क्रिप्टोकरेंसी पर चली बात, रूस-यूक्रेन युद्ध पर नहीं आए साथ, ऐसी रही G20 वित्त प्रमुखों की बैठक
भारत इस साल G20 की अध्यक्षता कर रहा है. इस कड़ी में G20 देशों के वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों (FCBD) एवं वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (FMCBG) की बैठकें बेंगलुरू हुईं. इस दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर इन देशों के बीच मतभेद उभरने से ये बैठकें किसी संयुक्त बयान को जारी किए बिना ही खत्म हो गईं.
दुनिया की 20 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समूह G20 की अध्यक्षता इस साल भारत कर रहा है. इस कड़ी में देश में कई बैठकें हो रही हैं, जिसमें दो बड़ी बैठकें बेंगलुरू में हुईं. एक बैठक में G20 देशों के वित्त और केंद्रीय बैंक के प्रतिनिधियों (FCBD) शामिल हुए, तो इसके तुरंत बाद दूसरी बैठक वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (FMCBG) की हुई. इन बैठकों के दौरान कई देशों के बीच रूस-युक्रेन युद्ध को लेकर कोई सहमति नहीं बन सकी, जिसके चलते ये बैठक किसी संयुक्त बयान को जारी किए बिना ही समाप्त हो गई.
इसमें FCBD बैठक 22-23 फरवरी को, तो FMCBG बैठक 24-25 फरवरी को संपन्न हुई. भले बैठकों के बाद संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया हो, लेकिन जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर की बैठक खत्म होने के बाद सारांश और परिणाम दस्तावेज जारी किए गए.
रूस-यूक्रेन युद्ध की चर्चा पर आपत्ति
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां पर आयोजित दो-दिवसीय जी20 बैठक खत्म होने के बाद कहा कि यूक्रेन पर रूस के हमले को वर्णित करने के तरीके को लेकर मतभेद उभरने से संयुक्त बयान जारी नहीं किया जा सका.
दरअसल यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का एक साल पूरा होने पर अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के नेता इस सैन्य कार्रवाई के लिए रूस की निंदा का प्रस्ताव लाना चाहते थे, लेकिन चीन और रूस राजनीतिक मसले पर चर्चा के लिए जी20 मंच का इस्तेमाल करने के खिलाफ थे.
भारत खुद को तटस्थ रखने के पक्ष में
G20 के लिए मेजबानी कर रहे भारत का इस मामले में प्रारंभिक मत था कि जी20 इस तरह के मुद्दे को संबोधित करने का मंच नहीं है, लिहाजा वह इसे संकट या चुनौती जैसे तटस्थ शब्दों से परिभाषित करने के पक्ष में था.
निर्मला सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि रूस और चीन की आपत्तियों को देखते हुए जी20 बैठक के बाद संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया. हालांकि इसमें हटाए गए पैराग्राफ एकदम वही थे जिस पर जी20 के नेताओं की नवंबर में संपन्न बाली बैठक में सहमति बनी थी.
बाकी देशों ने रखा अपना-अपना मत
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि इस पैराग्राफ की भाषा एकदम जी20 बाली उद्घोषणा से ही ली गई थी. लेकिन रूस और चीन का कहना था कि यह बैठक वित्तीय एवं आर्थिक मसलों पर हो रही है लिहाजा इसमें यूक्रेन मसले का जिक्र करने का कोई अर्थ नहीं है.
हालांकि बैठक के बाद जारी सारांश में कहा गया है कि जी20 सदस्यों ने यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी राष्ट्रीय स्थितियों को ही दोहराया है. अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा करने के साथ इस पर जोर दिया कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है.
इसके साथ ही सारांश दस्तावेज में कहा गया, ‘हालात और प्रतिबंधों के आकलन को लेकर अलग मत था. जी20 के सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समाधान का मंच न होने की बात स्वीकार करते हुए भी हमारा मत है कि सुरक्षा मुद्दों के वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अहम नतीजे हो सकते हैं.’ इस विशेष पैराग्राफ पर रूस और चीन सहमत नहीं थे.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर हुई चर्चा
इस दो-दिवसीय बैठक में व्यापक मुद्दों पर चर्चा हुई जिनमें गरीब देशों को कर्ज राहत, डिजिटल करेंसी और भुगतान, वर्ल्ड बैंक जैसे बहुपक्षीय ऋण संस्थान में सुधार, जलवायु परिवर्तन और वित्तीय समावेशन जैसे मुद्दे शामिल हैं.
इस बैठक में निम्न और मध्यम आय वाले देशों में ‘ऋण से जुड़ी कमजोरियों’ पर खास चर्चा की गई. इसमें जाम्बिया, इथियोपिया, घाना और श्रीलंका में ऋण पुनर्गठन को हरी झंडी दिखाते हुए कहा गया, ‘कर्ज की बिगड़ती स्थिति दूर करने और ऋणग्रस्त देशों के लिए कर्ज समाधान की सुविधा के लिए आधिकारिक द्विपक्षीय और निजी लेनदारों द्वारा बहुपक्षीय समन्वय को मजबूत करने की जरूरत है.’
निर्मला सीतारमण के सारांश में कहा गया है कि अक्टूबर 2022 में पिछली बैठक के बाद से वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण में मामूली सुधार हुआ है. हालांकि कई उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में ऋण कमजोरियों की स्थिति से जुड़े जोखिम बने हुए हैं. इसमें व्यापक नीति सहयोग को जारी रखने और सतत विकास एजेंडा 2030 की दिशा में प्रगति को जारी रखने का भी जिक्र किया गया.
(भाषा के इनपुट के साथ)