खर्च घटाने के लिए SBI का एक नई कंपनी बनाने पर विचार, जानिए क्या होगा इसका जॉब्स पर असर
SBI की ऑपरेशन और सपोर्ट सब्सिडियरी को हाल ही में RBI से इन-प्रिंसीपल अप्रूवल मिल गया है. शुरुआत में ये कंपनी ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक ब्रांचेज में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी.
क्या सरकारी नौकरियां अब खत्म होने वाली हैं. पिछले दिनों ही सरकार का एक बयान बड़ी सुर्खियों में था. लोकसभा में सरकार ने बताया था कि 2014 से लेकर 2022 तक विभिन्न सरकारी विभागों में 22 करोड़ से ज्यादा नौकरी के आवेदन आए थे. इनमें से केवल सात लाख 22 हजार उम्मीदवारों को ही नौकरी मिली है. तो अब नई खबर ये है कि आगे चलकर शायद ही इतने लोगों को सरकारी नौकरी मिल पाए. ऐसा इसलिए क्योंकि देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने अपना खर्च कम करने के लिए मानव संसाधन संबंधित मुद्दों के लिए एक अलग कंपनी शुरू करने जा रही है. SBI की ऑपरेशन और सपोर्ट सब्सिडियरी को हाल ही में RBI से इन-प्रिंसीपल अप्रूवल मिल गया है. शुरुआत में ये कंपनी ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक ब्रांचेज में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी.
स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस जिन कर्मचारियों की नियुक्ति करेगी वो सभी अनुबंध के आधार पर होंगी. यानी बैंकों में भी पक्की नौकरी अब नहीं मिलेगी. अनुबंध के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को वो सभी लाभ नहीं मिलेंगे, जो एसबीआई के कर्मचारियों को मिलते हैं.
क्यों बैंक उठा रहा है ये कदम
बैंक ये कदम उठाकर अपना कॉस्ट-टू-इनकम रेश्यो कम करना चाहता है, जो अभी इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के मुताबिक बहुत ऊंचा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे देश में एसबीआई का एक बहुत बड़ा ब्रांच नेटवर्क जो है. चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में एसबीआई के कुल ऑपरेशन खर्च में सैलरी का हिस्सा करीब 45.7 फीसदी था. रिटायरल बिनेफिट्स और प्रोविजन का हिस्सा 12.4 फीसदी है.
क्या होगा इस फैसले का असर
ये तो हुई एसबीआई की बात. लेकिन क्या इससे पूरी बैंकिंग इंडस्ट्री पर असर पड़ेगा. एसबीआई ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेस इंडियन बैंकिंग इंडस्ट्री में अपनी तरह की पहली ऐसी सब्सिडियरी होगी. लेकिन अन्य बैंक भी अब ऐसा कदम उठा सकते हैं.सूत्रों के मुताबिक कई बैंक पूर्व में आरबीआई के पास इस तरह की सब्सिडियरी बनाने के लिए एप्लीकेशन दे चुके हैं. लेकिन तब आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी. लेकिन अब एसबीआई को अनुमति मिलने के बाद. अब अन्य बैंक भी अपने पुराने प्लान को एक बार फिर रिवाइव करेंगे और आरबीआई से ऐसी सब्सिडियरी के लिए मंजूरी मांगेगे.