तौर पर यूरोप को प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बहुत सीमित कर दी है.
पिछले साल 24 फरवरी से शुरू हुआ था युद्ध
बता दें कि रूस और यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से जंग जारी है. इस 24 फरवरी को दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हुए पूरे एक साल हो जाएंगे. इस पूरे एक साल में दोनों देशों को खासा नुकसान हुआ है लेकिन दोनों में से कोई भी इस जंग से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. लिहाजा यह युद्ध कब तक जारी रह सकता है, यह कहना मुश्किल है. (भाषा से इनपुट)