पायलट बने और घूमी दुनिया, तब आया बिजनेस आइडिया, ये है NOISE के बनने का किस्सा
भारत के स्मार्टवॉच मार्केट में जबरदस्त पकड़ रखने वाली NOISE कंपनी की कहानी दो भाइयों गौरव खत्री और अमित खत्री के एंटरप्रेन्योर बनने की कहानी है. इनमें से गौरव खत्री एक कमर्शियल पायलट हैं, इसलिए जब वह दुनिया घूम रहे थे, तब ही उन्हें ये बिजनेस आइडिया आया. चलिए जानते हैं कैसे बना
भारत के स्मार्टवॉच और हेडफोन, ईयरफोन और वीयरेबल मार्केट में आपको ब्रांडेड से लेकर प्रीमियम प्राइस रेंज तक के कई प्रोडक्ट मिल जाएंगे. वहीं इस सेगमेंट में कई इंडियन ब्रांड्स ने वैल्यू फॉर प्राइस रेंज में अपनी पहचान बनाई है. इन्हीं में से एक है NOISE ब्रांड, जिसकी शुरुआत 2014 के आखिर में दो भाइयों अमित खत्री और गौरव खत्री ने की थी. आखिर क्यों उन्होंने एक हेडफोन ब्रांड का नाम ‘नॉइस’ रखा? कहां से उन्हें ये कंपनी शुरू करने का असली आइडिया आया? चलिए जानते हैं इस कहानी को…
‘नॉइस’ की कहानी को टीवी9 के साथ शेयर किया कंपनी के मार्केटिंग हेड शांतनु चौहान ने. उन्होंने सबसे पहले तो ये जानकारी दी कि Noise लगातार 3 साल से इंडिया की सबसे ज्यादा बिकने वाली स्मार्टवॉच है. इसका डेटा हर साल आईडीसी जारी करती है.
पायलट बन दुनिया घूमी, आया आइडिया
शांतनु चौहान ने बताया कि नॉइस के फाउंडर गौरव खत्री पेशे से एक कमर्शियल पायलट हैं. इस वजह से वह दुनिया में कई जगहों पर घूमे हैं. जब भी वह विदेश में कहीं घूमने जाते थे, तो अक्सर देखते थे कि अच्छी क्वालिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस जैसे कि ईयरफोन, हेडफोन बड़े आराम से उन्हें मिल जाते हैं, जबकि भारत में लोगों के पास इनका इतना एक्सेस नहीं है और ना ही इनका मिलना इतना आसान है. ऐसे में उन्होंने एक ऐसा ब्रांड बनाने के बारे में सोचा जो लोगों की पहुंच इस टेक्नोलॉजी तक आसान बनाए.
उन्हें लगा कि भारत में इस सेगमेंट को डेमोक्रेटिक बनाने की जरूरत है. इसी के साथ गौरव खत्री ने अपने भाई के साथ मिलकर 2014 के आखिर में नॉइस की शुरुआत की. नॉइस ने शुरुआत में मोबाइल फोन एसेसरीज बनाईं. फिर 2018 में कंपनी में एक बड़ा बदलाव आया.
2018 में बदल गई कंपनी की धारा
शांतनु चौहान ने बताया कि 2018 में कंपनी ने मोबाइल एसेसरीज से आगे जाने का प्लान बनाया. इसी के साथ कंपनी वीयरेबल्स के मार्केट में उतरी. कंपनी ने ईयरपॉड्स और स्मार्टवॉच जैसे सेगमेंट में कदम रखने की शुरुआत की. उन्होंने आईडीसी के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि स्मार्टवॉच सेगमेंट में कंपनी बीते 3 साल से लगातार सबसे ऊपर बनी हुई है.
Noise कहां से आया नाम?
शांतनु से जब ये पूछा गया कि ‘नॉइस’ शब्द का इस्तेमाल तो अधिकतर निगेटिव सेंस में होता है. तो एक हेडफोन बनाने वाली कंपनी के लिए इसे कैसे चुना गया. इसके जवाब में उन्होंने कहा कि ‘नॉइस’ ब्रांड नेम रखने का आइडिया भी गौरव और अमित का ही था. दरअसल ये इस फिलोसॉफी पर आधारित है कि जब आप उनके हेडफोन का इस्तेमाल करते हो, तो बाहर की ‘नॉइस’ की जगह अपने अंदर की आवाज यानी कि ‘इनर नॉइस’ से कनेक्ट करते हो.
अब इंडिया में बनाते हैं अपने प्रोडक्ट
शुरुआत में नॉइस ने चीन, ताइवान यहां तक की जर्मनी से भी अपने प्रोडक्ट इम्पोर्ट किए थे. अब कंपनी अपनी 90 प्रतिशत स्मार्टवॉच का प्रोडक्शन भारत में ही करती है.